Colorful cabbage cultivation: आजकल खेतों में आम गोभी से कुछ हटकर फूल गोभी और ब्रॉकली की खेती किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा दे रही है। ये रंगीन गोभी न सिर्फ देखने में सुंदर लगती है, बल्कि इसके दाम भी आम गोभी से तीन-चार गुना ज्यादा मिल रहे हैं। जहाँ पहले सिर्फ हरी ब्रॉकली उगाई जाती थी, वहाँ अब बैंगनी और पीली गोभी भी लहलहा रही है। खेतों का नजारा ऐसा है मानो कोई रंगों की बगिया खिल गई हो। किसान भाई बताते हैं कि इस खेती से उनकी तकदीर बदल सकती है। तो चलिए, जानते हैं कि ये खेती कब और कैसे की जाती है, और कितनी कमाई देती है।
पहली बार हुई रंगीन गोभी की खेती
किसान भाइयों का कहना है कि उनके इलाके में हरी ब्रॉकली और सफेद गोभी की खेती तो कई सालों से होती आई है, लेकिन बैंगनी और पीली गोभी पहली बार उगाई जा रही है। वो बताते हैं कि खेती में नए-नए तरीके आजमाए जा रहे हैं, ताकि मेहनत करने वाले भाई अपनी जिंदगी बेहतर कर सकें। इस रंगीन गोभी की खेती से न सिर्फ कमाई बढ़ रही है, बल्कि दूर-दूर से लोग इन तरीकों को सीखने भी आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि ये खेती बिना किसी जहरीले कीटनाशक के, देसी जैविक ढंग से की जा रही है। यानी फसल भी साफ-सुथरी और सेहत के लिए अच्छी।
कब बोएँ और कब काटें
बताया जाता है कि ब्रॉकली और रंगीन गोभी की बुवाई अगस्त-सितंबर में शुरू होती है। ढाई-तीन महीने बाद यानी दिसंबर-जनवरी में इसकी कटाई का समय आता है। इस बार खेतों से ढाई से तीन टन फसल निकल चुकी है। खास बात ये है कि इन पौधों से फूल तोड़ने के बाद भी दोबारा अंकुर निकल आते हैं, जिनसे फिर फसल तैयार हो जाती है। मतलब एक बार मेहनत करो और बार-बार कमाई करो। इसके लिए खास बीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो मिट्टी और मौसम के हिसाब से बिल्कुल सही हैं।
मावा मच्छर से बचाव का देसी नुस्खा
हर फसल में कुछ न कुछ परेशानी तो आती ही है। इस मौसम में ब्रॉकली के पौधों में मावा नाम का मच्छर लग सकता है। ये छोटा सा कीड़ा पौधों का रस चूस लेता है, जिससे फूल कम खिलते हैं और गोभी का स्वाद भी फीका पड़ जाता है। इससे बचने के लिए जैविक तरीका अपनाने की सलाह दी जाती है। मिसाल के तौर पर, नीम का तेल या लहसुन का घोल छिड़कने से इस मच्छर को भगाया जा सकता है। ऐसा करने से फसल भी बचेगी और खाने वालों को भी कोई नुकसान नहीं होगा।
सेहत और दाम दोनों में फायदा
किसान भाई बताते हैं कि ये रंगीन गोभी खाने से शरीर की ताकत बढ़ती है और बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। बड़े-बड़े शहरों में इनकी मांग बहुत है, जिसकी वजह से दाम भी आम गोभी से तीन-चार गुना ज्यादा मिलते हैं। मिट्टी को तैयार करने के लिए गोबर की खाद और थोड़ी जैविक खाद का इस्तेमाल करना अच्छा रहता है, ताकि पौधे मजबूत हों और फसल अच्छी आए। थोड़ी मेहनत और सही तरीके से किसान भाई अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
ये भी पढ़ें- करें वेजीटेरियनों की “रेड मीट” कहलाने वाली ये देसी सब्जी की खेती, दाम और डिमांड दोनों में टॉप पर