उत्तर प्रदेश में खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। योगी सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSM) के तहत 47 जिलों में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने की नई योजना शुरू की है। इस योजना का मकसद छोटे और मझोले किसानों को ज्वार, बाजरा, कोदो, और सावां जैसे पौष्टिक अनाजों की खेती से अच्छा मुनाफा दिलाना है। ये अनाज न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि कम पानी और कम लागत में अच्छी पैदावार देते हैं।
47 जिलों में मोटे अनाजों की खेती की पूरी तैयारी
यूपी सरकार ने इस योजना को 47 जिलों में लागू करने की पूरी प्लानिंग कर ली है। इन जिलों में अयोध्या, बाराबंकी, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली, सीतापुर जैसे कई इलाके शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य है कि ज्वार, बाजरा, कोदो, और सावां जैसे परंपरागत अनाजों की खेती को बढ़ाया जाए। ये अनाज कम पानी में उगते हैं और सूखे जैसे हालात में भी अच्छी पैदावार देते हैं। साथ ही, बाजार में इनकी मांग भी बढ़ रही है, क्योंकि लोग अब पौष्टिक और देसी अनाजों की तरफ लौट रहे हैं।
ज्वार की खेती से 24 जिलों में बढ़ेगा मुनाफा
ज्वार की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 24 जिलों को चुना है। इनमें अयोध्या, बाराबंकी, बांदा, चित्रकूट, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, जालौन, हमीरपुर, सुल्तानपुर, कौशाम्बी, महोबा, रायबरेली, प्रयागराज, अमेठी, सोनभद्र, सीतापुर, हरदोई, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, उन्नाव, जौनपुर, गाजीपुर, और वाराणसी शामिल हैं। ज्वार एक ऐसा अनाज है, जो कम पानी और कम लागत में उग जाता है।
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बाजरा की खेती 38 जिलों में लाएगी समृद्धि
बाजरा की खेती को बढ़ाने के लिए सरकार ने 38 जिलों को चुना है, जिनमें आगरा, बदायूं, अलीगढ़, फिरोजाबाद, सम्भल, हाथरस, एटा, मथुरा, कासगंज, इटावा, औरैया, प्रयागराज, कानपुर देहात, मैनपुरी, गाजीपुर, बरेली, जालौन, मिर्जापुर, बुलन्दशहर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, चित्रकूट, भदोही, फतेहपुर, वाराणसी, फर्रुखाबाद, जौनपुर, चन्दौली, बांदा, कन्नौज, शाहजहाँपुर, हरदोई, अमरोहा, मुरादाबाद, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, कानपुर नगर, और सीतापुर शामिल हैं। बाजरा की खेती सूखे इलाकों में आसानी से हो जाती है और इसकी पैदावार अच्छी होती है। बाजार में बाजरे की रोटी और अन्य उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिल सकता है।
सावां और कोदो की खेती से 12-13 जिलों में कमाई का मौका
सावां और कोदो जैसे पौष्टिक अनाजों की खेती को बढ़ाने के लिए सरकार ने खास जिलों को चुना है। सावां की खेती को जालौन, सोनभद्र, चित्रकूट, मिर्जापुर, जौनपुर, हरदोई, प्रतापगढ़, फर्रुखाबाद, भदोही, वाराणसी, चन्दौली, और हमीरपुर में बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं, कोदो की खेती जालौन, सोनभद्र, चित्रकूट, मिर्जापुर, फर्रुखाबाद, चन्दौली, भदोही, प्रतापगढ़, जौनपुर, हरदोई, वाराणसी, मुरादाबाद, और हमीरपुर में होगी। ये दोनों अनाज कम लागत में उगते हैं और पोषण से भरपूर हैं। गाँव के लोग इन अनाजों को अपनी रसोई में पहले से इस्तेमाल करते हैं, और अब इनकी मांग शहरों में भी बढ़ रही है।
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क्यों है मोटे अनाजों की खेती फायदेमंद?
मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, कोदो, और सावां न सिर्फ सेहत के लिए अच्छे हैं, बल्कि इनकी खेती में पानी और खाद की जरूरत भी कम होती है। ये फसलें सूखे और कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छी पैदावार देती हैं, जो छोटे और मझोले किसानों के लिए बड़ा फायदा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन के तहत सरकार इन फसलों को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने और देश की पोषण सुरक्षा को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। बाजार में इन अनाजों की डिमांड बढ़ रही है, क्योंकि लोग अब मिलेट्स को सुपरफूड के तौर पर देख रहे हैं।
सरकार की मदद
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन के तहत यूपी सरकार छोटे और मझोले किसानों को मोटे अनाजों की खेती के लिए हर तरह से मदद कर रही है। अच्छे बीज, ट्रेनिंग, और बाजार में सही दाम दिलाने के लिए सरकार FPO (फार्मर्स प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन) और अन्य सुविधाएँ भी दे रही है। अगर इस योजना का फायदा उठाना है, तो नजदीकी कृषि केंद्र या ग्राम पंचायत से संपर्क करें। वहाँ से योजना के बारे में पूरी जानकारी और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पता चल जाएगी।
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