Colourful Capsicum Farming : आजकल हमारे भारतीय किसान भाई पुरानी खेती को छोड़कर कुछ नया करने की राह पर चल पड़े हैं। बागवानी फसलों में उनकी दिलचस्पी बढ़ रही है, और इसमें रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती एक ऐसा नाम बनकर उभरा है, जो कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा दे रहा है। चाहे लाल हो, पीली हो, या नारंगी, इन शिमला मिर्चों की बाजार में बढ़ती डिमांड ने किसानों के लिए नई उम्मीद जगाई है।
ये खेती न सिर्फ लागत में कम है, बल्कि सही तरीके से की जाए तो जेब भी अच्छी भर सकती है। खासकर हरियाणा के करनाल में उद्यान विभाग के सब्जी उत्कृष्ट केंद्र में किसान भाइयों को इस खेती की पूरी जानकारी दी जा रही है। आइए, जानते हैं कि रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती कैसे शुरू करें और इसमें मुनाफा कैसे कमाया जा सकता है।
क्यों खास है रंग-बिरंगी शिमला मिर्च?
रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसकी डिमांड साल भर रहती है, खासकर शादियों के सीजन में। सलाद की शान बढ़ाने वाली ये मिर्च लाल, पीली, नारंगी, बैंगनी और हरे रंग में आती है, लेकिन बाजार में लाल और पीली मिर्च सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में इसकी कीमत हरी शिमला मिर्च से कहीं ज्यादा मिलती है। लोकल बाजार में ये 100 से 120 रुपये प्रति किलो बिकती है, तो बड़े बाजारों में 250 से 300 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। शादी-ब्याह के मौसम में तो इसके दाम और भी उछाल मारते हैं। यानी, सही समय पर फसल बेचकर किसान भाई मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।
पॉली हाउस है जरूरी
रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती का सबसे बड़ा राज है पॉली हाउस या नेट हाउस। ये फसल खुले खेतों में उतनी अच्छी पैदावार नहीं देती, जितनी पॉली हाउस में देती है। पॉली हाउस में तापमान और नमी को कंट्रोल करके फसल को बीमारियों और मौसम की मार से बचाया जा सकता है। करनाल के सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि पॉली हाउस में तैयार की गई फसल न सिर्फ ज्यादा होती है, बल्कि उसकी क्वालिटी भी शानदार रहती है। सबसे अच्छी बात ये है कि सरकार पौधों पर 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है। यानी, पौधे खरीदने का खर्च आधा हो जाता है, जिससे छोटे किसान भी इस खेती को आसानी से शुरू कर सकते हैं।

खेती का सही तरीका
रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले बीज से पौधे तैयार किए जाते हैं। ये काम जुलाई के आखिरी हफ्ते या अगस्त की शुरुआत में करना चाहिए। अगस्त के महीने में इन पौधों को पॉली हाउस में ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए। एक एकड़ में करीब 10,000 पौधे लगाए जा सकते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आधे पौधे लाल शिमला मिर्च के और आधे पीली शिमला मिर्च के हों।
जब ये मिर्च जोड़े में बेची जाती है, तो बाजार में 20 से 30 रुपये प्रति किलो ज्यादा कीमत मिलती है। पौधों को लगाने के बाद नियमित देखभाल, पानी और खाद का ध्यान रखना जरूरी है। फसल को 60 से 70 दिन बाद तोड़ना शुरू किया जा सकता है।
कम लागत, ज्यादा फायदा
इस खेती की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें बीमारियों का खतरा बहुत कम होता है। हाँ, कुछ कीट जरूर परेशान कर सकते हैं, लेकिन उन्हें आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। एक पौधे से औसतन 1.5 से 3 किलो तक शिमला मिर्च मिल सकती है। यानी, एक एकड़ में हजारों किलो फसल तैयार हो सकती है।
लागत की बात करें तो पॉली हाउस और पौधों का खर्च शुरू में लगता है, लेकिन सरकार की सब्सिडी और फसल की ऊँची कीमत इस खर्च को जल्दी वसूल कर देती है। खासकर शादियों के मौसम में जब डिमांड बढ़ती है, तो किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। ये फसल न सिर्फ आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि कम मेहनत में ज्यादा कमाई का रास्ता खोलती है।

किसानों के लिए जरूरी सलाह
रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, पॉली हाउस की व्यवस्था करें, क्योंकि इसके बिना अच्छी पैदावार मुश्किल है। दूसरा, पौधे किसी भरोसेमंद नर्सरी या उद्यान विभाग के केंद्र से ही खरीदें। तीसरा, सरकार की सब्सिडी का फायदा जरूर लें, ताकि लागत कम हो। और सबसे जरूरी, फसल को सही समय पर तोड़कर बाजार में बेचें, खासकर शादियों के सीजन में। करनाल के सब्जी उत्कृष्ट केंद्र जैसे संसाधनों से समय-समय पर जानकारी लेते रहें। ये खेती आपके लिए न सिर्फ मुनाफा लाएगी, बल्कि आपके खेतों को भी नई रौनक देगी।
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