Cultivation of Tinna, Tinni, Lal or Pasai rice: हमारे किसान भाइयों-बहनों, चावल तो हर घर की शान है। हर कोई इसे चटखारे लेकर खाता है, लेकिन कई बार डॉक्टर कुछ बीमारियों में चावल से दूर रहने की सलाह देते हैं। पर आज हम आपको एक ऐसे खास चावल की बात बताने जा रहे हैं, जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि खेती से किसानों को मालामाल और खाने से मरीजों को तंदुरुस्त कर देता है।
जी हाँ, ये है तिन्ना, तिन्नी, लाल या पसई चावल! ये चावल पानी में भी कमाल दिखाता है और बाढ़ का भी कुछ बिगाड़ नहीं पाती। बलिया के प्रोफेसर बृजेश सिंह जी बताते हैं कि ये चावल किसानों के लिए सोने की खान है। इसके ढेर सारे फायदे हैं, और ये बाढ़ वाले इलाकों में भी आसानी से उग जाता है। तो आइए, इस चमत्कारी चावल की खेती और खूबियों को जानें।
बाढ़ में भी हीरो
ये तिन्ना या तिन्नी चावल राजस्थान, बिहार और पूर्वांचल जैसे इलाकों में खूब पसंद किया जाता है। बलिया की गोखुर झील और सुरहा ताल की काली मिट्टी में ये अपने आप उग आता है। प्रोफेसर बृजेश सिंह जी का कहना है कि उनका विभाग 21 साल से पौधों पर शोध कर रहा है, और इस चावल की खासियत देखकर हैरान है। जैसे ही खेत में पानी भरता है, ये चावल अपना जादू दिखाने लगता है। पानी में डूबने के बावजूद ये ऊपर उठ जाता है।
बाढ़ भी इसे हरा नहीं सकती। इसकी बाली और चावल दोनों लाल रंग के होते हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में इसकी खेती बड़े आराम से हो जाती है। 1 एकड़ जमीन के लिए 15 किलो बीज काफी हैं, और इससे 15 से 20 क्विंटल तक पैदावार मिलती है। पानी ज्यादा हो जाए, तो नाव से इसकी कटाई भी की जा सकती है। ये पानी के ऊपर तैरता है, इसलिए बुवाई और कटाई में कोई दिक्कत नहीं।
खेती आसान, मुनाफा बंपर
इस चावल की खेती बाढ़ वाले इलाकों के लिए वरदान है। जहाँ दूसरी फसलें पानी में डूबकर खराब हो जाती हैं, वहाँ ये चावल हँसते-खेलते उगता है। इसे लगाने के लिए खास मेहनत की जरूरत नहीं। बस काली मिट्टी और पानी का इंतजाम हो, ये अपने आप बढ़ने लगता है। एक एकड़ में 15 किलो बीज डालें, और मेहनत का फल 15-20 क्विंटल तक मिलेगा।
बाजार में इसकी कीमत बाकी चावलों से कहीं ज्यादा है। ये महँगा बिकता है, क्योंकि इसके गुण अनोखे हैं। किसान भाई इसे उगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। बाढ़ का डर छोड़ दें, ये चावल हर हाल में साथ देता है। कटाई के लिए नाव का इस्तेमाल करें, और फसल को सुरक्षित घर ले आएँ।
सेहत का खजाना, व्रत का साथी
तिन्नी चावल सिर्फ कमाई का जरिया नहीं, सेहत का दोस्त भी है। इसमें ढेर सारे पोषक तत्व भरे हैं। ये शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और यहाँ तक कि कैंसर जैसी बीमारियों को काबू में रखता है। इसमें फाइबर, विटामिन बी, जिंक, कैल्शियम और आयरन होता है, जो शरीर को ताकत देता है। व्रत में भी इसे खाया जाता है, खासकर हरछठ और ऋषि पंचमी जैसे मौकों पर। स्वाद में ये इतना लाजवाब है कि खाने वाले उंगलियाँ चाटते रह जाते हैं। जो लोग बीमार हैं, उनके लिए भी ये दवा का काम करता है। प्रोफेसर बृजेश जी कहते हैं कि इसके औषधीय गुण इसे खास बनाते हैं।
किसानों के लिए सुनहरा मौका
ये चावल न सिर्फ खेत में चमत्कार करता है, बल्कि जेब भी भरता है। बाढ़ वाले इलाकों में जहाँ दूसरी फसलें मुश्किल हैं, वहाँ तिन्नी चावल उम्मीद की किरण है। इसे उगाने से नुकसान का डर नहीं, बल्कि मुनाफा पक्का है। बाजार में इसकी माँग बढ़ रही है, और कीमत भी अच्छी मिलती है। किसान भाइयों, इसकी खेती शुरू करें, और अपनी मेहनत को सोने में बदलें। ये चावल न सिर्फ आपकी कमाई बढ़ाएगा, बल्कि सेहत का ख्याल रखने वालों के लिए भी वरदान बनेगा।
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