Qurbani on Bakrid: बकरीद का त्योहार नजदीक आते ही गाँव-शहर में बकरों की खरीद-फरोख्त शुरू हो जाती है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में रात-रात भर बकरा बाजार सजता है, जहाँ लोग अपने बजट के हिसाब से मोटा-ताजा और लंबा-चौड़ा बकरा चुनते हैं। हर कोई चाहता है कि उसका बकरा सबसे अच्छा दिखे, लेकिन कई बार बाजार से लाया हुआ मोटा बकरा घर आने के दो-चार दिन बाद ही दुबला होने लगता है। ऐसा क्यों होता है? और इसका देसी उपाय क्या है? आइए, इसे समझते हैं।
बकरों के वजन घटने की असली वजह
जब बकरा बाजार से घर आता है, तो उसे नई जगह, नए लोग, और नया माहौल देखकर तनाव हो सकता है। गाँव के किसान भाई इसे अच्छे से समझते हैं कि जानवर भी इंसानों की तरह तनाव महसूस करते हैं। नई जगह पर बकरा खाना कम कर देता है, जिससे उसका वजन घटने लगता है। दूसरी बड़ी वजह है खुराक। बाजार में बकरों को पहले जो हरा चारा, सूखा चारा, या दाना मिलता था, वो शायद घर पर न मिल पाए। शहरों में तो हरा चारा ढूंढना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बकरा पालने वाले चाहकर भी उसे सही खुराक नहीं दे पाते। लेकिन अब घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि इसके लिए देसी और आसान उपाय मौजूद हैं।
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खास फीड से बकरा पालन हुआ आसान
खेती और पशुपालन के जानकारों ने बकरों के लिए एक खास तरह का फीड तैयार किया है, जो शहर और गाँव दोनों जगह के पशुपालकों के लिए वरदान है। यह फीड हरे चारे, सूखे चारे, और दाने की सारी जरूरतों को पूरा करता है। इसे सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन गोट्स (CIRG) ने बनाया है। इस फीड की खासियत यह है कि इसे पैलेट्स के रूप में तैयार किया गया है। आपको बस इसे बकरों के सामने रखना है और समय पर पानी पिलाना है। न तो अलग-अलग चारा ढूंढने की जरूरत, न ही मिनरल मिक्सचर का इंतजाम करने की। यह फीड बकरों को तनाव से बचाता है और उनका वजन बढ़ाने में मदद करता है। खासकर बकरीद के लिए बकरा पालने वालों के लिए यह बहुत कारगर है।
बकरीद के लिए सबसे अच्छी बकरा नस्ल
अगर आप शहर में रहते हैं और बकरीद के लिए बकरा पालना चाहते हैं, तो बरबरी नस्ल आपके लिए सबसे अच्छी है। इसे शहरी बकरी भी कहते हैं, क्योंकि इसे पालना बहुत आसान है। अगर आपके पास चराने के लिए खेत या जंगल नहीं है, तो इसे घर की छत पर या खूंटे पर बांधकर भी पाला जा सकता है। अगर सही खुराक दी जाए, तो नौ महीने में बरबरी बकरा 25-30 किलो तक का हो जाता है। साल भर में इसका वजन 40 किलो तक पहुंच सकता है। अगर आप इसे सिर्फ चराई पर रखें, तब भी यह एक साल में 25-30 किलो का हो जाता है। यह नस्ल कम खर्च में ज्यादा फायदा देती है और बकरीद के लिए मोटा-ताजा बकरा तैयार करने में मदद करती है।
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बकरों को तनाव से कैसे बचाएं
बकरों को तनाव से बचाने के लिए कुछ आसान देसी नुस्खे अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, उन्हें शांत और साफ जगह पर रखें। गाँव में तो खुली जगह मिल जाती है, लेकिन शहर में छत या छोटा आंगन भी काफी है। बकरों को साफ पानी समय पर दें और उनकी खुराक में अचानक बदलाव न करें। अगर आप CIRG का पैलेट फीड इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह और भी आसान हो जाता है, क्योंकि इसमें सारी जरूरी चीजें पहले से मौजूद हैं। साथ ही, बकरों को प्यार से रखें, क्योंकि जानवर भी ध्यान और देखभाल से खुश रहते हैं।
बकरीद के लिए सही बकरा चुनने की तरकीब
बाजार में बकरा चुनते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखें। मोटा-ताजा बकरा देखकर ही न खरीद लें। उसकी आंखें, चाल, और खाने की आदत देखें। अगर बकरा सुस्त है या खाना नहीं खा रहा, तो उसे न लें। बरबरी नस्ल का बकरा चुनें, क्योंकि यह जल्दी वजन बढ़ाता है और शहर में पालना आसान है। खरीदने के बाद उसे तुरंत नई खुराक न दें, बल्कि धीरे-धीरे उसकी पुरानी खुराक से नए फीड की ओर ले जाएं। इससे बकरा तनाव में नहीं आएगा और उसका वजन भी बना रहेगा।
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