Cultivate 10 Crops In March: किसान भाइयों मार्च का महीना खेती के लिए नई उम्मीदें लेकर आता है। रबी की फसलें कट चुकी हैं, खेत खाली हैं, और गर्मी की शुरुआत हो रही है। ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि अब क्या बोया जाए जो जल्दी तैयार हो और अच्छा मुनाफा दे? आज मैं आपके लिए 10 ऐसी शानदार फसलों की पूरी जानकारी लाया हूँ, जो मार्च में बोई जाने वाली फसलें हैं। हर फसल की बुवाई का तरीका, देखभाल, उन्नत किस्में, रोगों से बचाव, और कमाई का हिसाब आसान भाषा में बताऊँगा। ये आर्टिकल आपके लिए तैयार किया गया है ताकि मेहनत से खेती चमके और जेब भी भरे।
1. मूंग: गर्मी में भी हरी-भरी कमाई
मूंग एक आसान और तेज फसल है, जिसे मार्च में बो सकते हैं। ये 60-65 दिन में तैयार हो जाती है और गर्मी को बखूबी झेलती है। खेत को अच्छे से जोत लें और प्रति हेक्टेयर 15-20 किलो बीज बोएँ। बीज को 2-3 इंच गहराई पर डालें और पंक्तियों में 30 सेमी की दूरी रखें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, फिर फूल आने और दाने भरते समय पानी दें। खरपतवार को समय पर निकालें। उन्नत किस्में जैसे पूसा विशाल, पूसा 9531, और सम्राट तेजी से बढ़ती हैं और अच्छी पैदावार देती हैं। प्रमुख रोग पीला मोज़ेक वायरस है, जिसमें पत्तियाँ पीली पड़ती हैं।
इसके लिए जैविक उपाय में नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) हर 10-15 दिन में छिड़कें, और रासायनिक दवा में इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली प्रति लीटर) का छिड़काव करें। खाद में बुवाई से पहले 20-25 किलो नाइट्रोजन और 40-50 किलो फॉस्फोरस डालें। पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 70-80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 70,000-96,000 रुपये की कमाई, लागत 15,000-20,000 रुपये, तो मुनाफा 50,000-76,000 रुपये।
2. उड़द: सूखे में भी मज़बूत साथी
उड़द मार्च में बोने के लिए शानदार है। ये 65-70 दिन में तैयार हो जाती है और सूखे को भी झेल लेती है। खेत की गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 12-15 किलो बीज बोएँ। बीज को 3-4 इंच गहराई पर डालें। ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, लेकिन फूल आने और दाने बनते समय हल्की सिंचाई करें। कीटों से बचाने के लिए नीम का तेल छिड़कें। उन्नत किस्में जैसे पंत उर्द 31, शेखर 1, और आजाद उर्द 1 देसी खेती के लिए बढ़िया हैं। प्रमुख रोग चूर्णी फफूंदी है, जिसमें पत्तियों पर सफेद धब्बे बनते हैं।
जैविक उपाय में गौमूत्र (10 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें, और रासायनिक दवा में कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। खाद में 15-20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फॉस्फोरस डालें। पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 60-70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 48,000-70,000 रुपये की कमाई, लागत 12,000-15,000 रुपये, तो मुनाफा 36,000-55,000 रुपये।
3. लोबिया: चारा और दाल का डबल फायदा
लोबिया मार्च में बोने के लिए बेहतरीन है और 60-70 दिन में तैयार हो जाती है। ये पशुओं के लिए चारा और दाल दोनों देती है। खेत को तैयार करें और प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज बोएँ। पंक्तियों में 40 सेमी की दूरी रखें। मध्यम पानी दें, खासकर फूल आने और दाने भरते समय। खरपतवार को काबू में रखें। उन्नत किस्में जैसे पूसा कोमल, अर्का गरिमा, और कोहिनूर गर्मी में अच्छी पैदावार देती हैं। प्रमुख रोग जड़ सड़न है, जिसमें जड़ें गलने से पौधा मुरझा जाता है।
