चाइना गोभी की खेती कर सिर्फ एक महीने में ही करें लाखों की कमाई, विदेशों में भी है खूब मांग

China Gobhi Bok choy Farming: भारत में खेती-बाड़ी में कुछ नया और मुनाफेदार करने की सोच रहे किसानों के लिए बोक चोय, जिसे चाइना गोभी भी कहते हैं, एक शानदार विकल्प है। यह फसल परंपरागत सब्जियों की तुलना में कम समय में अधिक उत्पादन देती है और बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बोक चोय की खपत बढ़ रही है, खासकर रेस्तरां और सलाद उद्योग में। यह फसल कम लागत, कम पानी, और कम समय में अच्छा मुनाफा देती है।

क्या है बोक चोय?

बोक चोय एक पत्तेदार सब्जी है, जो पत्तागोभी और शलजम के परिवार से संबंधित है। इसकी उत्पत्ति चीन में हुई, लेकिन अब भारत में भी इसकी खेती लोकप्रिय हो रही है। इसकी कुरकुरी डंठल और हरी पत्तियां सलाद, सूप, और विभिन्न व्यंजनों में उपयोग की जाती हैं। बोक चोय में प्रोटीन, विटामिन, और खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिसके कारण यह स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है। भारतीय बाजारों में इसकी मांग बढ़ रही है, और निर्यात के लिए भी यह एक आकर्षक फसल है। कम समय में तैयार होने और उच्च मांग के कारण यह छोटे और मध्यम किसानों के लिए लाभकारी है।

बोक चोय की प्रमुख किस्में

बोक चोय की खेती शुरू करने से पहले इसकी किस्मों को समझना जरूरी है।

रेगुलर बोक चोय की डंठल सफेद और पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं, जो भारत की जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती हैं।

शंघाई बोक चोय की पत्तियां चिकनी और अंडाकार होती हैं, और इसकी हल्की हरी डंठल इसे सलाद के लिए आकर्षक बनाती है।

बेबी बोक चोय छोटे आकार की होती है, जिसकी नाजुक पत्तियां उच्च गुणवत्ता वाले व्यंजनों में उपयोग की जाती हैं। अपने क्षेत्र की जलवायु और बाजार की मांग के आधार पर सही किस्म चुनें। स्थानीय कृषि केंद्रों से सलाह लेकर उपयुक्त बीज खरीदें।

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खेत की तैयारी और मिट्टी का चयन

बोक चोय की खेती के लिए खेत का समतल होना और अच्छी जल निकासी का होना जरूरी है। दोमट मिट्टी, जिसमें कार्बनिक पदार्थ प्रचुर हों, इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त है। खेत की 2-3 गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। नर्सरी तैयार करने के लिए बीजों को छायादार स्थान पर बोएं, जहां 25-30 दिनों में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु इस फसल के लिए आदर्श है। खेत में पानी का ठहराव न होने दें, क्योंकि इससे फसल में रोग लगने का खतरा बढ़ता है। बुआई से पहले मिट्टी की जांच करवाएं ताकि पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सके।

रोपाई और देखभाल

जब नर्सरी में पौधे तैयार हो जाएं, तब उन्हें खेत में रोपित करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 40-50 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 35 सेंटीमीटर रखें। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें, लेकिन ध्यान रखें कि जड़ों में पानी जमा न हो। बोक चोय के पौधे ज्यादा पानी पसंद नहीं करते, इसलिए जरूरत के अनुसार कम अंतराल में सिंचाई करें। खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करें ताकि पौधों को पोषक तत्व और जगह मिल सके। ड्रिप सिंचाई का उपयोग पानी की बचत और बेहतर विकास के लिए फायदेमंद है।

खाद और पोषक तत्व प्रबंधन

बोक चोय की अच्छी पैदावार के लिए खाद का सही प्रबंधन जरूरी है। खेत में 8-10 टन गोबर की खाद डालें, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है। इसके अलावा, डीएपी, पोटाश, जिंक, और बोरॉन की संतुलित मात्रा का उपयोग करें। जैविक खाद और नीम की खली डालने से फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। बुआई से पहले मिट्टी में जैव उर्वरक जैसे एजोटोबैक्टर और फॉस्फोरस विलेय बैक्टीरिया मिलाएं। यह पौधों को पोषण देता है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करता है। खाद का उपयोग मिट्टी की जांच के आधार पर करें ताकि पोषक तत्वों का सही संतुलन बना रहे।

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कीट और रोग नियंत्रण

बोक चोय की फसल में फफूंदी और पत्ती चूसने वाले कीट जैसे माहू और थ्रिप्स का खतरा रहता है। इनसे बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों, जैसे नीम तेल, का छिड़काव करें। फफूंदी रोधी दवाओं, जैसे कार्बेन्डाजिम, का समय-समय पर उपयोग करें। पौधों की नियमित निगरानी करें और रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही उपचार शुरू करें। जैविक खेती के तरीकों को अपनाने से रासायनिक अवशेष कम होते हैं, जो बाजार में फसल की कीमत बढ़ाता है। खेत में स्वच्छता बनाए रखें और रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाएं।

उत्पादन और कटाई

बोक चोय की फसल 30-40 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ 10-12 टन उत्पादन संभव है, जो इसे कम समय में लाभकारी फसल बनाता है। कटाई के समय पौधों की पत्तियां हरी और डंठल कुरकुरी होनी चाहिए। कटाई के बाद सब्जी को साफ करें और तुरंत बाजार में भेजें ताकि ताजगी बनी रहे। अच्छी पैकेजिंग और त्वरित परिवहन से फसल की कीमत बढ़ती है। बोक चोय को सुखाने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इसे ताजा ही बेचा जाता है।

मार्केटिंग और मुनाफा

बोक चोय की मांग स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेजी से बढ़ रही है। रेस्तरां, होटल, और सुपरमार्केट इसकी ताजा पत्तियों और डंठलों की खरीद करते हैं। मंडी में इसकी औसत कीमत 20-30 रुपये प्रति किलोग्राम है, और उच्च गुणवत्ता वाली फसल को 40 रुपये तक की कीमत मिल सकती है। प्रति एकड़ 1.5-2 लाख रुपये की कमाई संभव है। लागत, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है, लगभग 15,000-20,000 रुपये प्रति एकड़ आती है। निर्यात के लिए सही पैकेजिंग और गुणवत्ता पर ध्यान दें। ऑनलाइन मार्केटप्लेस और निर्यात कंपनियों से संपर्क करके मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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