Custard Apple Farming: शरीफा या सीताफल, जिसे कस्टर्ड एप्पल भी कहते हैं, आज किसानों के लिए एक मुनाफे वाली फसल बन चुकी है। इसका मीठा स्वाद, अनोखी बनावट, और औषधीय गुण इसे बाजार में खास बनाते हैं। शरीफा की खेती कम पानी और देखभाल में हो जाती है, जिससे ये सूखा प्रभावित इलाकों के लिए भी मुफीद है। भारत में इसकी मांग ताजे फल, जूस, और डेसर्ट के लिए बढ़ रही है। लेकिन सवाल ये है कि शरीफा का सबसे ज्यादा उत्पादन किन राज्यों में होता है? आइए, शरीफा की खेती, उत्पादन, और तकनीकों को समझें, जैसे खेत में नई संभावनाओं की बात हो।
शरीफा क्यों है खास?
शरीफा एक पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसमें विटामिन सी, ए, पोटैशियम, मैग्नीशियम, और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये हृदय स्वास्थ्य, पाचन, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाता है। इसका उपयोग ताजे फल, आइसक्रीम, खीर, और आयुर्वेदिक दवाओं में होता है। कम रखरखाव और सूखा सहन करने की क्षमता इसे छोटे और मध्यम किसानों के लिए आदर्श बनाती है। भारत में करीब 55,000 हेक्टेयर जमीन पर शरीफा की खेती होती है, और इसका निर्यात मध्य पूर्व और यूरोप तक हो रहा है।
उत्पादन में ये राज्य हैं सबसे आगे
भारत में शरीफा का उत्पादन कई राज्यों में होता है, लेकिन कुछ राज्य इसकी खेती में सबसे आगे हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र शरीफा उत्पादन में नंबर वन है। ये राज्य देश के कुल उत्पादन का करीब 29% (लगभग 93,000 टन) हिस्सा देता है। औरंगाबाद, सोलापुर, और पुणे इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। गुजरात दूसरे नंबर पर है, जो 18.97% (73,500 टन) उत्पादन करता है। खासकर बनासकांठा और कच्छ में इसकी खेती बढ़ रही है।
मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जो लगभग 13.81% (53,500 टन) उत्पादन देता है। छिंदवाड़ा और बैतूल जैसे जिले इसके लिए मशहूर हैं। आंध्र प्रदेश 4.52% (41,790 टन) के साथ चौथे और तेलंगाना 4.16% (17,510 टन) के साथ पांचवें स्थान पर है। इन राज्यों के अलावा, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, बिहार, और असम भी शरीफा की खेती करते हैं, लेकिन उनका योगदान 5% से कम है। 2024 में भारत का कुल शरीफा उत्पादन 3.20 लाख टन था, जो 2018 के 4.01 लाख टन से कम है।
शरीफा की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
शरीफा की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे अच्छी है। 15°C से 40°C तापमान और 50-80 सेमी वार्षिक बारिश इसके लिए मुफीद है। ये फसल सूखा सहन कर लेती है, लेकिन पाला (फ्रॉस्ट) से बचाना जरूरी है। दोमट, रेतीली-दोमट, या चिकनी मिट्टी, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, उपयुक्त है। मिट्टी का pH 6.0 से 7.0 होना चाहिए। खेती शुरू करने से पहले खेत की गहरी जुताई करें और प्रति एकड़ 2-3 टन गोबर खाद डालें।
बुवाई और पौधों की तैयारी
शरीफा की बुवाई का सबसे अच्छा समय फरवरी-मार्च या जुलाई-अगस्त है। बीजों को नर्सरी में पॉलीथिन बैग में बोएं, क्योंकि बीजों को अंकुरित होने में 30-40 दिन लगते हैं। जब पौधे 30-40 सेमी के हो जाएं, तो उन्हें 12×8 फीट की दूरी पर खेत में रोपें। एक एकड़ में 450-500 पौधे लगाए जा सकते हैं। NMK-01 (गोल्डन), बालानगर, और वाशिंगटन जैसी किस्में ज्यादा लोकप्रिय हैं। ग्राफ्टिंग या बडिंग से तैयार पौधे जल्दी फल देते हैं।
सिंचाई और खाद प्रबंधन
शरीफा को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, लेकिन फूल और फल बनते समय 3-4 बार सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छी है, जो पानी बचाती है। गर्मियों में हर 7-10 दिन और सर्दियों में 15-20 दिन पर पानी दें। जैविक खेती के लिए प्रति एकड़ 500 किलो वर्मी कम्पोस्ट, 100 किलो नीम खली, और 2 टन गोबर खाद डालें। नाइट्रोजन (200 ग्राम), फॉस्फोरस (100 ग्राम), और पोटैश (200 ग्राम) प्रति पौधा सालाना दें।
कीट और रोग प्रबंधन
शरीफा में फल मक्खी, मीली बग, और पत्ती धब्बा रोग की समस्या हो सकती है। नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या फेरोमोन ट्रैप्स से कीटों को नियंत्रित करें। जैविक फंगीसाइड, जैसे ट्राइकोडर्मा, पत्ती धब्बा और फल सड़न के लिए इस्तेमाल करें। खेत में जलजमाव न होने दें और पुरानी टहनियों की कटाई-छंटाई करें। साफ-सफाई से रोग 50% तक कम हो जाते हैं।
लागत और मुनाफा
एक एकड़ शरीफा की खेती में शुरुआती लागत 60,000-80,000 रुपये आती है। इसमें पौधे (25,000 रुपये), खाद (10,000 रुपये), ड्रिप सिंचाई (20,000 रुपये), और मजदूरी (15,000 रुपये) शामिल हैं। तीसरे साल से फल शुरू होते हैं, और पांचवें साल से पूरी पैदावार मिलती है। एक पौधा 50-100 फल देता है, और प्रति फल 500 ग्राम मानें तो एक एकड़ से 20-25 टन फल मिलते हैं। 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 8-10 लाख रुपये की कमाई हो सकती है।
किसानों के लिए सलाह
किसानों को सलाह है कि स्थानीय कृषि केंद्र से मिट्टी और किस्मों की जानकारी लें। NHB और NABARD से सब्सिडी के लिए आवेदन करें। जैविक शरीफा की मांग बढ़ रही है, तो NPOP प्रमाणन लें। फलों को ठंडी, सूखी जगह स्टोर करें और कार्डबोर्ड बॉक्स में पैक करें। ऑनलाइन मार्केट या मंडियों में बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाएं। शरीफा की खेती न सिर्फ आय बढ़ाएगी, बल्कि सूखा प्रभावित इलाकों में भी हरियाली लाएगी।
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