जैविक उपाय में ट्राइकोडर्मा (5 किलो प्रति हेक्टेयर) को गोबर खाद में मिलाकर डालें। रासायनिक दवा में कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति लीटर) से बीज का उपचार करें। खाद में 20 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, और 20 किलो पोटाश डालें। पैदावार 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 40-50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 60,000-1,00,000 रुपये की कमाई, लागत 18,000-20,000 रुपये, तो मुनाफा 42,000-80,000 रुपये।
4. भिंडी: गर्मी की रानी सब्जी
भिंडी मार्च में बोने के लिए शानदार है और 45-50 दिन में तैयार हो जाती है। बाजार में इसकी माँग हमेशा रहती है। खेत को जोतें और प्रति हेक्टेयर 5-6 किलो बीज बोएँ। पौधों के बीच 30-40 सेमी की दूरी रखें। नियमित पानी दें, खासकर फूल आने पर। खरपतवार निकालें और कीटों के लिए नीम का घोल छिड़कें। उन्नत किस्में जैसे पूर्णा क्रांति, अर्का अनामिका, और परभनी क्रांति रोगों से लड़ने में मज़बूत हैं। प्रमुख रोग पीला शिरा वायरस है, जिसमें पत्तियों की शिराएँ पीली पड़ती हैं।
जैविक उपाय में नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर) छिड़कें। रासायनिक दवा में डाइमेथोएट (1 मिली प्रति लीटर) का छिड़काव करें। खाद में 50 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश डालें। पैदावार 100-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 20-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 2,00,000-3,60,000 रुपये की कमाई, लागत 30,000-40,000 रुपये, तो मुनाफा 1,70,000-3,20,000 रुपये।
5. नेनुआ: कम पानी में बढ़िया फायदा
नेनुआ को मार्च में बोया जा सकता है और ये 50-60 दिन में तैयार हो जाती है। ये कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। खेत तैयार करें और प्रति हेक्टेयर 2-3 किलो बीज बोएँ। पौधों के बीच 1-1.5 मीटर की दूरी रखें। मध्यम पानी दें, खासकर फूल आने और फल लगते समय। जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करें। उन्नत किस्में जैसे पूसा चिकनी, अर्का नेनुआ, और कोयंबटूर लॉन्ग ग्रीन लंबे और स्वादिष्ट फल देती हैं। प्रमुख रोग फल सड़न है, जिसमें फल गलने लगते हैं।
जैविक उपाय में गोमूत्र (10 मिली प्रति लीटर) छिड़कें। रासायनिक दवा में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। खाद में 60 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश डालें। पैदावार 80-100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 15-25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 1,20,000-2,50,000 रुपये की कमाई, लागत 25,000-30,000 रुपये, तो मुनाफा 95,000-2,20,000 रुपये।
6. मक्का: चारा और अनाज का डबल फायदा
मक्का मार्च में बोने के लिए बढ़िया है। ये 70-80 दिन में तैयार हो जाती है और चारे-अनाज दोनों के लिए उपयोगी है। खेत की गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज बोएँ। नियमित पानी दें, खासकर भुट्टे बनते समय। खरपतवार हटाएँ और जैविक खाद डालें। उन्नत किस्में जैसे एचएम 4, गंगा 11, और पूसा मक्का 5 ज्यादा दाने देती हैं। प्रमुख रोग तना सड़न है, जिसमें तना टूट जाता है।
जैविक उपाय में ट्राइकोडर्मा (5 किलो प्रति हेक्टेयर) खेत में मिलाएँ। रासायनिक दवा में थिरम से बीज उपचार (3 ग्राम प्रति किलो) करें। खाद में 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश डालें। पैदावार 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 15-20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 60,000-1,00,000 रुपये की कमाई, लागत 20,000-25,000 रुपये, तो मुनाफा 40,000-75,000 रुपये।
7. तिल: तेल का बढ़िया सौदा
तिल मार्च में बोने के लिए अच्छी फसल है और 90-100 दिन में तैयार होती है। ये सूखे में भी बढ़िया पैदावार देती है। खेत तैयार करें और प्रति हेक्टेयर 4-5 किलो बीज बोएँ। कम पानी चाहिए, लेकिन फूल आने और दाने भरते समय हल्की सिंचाई करें। उन्नत किस्में जैसे आरटी 351, शेखर, और पूसा तिल 1 तेल के लिए शानदार हैं। प्रमुख रोग पत्ती धब्बा है, जिसमें पत्तियों पर भूरे धब्बे बनते हैं।
