चाऊ चाऊ सब्जी की खेती कैसे करें, सेहत और मुनाफे का अनोखा रास्ता

Chow Chow Farming: किसान भाइयों, कम लागत में स्वास्थ्य और आमदनी दोनों पाना चाहते हैं, तो चाऊ चाऊ की खेती उनके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह बेलदार सब्जी मुख्य रूप से मैक्सिको और ग्वाटेमाला से निकली है। वर्तमान में यह भारत के दक्षिणी और पहाड़ी राज्यों में भी लोकप्रिय होती जा रही है।भारत में तमिलनाडु, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के किसान इसे बड़े पैमाने पर उगा रहे हैं। जुलाई की शुरुआत हो चुकी बारिश इस फसल के लिए बेहद अनुकूल मौसम लाती है।

चाऊ चाऊ की पहचान और गुण

यह पौधा लौकी या तुरई जैसे कुकुरबिटेसियस परिवार से है। इसका हरा या सफेद फल नाशपाती की तरह दिखता है, जिसे कई जगहों पर “मैक्सिकन स्क्वैश” या “वेजिटेबल नाशपाती” भी कहा जाता है। इसका फल, पत्ते, जड़ और तना सब कुछ उपयोगी होता है।

चाऊ चाऊ मोटापा, डायबिटीज, और पाचन समस्याओं में लाभकारी है। इसमें कम कैलोरी और अधिक फाइबर होता है, जो वजन घटाने में सहायक है। इसके रस का उपयोग देहात में जलन और चोट के इलाज में भी होता है।

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उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

चाऊ चाऊ की खेती के लिए 18-22 डिग्री तापमान और 1200–1500 मीटर की ऊंचाई वाली ठंडी और नम जगह सर्वोत्तम मानी जाती है। अम्लीय मिट्टी जिसका pH 5.5 से 6.5 हो और जिसमें जल निकासी अच्छी हो, उसमें यह फसल बेहतर उगती है।बारिश का मौसम इसकी बुवाई के लिए खास होता है। इसलिए जुलाई में जब मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है, तब इसकी बुवाई शुरू करें। खेत की तैयारी के दौरान गोबर की खाद, यूरिया और सुपर फॉस्फेट मिलाएं।

बुवाई और सहारा देने की विधि

बुवाई से पहले खेत को गहरी जुताई करके खरपतवार हटा दें। बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई में और 6 मीटर की दूरी पर बोएं ताकि बेल फैलने की जगह मिल सके। चूंकि यह बेलदार पौधा है, इसके लिए बांस या लोहे की जाली बनाना आवश्यक है।कई देहाती किसान पेड़ों की शाखाओं या टहनियों का सहारा भी लेते हैं, जो सस्ते और प्राकृतिक होते हैं। बीजों को भिगोने और नीम पत्ती से उपचार करने से अंकुरण बेहतर होता है और कीटों से सुरक्षा मिलती है।

फसल की देखभाल और कीट नियंत्रण

बुवाई के बाद पहले 15-20 दिन तक खरपतवार हटाना जरूरी है। मिट्टी को कुदाली से ढीला करें ताकि जड़ों को हवा मिल सके। बारिश के मौसम में मक्खियों और मोजेक रोग का खतरा रहता है। इसके बचाव के लिए बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और आवश्यकता पड़ने पर डाइमेथोएट 30 ईसी का हल्का छिड़काव करें।रासायनिक कीटनाशकों से बचते हुए जैविक खाद और नीम के छिड़काव का प्रयोग करें। हर 15 दिन बाद गोबर की सड़ी खाद डालें, जिससे फल मजबूत और पौधे स्वस्थ बने रहें।

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कटाई और उत्पादन

चाऊ चाऊ के फल बुवाई के 55 से 60 दिन बाद तैयार हो जाते हैं। कटाई के लिए फलों का आकार और चमक देखकर सुबह के समय इन्हें धारदार चाकू से काटें। इससे बेल को नुकसान नहीं होता और फल ताजगी बनाए रखते हैं।एक एकड़ खेत में 15-20 टन तक उत्पादन संभव है। बाजार में इसकी अच्छी मांग होती है, विशेषकर त्योहारों और बारिश के बाद के सीजन में।

किसान इसे स्थानीय हाट या मंडी में बेच सकते हैं या शहर के व्यापारियों से सीधे संपर्क कर सकते हैं। चाऊ चाऊ की खेती न केवल सेहत के लिए लाभकारी है, बल्कि कम लागत और जल्दी तैयार होने के कारण यह किसानों को आर्थिक रूप से भी सशक्त बना सकती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व जैसे फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और अमीनो एसिड सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इसकी नियमित खपत ब्लड शुगर नियंत्रित करती है, थायराइड की समस्या में राहत देती है और त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करती है।

बीज कहाँ से प्राप्त करें

चाऊ चाऊ के बीज पाने के लिए पहाड़ी इलाकों में तमिलनाडु, कर्नाटक, या हिमाचल प्रदेश की स्थानीय कृषि मंडियों का रुख करें, जहां इस फसल की खेती आम है। नजदीकी बीज दुकानों से प्रमाणित बीज खरीदें, जो गुणवत्ता के साथ अंकुरण की गारंटी देते हों। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न पर भी हाइब्रिड बीज उपलब्ध हैं, लेकिन स्थानीय किसानों से संपर्क करना बेहतर है, जो पिछले सीजन के बीज बेचते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) या राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के केंद्रों से भी मौसम के अनुकूल बीज मिल सकते हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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