चिनिया केला की खेती: बिहार का GI टैग वाला, एक एकड़ से कमाइए 10 लाख रुपये

Chiniya Kela Ki Kheti: चिनिया केला, बिहार के वैशाली, समस्तीपुर, और मुजफ्फरपुर का गौरव, अपनी सुगंध, मुलायम गूदा, और खट्टे-मीठे स्वाद के लिए मशहूर है। GI टैग प्राप्त यह केला न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय है। इसके पौधे कोमल, पतले, और कम ऊंचाई वाले होते हैं, और एक घौद का वजन 15 किलो तक होता है। बिहार के किसान इसकी खेती से लाखों कमा रहे हैं, क्योंकि यह भंडारण में टिकाऊ और मार्केट में मांग वाला फल है। अगर आप भी चिनिया केला की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। हम मिट्टी, बुवाई, उर्वरक, और कटाई की पूरी जानकारी सरल तरीके से देंगे, ताकि आपका खेत मुनाफे से लहलहाए।

चिनिया केला: बिहार की सुगंधित धरोहर

चिनिया केला अपनी अनोखी सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। इसके पौधे अन्य किस्मों (जैसे G9 या मालभोग) की तुलना में कम बढ़वार वाले और कोमल होते हैं। एक घौद में 150 केले और 15 किलो तक वजन होता है। यह केला जैम, चिप्स, और प्यूरी जैसे उत्पादों के लिए आदर्श है, जिसकी मार्केट में भारी मांग है। GI टैग ने इसकी कीमत और ब्रांड वैल्यू बढ़ा दी है। बिहार के अलावा, पश्चिम बंगाल (अमृतपानी, चीनी चंपा) और केरल (कुन्नन) में भी इसकी खेती होती है। वैशाली के किसानों ने बताया कि चिनिया केला ने उनकी आय दोगुनी की है। यह खेती छोटे किसानों के लिए कम लागत और अधिक मुनाफे का रास्ता है।

मिट्टी और जलवायु, खेत को बनाएं तैयार

चिनिया केला की खेती के लिए जीवंशयुक्त दोमट या मटियार दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है, जिसमें जल निकास अच्छा हो। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 होना चाहिए। वैशाली और समस्तीपुर की उपजाऊ मिट्टी इसके लिए आदर्श है। अगर मिट्टी भारी है, तो गोबर की खाद डालकर जल निकास सुधारें। यह किस्म उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपती है, जहां तापमान 14-40 डिग्री सेल्सियस हो। बिहार में मॉनसून (जून-जुलाई) बुवाई के लिए उपयुक्त है, लेकिन जलभराव से बचें। गर्मी में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र पर मिट्टी की जाँच करवाएं, ताकि पोषक तत्वों की कमी का पता लगे।

बुवाई से सही शुरुआत, मुनाफे की गारंटी

खेत की तैयारी के लिए 3-4 बार जुताई करें और मिट्टी को समतल करें। प्रति हेक्टेयर 10 टन गोबर की खाद या ढैंचा जैसी हरी खाद डालें। चिनिया केला की बुवाई टिश्यू कल्चर पौधों या सकर (rhizomes) से की जाती है। टिश्यू कल्चर पौधे रोगमुक्त और तेज बढ़त वाले होते हैं। प्रति हेक्टेयर 3000-3200 पौधे लगाएं, जिसमें 2×2 मीटर की दूरी रखें। फरवरी-मार्च या जून-जुलाई में बुवाई करें। गड्ढों (45x45x45 सेंटीमीटर) में 2 किलो गोबर की खाद और 50 ग्राम नीम की खली डालें। पौधों को गड्ढे के बीच में लगाएं और हल्की सिंचाई करें। बिहार के किसान टिश्यू कल्चर पौधों से 30% अधिक उपज पा रहे हैं।