जैविक उपाय में नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर) छिड़कें। रासायनिक दवा में मैन्कोजेब (2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। खाद में 30 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, और 20 किलो पोटाश डालें। पैदावार 5-7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 100-120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 50,000-84,000 रुपये की कमाई, लागत 15,000-20,000 रुपये, तो मुनाफा 35,000-64,000 रुपये।
8. मूंगफली: गर्मी में भी बढ़िया फल
मूंगफली मार्च में बोई जा सकती है और 100-120 दिन में तैयार होती है। खेत की गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 80-100 किलो बीज बोएँ। नियमित पानी दें, खासकर फूल और फली बनते समय। खरपतवार हटाएँ। उन्नत किस्में जैसे गिरनार 1, टीजी 37ए, और जेएल 24 बड़े और भरपूर दाने देती हैं। प्रमुख रोग टिक्का रोग है, जिसमें पत्तियों पर धब्बे बनते हैं।
जैविक उपाय में ट्राइकोडर्मा (5 किलो प्रति हेक्टेयर) खेत में मिलाएँ। रासायनिक दवा में कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। खाद में 20 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश डालें। पैदावार 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 40-50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 80,000-1,25,000 रुपये की कमाई, लागत 30,000-35,000 रुपये, तो मुनाफा 50,000-90,000 रुपये।
9. बाजरा: गर्मी में भी टिकाऊ
बाजरा मार्च में बोने के लिए शानदार है। ये 70-80 दिन में तैयार हो जाती है और कम पानी में भी उगती है। खेत जोतें और प्रति हेक्टेयर 5-6 किलो बीज बोएँ। कम पानी चाहिए, बुवाई के बाद और भुट्टे बनते समय हल्की सिंचाई करें। उन्नत किस्में जैसे एचबी 3, जीएचबी 558, और पूसा 23 गर्मी में भी अच्छी हैं। प्रमुख रोग झुलसा रोग है, जिसमें पत्तियाँ झुलस जाती हैं।
जैविक उपाय में गोमूत्र (10 मिली प्रति लीटर) छिड़कें। रासायनिक दवा में मैन्कोजेब (2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। खाद में 40 किलो नाइट्रोजन और 20 किलो फॉस्फोरस डालें। पैदावार 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 20-25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 30,000-50,000 रुपये की कमाई, लागत 10,000-15,000 रुपये, तो मुनाफा 20,000-35,000 रुपये।
10. ग्वार: चारा और दाल का जोश
ग्वार मार्च में बोई जा सकती है और 90-100 दिन में तैयार होती है। खेत तैयार करें और प्रति हेक्टेयर 10-12 किलो बीज बोएँ। मध्यम पानी दें, फूल और दाने बनते समय सिंचाई करें। उन्नत किस्में जैसे दुर्गापुर सफेद, पूसा नवबहन, और एचजी 365 गम के लिए मशहूर हैं। प्रमुख रोग जड़ सड़न है, जिसमें जड़ें गलने से पौधा सूख जाता है।
जैविक उपाय में ट्राइकोडर्मा (5 किलो प्रति हेक्टेयर) गोबर खाद में मिलाकर डालें। रासायनिक दवा में कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति लीटर) से बीज उपचार करें। खाद में 20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फॉस्फोरस डालें। पैदावार 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बाजार में 40-50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 40,000-60,000 रुपये की कमाई, लागत 15,000-20,000 रुपये, तो मुनाफा 25,000-40,000 रुपये।
किसान भाइयों और बहनों, मार्च में बोई जाने वाली ये 10 फसलें आपके खेतों को हरा-भरा और जेब को भरा हुआ रखेंगी। गर्मी की फसलें जैसे मूंग, उड़द, और भिंडी कम समय में तैयार होती हैं और अच्छा मुनाफा देती हैं। सही बुवाई, उन्नत किस्मों का चयन, और रोगों से बचाव के उपाय अपनाएँ। ये कम समय की खेती का शानदार मौका है। खेत तैयार करें, मेहनत करें, और मुनाफा कमाएँ। आपकी खेती चमके, यही दुआ है!
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