न छीलना पड़ेगा, न कड़वा लगेगा, मार्केट में आया विदेशी खीरा, सीधे तोड़ो, धोओ और खाओ

Chinese Cucumber Farming: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खेती-किसानी का नया रंग चढ़ रहा है। यहां के लवकुशनगर ब्लॉक के सिलपतपुरा गांव में एक युवा किसान ने चाइनीज खीरे की खेती शुरू करके सबको चौंका दिया है। देसी खीरा तो हम सबने खूब खाया, लेकिन अब ये विदेशी खीरा अपनी चमक, स्वाद और कीमत के कारण लोगों की पसंद बन रहा है।

विदेशी बीज से कमाल

सिलपतपुरा गांव के कल्लू पटेल पेशे से पटवारी हैं, लेकिन उनका दिल खेती में बसता है। किसान परिवार से होने के कारण खेतों की मिट्टी से उनका पुराना नाता है। करीब ढाई महीने पहले उन्होंने अपने खेत में शेडनेट हाउस बनवाया और नीदरलैंड की कंपनी के चाइनीज खीरे के बीज लगाए। ये बीज खास हैं, क्योंकि इनसे तैयार खीरा न सिर्फ दिखने में आकर्षक है, बल्कि स्वाद में भी लाजवाब है। कल्लू ने बताया कि ये उनका पहला प्रयोग था, लेकिन मेहनत रंग लाई। अब उनका खीरा छतरपुर की मंडी से लेकर इंदौर जैसे बड़े शहरों तक पहुंच रहा है।

चाइनीज खीरे की खासियत

चाइनीज खीरा देसी खीरे से कई मायनों में अलग है। कल्लू के चाचा कोमल पटेल बताते हैं कि ये खीरा खाने में इतना मीठा और रसीला है कि लोग इसे चटकारे लेकर खाते हैं। इसका छिलका इतना पतला और चिकना होता है कि छीलने की जरूरत ही नहीं पड़ती। देसी खीरा जहां बाहर से खुरदुरा और हल्का पीला-हरा होता है, वहीं चाइनीज खीरा चमकदार गहरा हरा और देखने में खूबसूरत होता है। इसका वजन 100 से 200 ग्राम तक होता है और ये लंबा, पतला लेकिन रस से भरा होता है। कोमल कहते हैं, “हमने पहले कभी सब्जी नहीं उगाई, लेकिन भतीजे ने पढ़ाई और समझदारी से ये कमाल कर दिखाया।”

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शेडनेट हाउस ने बदली खेती की तस्वीर

कल्लू ने अपनी खेती को आधुनिक तरीके से करने के लिए शेडनेट हाउस का सहारा लिया। ये एक तरह का ढांचा होता है, जो फसलों को तेज धूप, बारिश और कीड़ों से बचाता है। शेडनेट हाउस में ड्रिप इरिगेशन की मदद से पानी और खाद का सही इस्तेमाल होता है, जिससे फसल की गुणवत्ता बढ़ती है। कल्लू ने बताया कि गर्मी के मौसम में खीरे की मांग बढ़ती है, इसलिए उन्होंने चाइनीज खीरा लगाया। अभी तक उनकी फसल तीन बार तुड़ाई हो चुकी है और अगले दो महीने तक और उत्पादन होगा। एक एकड़ खेत से उन्हें 400 क्विंटल खीरा मिलने की उम्मीद है।

इंदौर की मंडी में अच्छी कीमत

चाइनीज खीरे की खास बात ये है कि इसकी मांग बड़े शहरों में ज्यादा है। कल्लू अपने खीरे को छतरपुर मंडी के साथ-साथ इंदौर भेज रहे हैं। मंडी में ये खीरा 20 से 22 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कोमल पटेल बताते हैं, “हमारा खीरा इंदौर में खूब पसंद किया जा रहा है। लोग इसके स्वाद और लुक की तारीफ करते हैं।” इतनी अच्छी कीमत मिलने से किसान का हौसला और बढ़ गया है। वो कहते हैं कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो इस फसल से अच्छा मुनाफा होगा।

कैसे करें चाइनीज खीरे की खेती

चाइनीज खीरे की खेती के लिए सही बीज और तकनीक बहुत जरूरी है। कल्लू ने नीदरलैंड के हाइब्रिड बीज चुने, जो बीमारियों से लड़ने में सक्षम हैं। खेत में गोबर की खाद और उर्वरकों का सही मात्रा में इस्तेमाल किया। ड्रिप इरिगेशन से पानी की बचत हुई और पौधों को जरूरत के हिसाब से नमी मिली। फसल को कीड़ों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया गया। कल्लू कहते हैं, “खेती में मेहनत के साथ दिमाग भी लगाना पड़ता है। अगर सही समय पर सही कदम उठाएं, तो फायदा पक्का है।”

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  • Shashikant

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