मध्यप्रदेश के किसानों के लिए अब नया दौर शुरू हो रहा है। किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ अब सिर्फ फसल खरीदने तक सीमित नहीं रहेंगे। अब ये संगठन फूड प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे बड़े क्षेत्रों में कदम रख रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में भोपाल में हुए एफपीओ डायरेक्टर समिट में यह बात कही। उन्होंने बताया कि एफपीओ किसानों को सीधे बाजार से जोड़कर उनकी कमाई बढ़ाने का काम करेंगे। इससे न सिर्फ किसानों की जेब भरेगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
फूड प्रोसेसिंग में क्रांति
मध्यप्रदेश सरकार फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए जी-जान से जुटी है। अभी प्रदेश में केवल पांच फीसदी उपज की प्रोसेसिंग हो रही है, लेकिन सरकार का लक्ष्य इसे 95 फीसदी तक ले जाना है। इससे किसानों को अपनी फसल का सही दाम मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि एफपीओ को बाजार की जरूरतों को समझना होगा। अगर किसान बाजार के हिसाब से फसल और प्रोसेस्ड प्रोडक्ट तैयार करें, तो उनकी आय में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। मिसाल के तौर पर, मालवा में आलू चिप्स का बड़ा कारखाना लग रहा है, जिसमें एफपीओ के किसान हिस्सेदारी करेंगे। यह उद्योग न सिर्फ किसानों की उपज को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार भी देगा।
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मालवा में आलू चिप्स का नया कारखाना
मालवा का इलाका अब आलू चिप्स के बड़े उद्योग के लिए तैयार हो रहा है। इस कारखाने में स्थानीय किसानों की उपज को प्रोसेस करके बाजार में बेचा जाएगा। सरकार इसमें एफपीओ को जोड़ रही है ताकि किसानों को सीधा फायदा हो। इसके अलावा, सरकार उद्योगों को बिजली, पानी और जमीन जैसी सुविधाएं दे रही है। खास बात यह है कि रोजगार देने वाले उद्योगों में काम करने वाली महिलाओं को हर महीने 6000 रुपये और पुरुषों को 5000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। यह मदद 10 साल तक चलेगी, जिससे गाँव के युवाओं को भी फायदा होगा।
डेयरी और कामधेनु योजना का सहारा
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार डेयरी सेक्टर को भी बढ़ावा दे रही है। इसके लिए ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना’ शुरू की गई है। इस योजना से किसान डेयरी के जरिए अपनी आय बढ़ा सकते हैं। साथ ही, सरकार मोटे अनाज जैसे कोदो और कुटकी को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की योजना बना रही है। यह कदम छोटे किसानों के लिए वरदान साबित होगा, जो इन फसलों पर निर्भर हैं।
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जैविक कपास की वैश्विक मांग
मध्यप्रदेश का जैविक कपास आज दुनिया भर में मशहूर हो रहा है। चीन और वियतनाम जैसे देश इसे ‘मध्यप्रदेश कॉटन’ के नाम से बेच रहे हैं। सरकार इसकी खेती को और बढ़ावा दे रही है ताकि किसानों को वैश्विक बाजार में ज्यादा मुनाफा मिले। जैविक खेती न सिर्फ मिट्टी को स्वस्थ रखती है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाती है। किसानों को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए और एफपीओ के साथ मिलकर अपनी उपज को दुनिया तक पहुंचाना चाहिए।
एफपीओ डायरेक्टर समिट में भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. साईं रेड्डी ने कहा कि एफपीओ मिलकर काम करें तो किसानों की ताकत कई गुना बढ़ सकती है। उनका लक्ष्य है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे मजबूत बने। इसके लिए वे देश के एक लाख गाँवों तक पहुंचना चाहते हैं। मध्यप्रदेश सरकार और भारतीय किसान संघ मिलकर किसानों की उन्नति के लिए काम कर रहे हैं।
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