उर्वरक कितना दें

चिनिया केला की अच्छी उपज के लिए संतुलित उर्वरक जरूरी हैं। प्रति पौधे 450 ग्राम यूरिया, 350 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, और 200 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट डालें। इन उर्वरकों को 5 खुराकों में बांटें: फरवरी, मार्च, जून, जुलाई, और अगस्त। जैविक खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 500 किलो नीम की खली और 10 किलो आज़ोटोबैक्टर डालें। गर्मी में नाइट्रोजन की अतिरिक्त खुराक (100 ग्राम प्रति पौधा) दें। मिट्टी में जस्ता की कमी हो, तो 20 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर डालें। उर्वरक डालने के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि पोषक तत्व जड़ों तक पहुंचें। अपने क्षेत्र के कृषि सलाहकार से उर्वरक योजना बनवाएं।

सिंचाई और खरपतवार, फसल को रखें हरा-भरा

चिनिया केला को नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। गर्मी में हर 4-5 दिन और सर्दी में 7-8 दिन में सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई से पानी की 30% बचत होती है। मॉनसून में जलभराव से बचें, क्योंकि यह जड़ सड़न का कारण बनता है। खरपतवार उपज को 20% तक कम कर सकते हैं। बुवाई के 20-30 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। हर 4 महीने में पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ाएं, ताकि जड़ें मजबूत हों। पेंडीमेथालिन (1 लीटर प्रति 200 लीटर पानी) का छिड़काव बुवाई के 72 घंटे बाद करें। जैविक खेती में मल्चिंग और बार-बार गुड़ाई करें।

कीट और रोग, फसल की रक्षा,

चिनिया केला में राइजोम वीविल, थ्रिप्स, और पनामा विल्ट जैसे रोग हो सकते हैं। राइजोम वीविल के लिए क्लोरपाइरीफॉस (2 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। पनामा विल्ट से बचने के लिए बुवाई से पहले सकर को बாவिस्टिन (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) से उपचारित करें। नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव कीटों और कवकों से बचाव करता है। पीला चिपचिपा ट्रैप और लाइट ट्रैप का उपयोग करें। नियमित खेत की निगरानी करें और अपने कृषि सलाहकार से संपर्क रखें। स्वस्थ पौधे 300-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज दे सकते हैं।

कटाई और भंडारण, सुगंधित फल का जश्न

चिनिया केला की कटाई बुवाई के 12-14 महीने बाद शुरू होती है। जब घौद के केले हरे लेकिन पूर्ण विकसित हो जाएं, तब काटें। एक पौधे से 15 किलो तक घौद मिलता है। कटाई सुबह करें और घौद को छायादार स्थान पर रखें। चिनिया केला की भंडारण क्षमता बेहतर है। इसे पकाने के लिए घौद को बंद कमरे में केला पत्तियों से ढककर उपले जलाएं। 48-72 घंटे में केले पककर तैयार हो जाते हैं। इन्हें 13-15 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करें। स्थानीय मंडियों और निर्यात के लिए पैकिंग करें।

लागत और मुनाफा, बिहार का सुनहरा फल

चिनिया केला की खेती की लागत प्रति हेक्टेयर 80,000-90,000 रुपये है, जिसमें पौधे (30,000 रुपये), उर्वरक (20,000 रुपये), सिंचाई (15,000 रुपये), और मजदूरी (25,000 रुपये) शामिल हैं। प्रति हेक्टेयर 300-400 क्विंटल उपज मिलती है, जिसे 20-30 रुपये प्रति किलो बेचा जा सकता है। इससे 6-10 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। GI टैग के कारण निर्यात बाजार (जैसे मध्य पूर्व) में इसकी मांग बढ़ रही है। चिनिया केला की खेती और इसके उत्पादों (जैसे चिप्स, जैम) को शेयर करें, ताकि ग्राहक आकर्षित हों।

चिनिया केला की खेती बिहार के किसानों के लिए समृद्धि का रास्ता है। इसकी सुगंध, GI टैग, और भंडारण क्षमता इसे बाजार में अनोखा बनाती है। चाहे आप वैशाली के खेतों में हों या समस्तीपुर की उपजाऊ जमीन पर, यह फसल आपके सपनों को हकीकत में बदल सकती है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से टिश्यू कल्चर पौधे और सलाह लें, जैविक तरीके अपनाएं, और नियमित देखभाल करें। आज ही चिनिया केला की खेती शुरू करें और मुनाफे की सुगंधित फसल काटें। यह सिर्फ एक फल नहीं, बिहार की शान और आपकी कमाई का आधार है!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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