CISH ने विकसित की आम की दो नयी किस्में, खराब मौसम में भी ताजा रहेंगी 15 दिन तक

Mango Varieties: केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH), जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत काम करता है, ने मौसम की मार झेलने वाली आम की दो नई किस्में जारी की हैं। इनका नाम है अवध-अभय और अवध-समृद्धि। ये दोनों किस्में खेती के लिए बढ़िया हैं और बाजार में अच्छा दाम दिला सकती हैं। मौसम की बेरुखी से परेशान किसान भाइयों के लिए ये बड़ी राहत की खबर है। इन आमों को 15 दिन तक स्टोर कर सकते हैं, और इनकी बनावट-रंग ऐसा है कि घरेलू और विदेशी बाजार में भी चमक सकते हैं।

अवध-अभय और अवध-समृद्धि की खासियत

CISH, लखनऊ ने इन किस्मों को तैयार किया है। अवध-अभय नीलम और टॉमी एटकिंस का संकर है। ये देर से पकता है, जुलाई के आखिर या अगस्त में तैयार होता है। दूसरी किस्म अवध-समृद्धि आम्रपाली और वनराज से बनी है, जो जुलाई में पकती है और इसका रंग लाल होता है। दोनों के फल 300-400 ग्राम के होते हैं। इनके पेड़ मझोले आकार के हैं, जो खेत में देखभाल के लिए आसान हैं। इनकी शेल्फ लाइफ अच्छी है, यानी काटने के बाद 15 दिन तक ताजा रहते हैं। जनवरी में यूपी सरकार की राज्य किस्म रिलीज समिति ने इन्हें मंजूरी दी, और अब ये व्यावसायिक खेती के लिए तैयार हैं।

लाइसेंस लेकर शुरू करें खेती

संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन बताते हैं कि इन किस्मों को उगाने के लिए CISH से लाइसेंस लेना होगा। जो किसान भाई इसे अपने खेत में लगाना चाहते हैं, वो संस्थान से संपर्क करें। ये किस्में न सिर्फ मौसम की मार झेल सकती हैं, बल्कि इनका रंग और मजबूती इन्हें निर्यात के लिए भी बढ़िया बनाती है। पिछले सालों में बेमौसम बारिश और गर्मी ने आम की खेती को नुकसान पहुँचाया था, लेकिन ये नई किस्में इन मुश्किलों से लड़ने में सक्षम हैं।

मौसम की मार से जंग

पिछले साल मई की गर्मी और उससे पहले की बेमौसम बारिश ने दशहरी जैसे जल्दी पकने वाले आमों को 80% तक नुकसान पहुँचाया था। मलीहाबाद के बागों में किसानों ने फलों को बचाने के लिए कागज के थैले तक इस्तेमाल किए। अब CISH दो तरह से इस समस्या से निपट रहा है। पहला, मौसम को झेलने वाली तकनीकें बना रहा है। दूसरा, जेनेटिक रूप से बेहतर किस्में तैयार कर रहा है। इससे पहले अंबिका और अरुणिका जैसी किस्में लाई गई थीं, और अब अवध-अभय और अवध-समृद्धि ने उम्मीद जगाई है।

किसानों के लिए बड़ा फायदा

ये नई किस्में कीटों, गर्मी और जैविक तनाव को सहन कर सकती हैं। इनसे पैदावार ज्यादा होगी और फल की क्वालिटी भी बढ़िया रहेगी। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ये पेड़ तैयार किए गए हैं, ताकि किसानों को नुकसान कम हो और मुनाफा ज्यादा। खेत में इन्हें लगाने से पहले मिट्टी और पानी की जाँच कर लें, और CISH से सलाह लेकर सही देखभाल करें। ये किस्में न सिर्फ खेत को बचाएँगी, बल्कि जेब भी भरेंगी।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

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