Cucumber Trellis Ideas : गाँव में खीरे की खेती करना आसान है, पर इसे मचान पर उगाएँ तो फायदा दोगुना हो जाता है। मचान मतलब बेल को ऊपर चढ़ाने का ढाँचा, जिससे फल साफ-सुथरे रहते हैं और जगह भी कम लगती है। गर्मी और बरसात में खीरा खूब उगती है, और मचान से कटाई भी आसान हो जाती है। गाँव में इसे सस्ते में तैयार कर सकते हैं। आइए, समझें कि खीरे के लिए मचान कैसे बनाएँ, ताकि फसल बढ़िया हो और मेहनत का पूरा फल मिले।
मचान के लिए सामान जुटाने का तरीका
मचान बनाने के लिए गाँव में जो चीजें आसानी से मिल जाएँ, वही काफी हैं। बाँस की लंबी टहनियाँ लें, 6-8 फीट की 4-5 टहनियाँ काम आएँगी। इसके साथ मजबूत रस्सी या तार चाहिए, जो बेल को सहारा दे सके। अगर बाँस न हो, तो खेत में लकड़ी के पुराने ठूंठ भी इस्तेमाल कर सकते हैं। गाँव में कुछ लोग जूट के पुराने बोरे से भी जाल बनाते हैं। बस इतना ध्यान रखें कि सामान मजबूत हो, ताकि बेल का वजन उठा सके। ये सब घर या खेत के आसपास ही मिल जाता है।
मचान बनाने की सहज प्रक्रिया
खेत में पहले जगह चुनें, जहाँ धूप अच्छी आए। बाँस की टहनियों को 4-5 फीट की दूरी पर जमीन में गाड़ दें, हर टहनी का आधा फीट हिस्सा नीचे जाए। ऊपर से बाँस को रस्सी से बाँध दें, ताकि ये एक ढाँचा बन जाए। गाँव में इसे ‘A’ आकार में बनाते हैं, जिससे मजबूती रहती है। फिर बाँस के बीच में रस्सी या तार से जाल बना लें, जिस पर बेल चढ़ सके। अगर तार न हो, तो बाँस की पतली टहनियाँ बिछा सकते हैं। इसे 4-5 फीट ऊँचा रखें, ताकि खीरे नीचे लटक सके और काटना आसान हो।
खीरे की बुआई और देखभाल
मचान तैयार हो जाए, तो उसके पास खीरे के बीज बो दें। फरवरी-मार्च या जून-जुलाई का समय इसके लिए ठीक है। बीज को 2-3 फीट की दूरी पर बोएँ, हर जगह 2-3 बीज डालें। गाँव में बीज को रातभर पानी में भिगोने से अंकुर जल्दी निकलते हैं। जब बेल बढ़ने लगे, तो उसे मचान पर चढ़ने में मदद करें। हफ्ते में दो बार पानी दें, और गोबर का घोल हर 15 दिन में डालें। नीम का पानी छिड़कें, ये कीटों को भगाता है। घास निकले तो हटाएँ, ताकि बेल को जगह मिले। ऐसा करने से ककड़ी खूब फलेगी।
फसल और कमाई का फायदा
मचान पर खीरे 40-50 दिन में तैयार हो जाती है। एक बीघे से 15-20 क्विंटल तक फल निकल सकता है। फल ऊपर लटकते हैं, तो गंदे नहीं होते और कटाई में आसानी रहती है। बाजार में 20-30 रुपये किलो भाव मिलता है, यानी 30-50 हज़ार रुपये की कमाई हो सकती है। गाँव में बचे फल घर में खाएँ या बीज रख लें। मचान से जगह भी बचती है, तो बाकी खेत में दूसरी फसल उगा सकते हैं। ये तरीका मेहनत कम लेता है और फायदा ज्यादा देता है।
गाँव में मचान इसलिए उपयोगी है, क्योंकि छोटे खेत में भी ककड़ी उगाई जा सकती है। फल जमीन से ऊपर रहते हैं, तो सड़ते नहीं। पानी की खपत कम होती है, और बेल को हवा-धूप अच्छे से मिलती है। लोग सलाद बनाते हैं,इसे चेहरे के सौन्दर्य एवं ताजगी के लिए भी उपयोग किया जाता है, और बच्चे इसे बड़े चाव से खाते हैं। तो भाइयों, खीरे के लिए मचान बनाएँ, फसल को बढ़िया रखें और कमाई को बढ़ाएँ।
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