अमरूद के इस किस्मों की करें खेती, 12 महीने में फलों से लद जायेगा पेड़, एक एकड़ में 200 क्विंटल तक पैदावार

क्या कभी सोचा कि खेत का छोटा सा हिस्सा लाखों की कमाई दे सकता है? औरंगाबाद, बिहार के किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर L-49 अमरूद की खेती की ओर बढ़ रहे हैं, और उनकी मेहनत रंग ला रही है। ये अमरूद कम समय में फल देता है और बाज़ार में इसकी भारी मांग है। बिहार सरकार की मुख्यमंत्री बागवानी मिशन जैसी योजनाएँ सब्सिडी देकर इसे और आसान बना रही हैं। औरंगाबाद के कुंटुबा गाँव के किसान हरेंद्र कुमार इस खेती से अपनी ज़िंदगी बदल चुके हैं। आइए, जानिए कि L-49 अमरूद की खेती कैसे खेतों को मुनाफे का खजाना बना सकती है। बिहार के किसानों, ये आपके लिए है!

L-49 अमरूद की खासियत

औरंगाबाद में L-49 अमरूद की खेती किसानों के लिए नया मुनाफा ला रही है। ये अमरूद सिर्फ़ 12 से 14 महीने में फल देना शुरू करता है। इसका स्वाद लाजवाब और आकार छोटा लेकिन आकर्षक होता है, जिसके चलते बाज़ार में इसे 30 से 35 रुपये प्रति किलो तक बेचा जाता है। औरंगाबाद के किसान हरेंद्र कुमार ने इस किस्म को अपनाकर लाखों की कमाई की। ये अमरूद बिहार की दोमट मिट्टी और मौसम के लिए एकदम सही है। इसकी मांग स्थानीय और बड़े शहरों के बाज़ारों में बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलता है। ये खेती कम मेहनत और ज़्यादा फायदा देती है।

लागत और कमाई का हिसाब

L-49 अमरूद की खेती शुरू करने में ज्यादा खर्च नहीं आता। एक एकड़ में करीब 2 लाख रुपये की लागत लगती है, जिसमें पौधे, खाद, ड्रिप इरिगेशन, और मज़दूरी शामिल है। एक एकड़ में 400 पौधे लगाए जा सकते हैं, जिनमें से 300 से ज़्यादा फल देते हैं। प्रति एकड़ 200 क्विंटल से ज़्यादा पैदावार हो सकती है। अगर बाज़ार में 30 रुपये प्रति किलो का रेट मिले, तो 6 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। पहले साल में लागत निकल आती है, और अगले सालों में शुद्ध मुनाफा मिलता है। औरंगाबाद के किसान इस खेती से न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी बेहतर कर रहे हैं, बल्कि गाँव में रोज़गार भी बढ़ा रहे हैं।

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खेती की ज़रूरी बातें

L-49 अमरूद की खेती को सफल बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखिए। अच्छी गुणवत्ता के पौधे चुनिए। हरेंद्र कुमार ने कोलकाता से 15 रुपये प्रति पौधे की दर से पौधे लिए, जो बिहार के लिए उपयुक्त हैं। दोमट मिट्टी और समशीतोष्ण जलवायु इस खेती के लिए बेस्ट है। गर्मियों में ड्रिप इरिगेशन से पानी की बचत होती है और पौधों को सही नमी मिलती है। गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट, और एनपीके उर्वरक की सही मात्रा से फल ज़्यादा और बेहतर आते हैं। पौधों को 10×10 फीट की दूरी पर लगाइए, ताकि उन्हें बढ़ने की जगह मिले। इन छोटी बातों से फसल शानदार बन सकती है।

सरकार की सब्सिडी का लाभ

बिहार सरकार फल खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को हर कदम पर मदद दे रही है। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत औरंगाबाद के किसानों को अमरूद की खेती के लिए 75% तक सब्सिडी मिलती है। एक हेक्टेयर में खेती की लागत करीब 1.2 लाख रुपये है, जिसमें से 90,000 रुपये तक सरकार देती है। ड्रिप इरिगेशन और पैकेजिंग पर भी 40% सब्सिडी है। इस लाभ को पाने के लिए horticulture.bihar.gov.in पर आवेदन करिए। आधार कार्ड, ज़मीन के कागज़ात, और DBT रजिस्ट्रेशन नंबर चाहिए। ज़िले के बागवानी विभाग से संपर्क कर सत्यापन करवाइए। ये सब्सिडी खेती की लागत कम करती है, जिससे छोटे किसान भी इसे शुरू कर सकते हैं।

खेती शुरू करने की सलाह

L-49 अमरूद की खेती शुरू करने से पहले खेत की मिट्टी जाँचिए। औरंगाबाद के कृषि विज्ञान केंद्र से मुफ्त सलाह लीजिए। नीम का तेल और जैविक कीटनाशक यूज़ कर पौधों को कीटों से बचाइए। समय-समय पर निराई-गुड़ाई कर खरपतवार हटाइए। फल सुबह तोड़िए, ताकि वो ताज़ा रहें। बाज़ार में अच्छी पैकेजिंग यूज़ करिए। सब्सिडी के लिए जल्दी आवेदन करिए, क्योंकि ये पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मिलती है। सही योजना और मेहनत से आप भी अपने खेत को मुनाफे का खजाना बना सकते हैं।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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