फसल सुरक्षा का प्राकृतिक तरीका, छाछ और बेसन का चमत्कारी मिश्रण – कीट और रोगों से बचाव बिना किसी केमिकल के

आजकल खेती में रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल इतना बढ़ गया है कि मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है, पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है और हमारी थाली में आने वाली सब्जियों-फलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। उपभोक्ता अब जैविक उत्पादों की ओर तेजी से मुड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों के लिए एक सरल, सस्ता और पूरी तरह सुरक्षित विकल्प है – घर पर ही बनने वाला बेसन-छाछ का देसी ऑर्गेनिक स्प्रे। यह मिश्रण न केवल छोटे-मोटे कीटों को नियंत्रित करता है, बल्कि फफूंद जनित रोगों से भी फसल की रक्षा करता है। शहरों में तो यह स्प्रे होम गार्डनिंग के लिए प्रीमियम दामों पर बिक रहा है।

बेसन-छाछ स्प्रे कैसे काम करता है

बेसन (चना का आटा) पत्तियों पर एक पतली चिपचिपी परत बनाता है, जो मुलायम शरीर वाले कीटों जैसे एफिड, जसिड, सफेद मक्खी, थ्रिप्स की साँस की नलिकाओं को बंद कर देता है। इससे कीट मर जाते हैं या भाग जाते हैं। छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया फफूंद के विकास को रोकते हैं, जिससे पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, लीफ स्पॉट जैसे रोग नियंत्रित हो जाते हैं। साथ ही छाछ के पोषक तत्व पौधों की पत्तियों को चमकदार और हरा-भरा बनाते हैं। यह स्प्रे पूरी तरह प्राकृतिक है, इसलिए मिट्टी, पर्यावरण, फसल और इंसान – किसी को कोई नुकसान नहीं।

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बनाने की आसान विधि और सामग्री

इस स्प्रे को बनाने में कोई विशेष उपकरण की जरूरत नहीं। घर पर उपलब्ध सामग्री से 10-12 लीटर स्प्रे तैयार हो जाता है, जो 1 एकड़ के लिए पर्याप्त है।

सामग्री:

  • बेसन – 250 ग्राम
  • छाछ – 1 लीटर (हल्की खट्टी बेहतर)
  • साफ पानी – 8-10 लीटर
  • वैकल्पिक (असर बढ़ाने के लिए): नीम का काढ़ा या गोमूत्र – 250-500 मिली

विधि: एक बाल्टी में छाछ डालें और उसमें बेसन धीरे-धीरे मिलाते जाएँ, ताकि गाँठें न बनें। 30 मिनट तक भिगोने दें। फिर पानी मिलाएँ और अच्छी तरह घोलें। अगर नीम काढ़ा या गोमूत्र है तो उसे भी डाल दें। अंत में पतले कपड़े से छानकर स्प्रे पंप में भर लें। मिश्रण हमेशा ताज़ा बनाएँ, 24 घंटे से ज्यादा न रखें।

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स्प्रे कब और कैसे करें

स्प्रे को पतला न करें, तैयार घोल को सीधे इस्तेमाल करें। सुबह या शाम के समय छिड़काव करें, जब धूप कम हो। तेज धूप, बारिश या तेज हवा में न डालें। पत्तियों के ऊपरी और निचले दोनों हिस्सों पर अच्छी तरह स्प्रे करें। सामान्य स्थिति में 7-10 दिन के अंतर पर छिड़काव करें। कीट या रोग ज्यादा हों तो 5 दिन के अंतर पर दोहराएँ। शुरुआती संक्रमण में यह स्प्रे सबसे ज्यादा असरदार होता है।

किन फसलों में इस्तेमाल करें

यह स्प्रे (Chhachh Aur Besan Spray) लगभग सभी फसलों पर काम करता है। सब्जियों में टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी, लौकी, कद्दू, करेला पर शानदार असर दिखता है। फलों में पपीता, आम, अमरूद, केला पर अच्छा काम करता है। फूलों में गुलाब, गेंदा पर भी उपयोगी है। दालों में मूँग, उड़द, मटर पर कीट नियंत्रण के लिए बढ़िया है। घर की छत या बालकनी गार्डनिंग में भी यही स्प्रे सबसे सुरक्षित और प्रभावी है।

स्प्रे बनाते समय छाछ बहुत ज्यादा खट्टी न हो। रासायनिक कीटनाशक के साथ कभी न मिलाएँ। बारिश के तुरंत बाद या पहले न डालें। लाभ बहुत हैं – पूरी तरह ऑर्गेनिक, लागत न के बराबर (10 लीटर स्प्रे में सिर्फ 30-40 रुपये), पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित, पौधों को अतिरिक्त पोषण भी मिलता है। सबसे बड़ी बात – शुरुआती कीट और रोगों में यह रासायनिक दवाओं जितना ही प्रभावी है।

जैविक खेती की ओर एक कदम

बेसन-छाछ का यह देसी स्प्रे किसानों के लिए एक भरोसेमंद और किफायती समाधान है। यह न केवल कीट-रोगों से फसल बचाता है, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी स्वस्थ रखता है। प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह जैसे विशेषज्ञों की सलाह है कि रासायनिक दवाओं के विकल्प अपनाकर हम जैविक खेती को बढ़ावा दें। इस स्प्रे को आजमाएँ, फसल हरी-भरी रहेगी और बाजार में आपकी उपज का दाम भी बेहतर मिलेगा। प्राकृतिक तरीके से खेती करें, सेहत और मुनाफा दोनों बढ़ाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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