Colourful fish farming: किसान साथियों, आजकल रंगीन मछली पालन का चलन खूब बढ़ रहा है। ये न सिर्फ सजावट के लिए बल्कि अच्छी कमाई के लिए भी मशहूर हो रहा है। चाहे होटल का वेटिंग हॉल हो, अस्पताल की लॉबी हो, या कोई पर्यटक जगह, हर जगह एक्वेरियम में ये चमकदार मछलियाँ नजर आती हैं।
बिहार सरकार भी इसे बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी दे रही है। मत्स्य विशेषज्ञ पूजा जी बताती हैं कि अगर सही तरीके अपनाएँ तो एक एकड़ तालाब से सालाना 5 से 8 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। बाजार में इनकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। पालना आसान है, और खर्च भी ज्यादा नहीं लगता। चाहे छोटा एक्वेरियम रखें या बड़ा तालाब बनाएँ, दोनों में फायदा है। चलिए, इसकी पूरी बात समझें।
सरकार की मदद से शुरू करें
बिहार सरकार और पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन के लिए अच्छी सब्सिडी मिलती है। सामान्य वर्ग को 40% अनुदान मिलता है, वहीं महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग को 60% तक मदद दी जाती है। छोटी यूनिट शुरू करने के लिए 1200 वर्ग फीट जमीन काफी है, और इसमें करीब 3 लाख रुपये खर्च आता है। सरकार इसमें से बड़ा हिस्सा दे देती है। बड़े तालाब के लिए भी सब्सिडी है। साथ ही, मुफ्त ट्रेनिंग भी मिलती है, ताकि सही तरीके सीख सकें। नजदीकी जिला मत्स्य कार्यालय जाएँ, वहाँ सारी जानकारी मिलेगी। ये मौका हाथ से न जाने दें।
कौन सी मछलियाँ पालें?
रंगीन मछलियों की कई किस्में हैं, जो सुंदर दिखती हैं और बाजार में अच्छा दाम देती हैं। यहाँ कुछ नाम हैं:
- कार्प मछली: गोल्ड फिश, ब्लैक रूबी बार्ब, टाइगर बार्ब, रोजी बार्ब, रेड रासबोरा, ड्वार्फ रासबोरा, डेनियो, बाधी मछली। ये आसानी से बढ़ती हैं और देखभाल में सरल हैं।
- पोयसिलिया मछली: ब्लैक मौली, गप्पी, प्लेटी, स्वॉर्ड टेल, गम्बुसिया। इनका रंग चटक होता है, जो ग्राहकों को लुभाता है।
- सिचलिड मछली: डिस्कस फिश, एंजल फिश, ज्वैल फिश, फायर माउथ सिचलिड, ड्वार्फ सिचलिड, ऑस्कर फिश, तिलापिया। ये थोड़ी नाजुक होती हैं, पर दाम ज्यादा मिलता है।
- वायु श्वासी मछली: जायंट गोरामी, पर्ल गोरामी, हनी गोरामी, इंडियन पैराडाइस फिश, ब्लू गोरामी, फाइटर फिश। ये कम ऑक्सीजन में भी रह लेती हैं।
अपनी जरूरत और बाजार के हिसाब से चुनें।
एक्वेरियम या तालाब कैसे बनाएँ?
अगर सजावट के लिए पालना हो, तो छोटा एक्वेरियम लें। इसका आकार 60 सेमी लंबाई, 30 सेमी चौड़ाई, और 38 सेमी ऊँचाई वाला सबसे अच्छा है। ऊपरी सतह बड़ी हो, ताकि ऑक्सीजन ठीक से मिले। बड़े स्तर पर कमाई के लिए तालाब बनाएँ। तालाब की गहराई 4-5 फीट रखें, और पानी की सफाई का इंतजाम करें। सरकार तालाब बनाने में भी मदद देती है। मिट्टी की जाँच करवाएँ, ताकि पानी रिसे नहीं।
देखभाल के आसान तरीके
- जगह का ध्यान रखें: एक्वेरियम या तालाब को ऐसी जगह रखें, जहाँ सीधी धूप न पड़े। हल्की रोशनी और छाँव ठीक रहती है। पानी का तापमान 22 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रखें। ठंड से मछलियाँ कमजोर हो सकती हैं।
- पानी साफ रखें: हर 15 दिन में पानी फिल्टर करें। बचा खाना और मछलियों का मल हटाएँ, वरना पानी से बदबू आएगी। ऑक्सीजन पंप लगाएँ, ताकि मछलियाँ तंदुरुस्त रहें।
- खाना सही दें: मछलियों को रोज दाना दें, लेकिन ज्यादा न डालें। बचा खाना पानी खराब करता है।
- बीमारी देखें: अगर मछली सुस्त हो, खाना न खाए, या शीशे पर रगड़े, तो समझें कि वो बीमार है। उसे अलग करें और इलाज करें। नीम का पानी छिड़कना भी फायदा देता है।
कितनी मछलियाँ पालें?
60x30x38 सेमी के एक्वेरियम में 2.5 सेमी की 24 मछलियाँ रह सकती हैं। बड़े तालाब में संख्या पानी और जगह के हिसाब से बढ़ाएँ। ज्यादा भीड़ न करें, वरना मछलियाँ कमजोर पड़ेंगी।
कमाई का हिसाब
एक एकड़ तालाब से सालाना 5-8 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। छोटी यूनिट से शुरू करें, फिर बढ़ाएँ। बाजार में एक गोल्ड फिश 50-100 रुपये तक बिकती है, और बड़ी प्रजातियाँ जैसे ऑस्कर 500 रुपये तक। होटल और एक्वेरियम दुकानों से संपर्क करें। सरकार की मदद से खर्च कम होगा, और मुनाफा ज्यादा।
क्यों करें ये काम?
ये न सिर्फ कमाई का जरिया है, बल्कि गाँव में नया रोजगार भी देता है। पानी की थोड़ी जगह से शुरू कर सकते हैं। ट्रेनिंग लेकर सही जानकारी पाएँ, और मेहनत का पूरा फल लें।
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