Chikoo Organic Farming: चीकू का असली घर मैक्सिको और दक्षिण अमेरिका है, लेकिन भारत में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। हमारे देश में इसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में उगाया जाता है। भारत में हर साल लगभग 5.4 लाख मीट्रिक टन चीकू का उत्पादन होता है।
यह फल स्वाद में मीठा, सुगंधित और बहुत ही मुलायम होता है, जिससे यह हर किसी का पसंदीदा बन जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्राकृतिक शर्करा, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। अगर आप ऑर्गेनिक चीकू की खेती (Chikoo Organic Farming) करना चाहते हैं, तो यह लेख आपकी पूरी मदद करेगा।
मिट्टी और रोपाई की तैयारी- Chikoo Organic Farming
चीकू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसमें पानी जल्दी नहीं रुके। खेत तैयार करने के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करें और मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरा बनाएं। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए 10-15 टन गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें। चीकू के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय जून-जुलाई (बरसात के समय) या फरवरी-मार्च (सर्दियों के खत्म होने के बाद) होता है। पौधों को 8-10 मीटर की दूरी पर लगाएं और गड्ढों में 5-6 किलो गोबर खाद, 1 किलो नीम की खली और 500 ग्राम हड्डी का चूरा डालें। पौधे लगाने के बाद हल्की सिंचाई करें और पौधों को सहारा देने के लिए लकड़ी का डंडा लगाएं।
सिंचाई और खाद प्रबंधन
चीकू के पौधों को पहले साल ज्यादा पानी देने की जरूरत होती है। गर्मियों में हर हफ्ते दो बार और सर्दियों में हर 10-15 दिन में एक बार पानी दें। जब पेड़ परिपक्व हो जाएं (लगभग 5 साल बाद), तो केवल जरूरत पड़ने पर ही पानी दें। पानी बचाने के लिए ड्रिप सिंचाई या मिट्टी में घड़े गाड़कर सिंचाई करें। रासायनिक खादों की जगह गोबर खाद, वर्मीकम्पोस्ट, जीवामृत और फसल के अवशेषों का उपयोग करें। जब पौधा 3 महीने का हो जाए, तब हर पेड़ को 5-7 किलो गोबर खाद दें। जब पेड़ में फूल और फल बनने लगे, तब जैविक तरल खाद (जैसे मछली एमिनो एसिड) का छिड़काव करें।

कीट और रोग नियंत्रण
चीकू के पौधों पर कई तरह के कीट लग सकते हैं, जैसे कि फल मक्खी, स्केल कीट और पत्ती लपेटक। इनसे बचने के लिए नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या लहसुन-मिर्च का घोल का छिड़काव करें। फफूंद से बचाव के लिए गौमूत्र और दशपर्णी अर्क का छिड़काव करें। साथ ही, समय-समय पर पेड़ों की छंटाई करें ताकि पौधों को अच्छी हवा और रोशनी मिल सके।
फल तुड़ाई और उपज
चीकू के पेड़ 4-5 साल बाद फल देना शुरू करते हैं। जब फल हल्का पीला या भूरा हो जाए और हल्का नरम लगे, तब तुड़ाई करें। एक बड़े पेड़ से सालाना 200-300 किलो तक उपज मिल सकती है। ऑर्गेनिक चीकू की बाजार में कीमत सामान्य चीकू से 30-50% ज्यादा होती है।
चीकू की ऑर्गेनिक खेती (Chikoo Organic Farming) के फायदे
ऑर्गेनिक चीकू में पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा होते हैं, जिससे यह सेहत के लिए अच्छा होता है। इस पद्धति से खेती करने पर मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और जल स्रोतों को कोई नुकसान नहीं होता। जैविक खेती अपनाने से रासायनिक खर्चों की बचत होती है और यदि जैविक प्रमाणपत्र मिल जाए, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अच्छी कीमत मिलती है।
चीकू की ऑर्गेनिक खेती किसानों के लिए एक फायदे का सौदा है। अगर सही तरीका अपनाया जाए, तो इस खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। धैर्य और सही देखभाल से प्राकृतिक तरीके से बढ़िया गुणवत्ता वाले फल उगाए जा सकते हैं।
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