कीजिए इस छोटे से औषधीय बीज की खेती, इस सुपरफ़ूड से कमाइए एक बीघा में 5 लाख

प्यारे किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत ही नई फसलों को जिंदगी देती है। चिया सीड एक छोटा सा बीज है, जो सेहत का खजाना बन गया है। ये प्रोटीन, फाइबर, और ओमेगा-3 से भरपूर है, और बाजार में इसकी माँग तेजी से बढ़ रही है। ये 300-500 रुपये किलो तक बिकता है। अक्टूबर-नवंबर में बोया जाए, तो फरवरी-मार्च में फसल तैयार हो जाती है। कम पानी और देखभाल में ये अच्छी कमाई देता है। आइए, समझें कि चिया सीड की खेती कैसे करें।

चिया सीड क्या है और क्यों खास है

चिया सीड को सुपरफूड कहते हैं। ये वजन घटाने, दिल को मजबूत करने, और हड्डियों को ताकत देने में मदद करता है। ये ठंड की फसल है, जो रबी सीजन में उगती है। एक हेक्टेयर से 5-8 क्विंटल बीज मिल सकते हैं। भारत में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र में इसकी खेती शुरू हो चुकी है। 300-500 रुपये किलो के हिसाब से 1.5-4 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। ये फसल कम मेहनत माँगती है और मिट्टी को भी स्वस्थ रखती है। अभी अप्रैल चल रहा है, तो अगले सीजन (अक्टूबर) की तैयारी शुरू कर दें।

खेत को तैयार करने का आसान तरीका

चिया सीड के लिए दोमट या हल्की बलुई मिट्टी सही रहती है, जहाँ पानी रुक न जाए। खेत को हल से 2-3 बार जोतें, ताकि मिट्टी ढीली हो जाए। प्रति हेक्टेयर 5-8 टन गोबर की खाद डालें—ये मिट्टी को पोषण देगा। मिट्टी का pH 6-7.5 के बीच रखें। अक्टूबर-नवंबर में ठंड शुरू होने से पहले खेत तैयार करें। क्यारियाँ बनाएँ या समतल जमीन पर बोएँ। जल निकासी का ध्यान रखें, क्यूंकि चिया को ज्यादा पानी पसंद नहीं। पुराना भूसा डालें, ताकि नमी बरकरार रहे और खरपतवार कम हों। खेत साफ रखें, ताकि बीज अच्छे से जम सकें।

बुवाई का तरीका और बीज का चुनाव

चिया की बुवाई अक्टूबर से नवंबर में करें। प्रति हेक्टेयर 3-4 किलो बीज चाहिए। बीज को 12 घंटे पानी में भिगो दें—इससे अंकुरण तेज होगा। कतार से कतार 45 सेमी और पौधे से पौधे 20-25 सेमी की दूरी रखें। बीज को 1-2 सेमी गहरा बोएँ। हाथ से छिड़कें या ड्रिल से बो सकते हैं। बुवाई के बाद हल्का पानी दें। 7-10 दिन में अंकुर निकल आएँगे। बीज कृषि केंद्र या ऑनलाइन इंडिया मार्ट से 1000-1500 रुपये किलो मिलते हैं। ताजा और अच्छी क्वालिटी के बीज चुनें। ठंड में पौधे बढ़ते हैं और फरवरी-मार्च में बीज देते हैं।

देखभाल और खाद-पानी की व्यवस्था

चिया को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। बुवाई के बाद 15-20 दिन में पहली सिंचाई करें, फिर हर 15-20 दिन बाद हल्का पानी दें। ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत होती है। गोबर की खाद (5-8 टन) पहले डालें। 30 दिन बाद नीम की खली (1 टन) या वर्मी कम्पोस्ट (500 किलो) मिलाएँ। नाइट्रोजन के लिए यूरिया (20-30 किलो) और फॉस्फोरस के लिए DAP (20 किलो) डालें। खरपतवार को 20-25 दिन बाद गुड़ाई से हटाएँ। कीट जैसे माहू लगें, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। ठंड में धूप और हवा मिले, ताकि पौधे मजबूत हों। फूल आने पर (जनवरी) पानी कम करें।

कटाई और कमाई का हिसाब

चिया की फसल 120-150 दिन में तैयार होती है। अक्टूबर-नवंबर की बुवाई फरवरी-मार्च में बीज देती है। जब फूल सूख जाएँ और बीज काले-सफेद दिखें, तो पौधों को जड़ से काट लें। सुखाकर बीज अलग करें। एक हेक्टेयर से 5-8 क्विंटल बीज मिलते हैं। लागत 15,000-25,000 रुपये (बीज, खाद, मजदूरी) आती है। बाजार में 300-500 रुपये किलो के हिसाब से 1.5-4 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। ऑर्गेनिक चिया 600 रुपये किलो तक बिकता है। गाँव से शहर तक इसकी डिमांड है। बचे पौधे चारे या खाद के काम आएँगे। अभी अप्रैल में अगले सीजन की योजना बनाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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