Dalhan Tilhan Mandi Prices : किसान भाइयों, आजकल दलहन और तिलहन फसलों की मंडी में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP से नीचे चल रही हैं। तुअर, चना, सरसों जैसी फसलों के दाम गिर गए हैं, और इसका बड़ा कारण अच्छा उत्पादन और आयात नियमों में ढील बताया जा रहा है। एफई की रिपोर्ट में व्यापार सूत्रों ने कहा कि घरेलू बाजार में बढ़ती सप्लाई ने कीमतों को नीचे धकेल दिया।
ऐसे में सरकार को किसानों को बचाने के लिए MSP पर खरीद बढ़ानी पड़ रही है। पिछले दो सालों में तुअर की कम पैदावार की वजह से किसानों को MSP से 35% तक ज़्यादा दाम मिल रहा था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। चलिए, आपको बताते हैं कि मंडी में क्या भाव चल रहा है, कितनी खरीद हुई, और सरकार का क्या प्लान है।
मंडी में क्या चल रहा है भाव
महाराष्ट्र की लातूर मंडी में शुक्रवार को तुअर की कीमत 6800 से 7400 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थी, जबकि 2024-25 सीजन के लिए तुअर की MSP 7550 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है। यानी किसानों को MSP से कम दाम मिल रहा है। दूसरी तरफ, राजस्थान के कोटा में चना 4900 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है, जबकि इसकी MSP 5650 रुपये प्रति क्विंटल है।
तिलहन की बात करें, तो राजस्थान के भरतपुर में सरसों 5500-5600 रुपये प्रति क्विंटल पर चल रही है, जो रबी सीजन की MSP 5950 रुपये से कम है। भरतपुर के उत्तान मस्टर्ड प्रोड्यूसर्स कंपनी के सीईओ रूप सिंह कहते हैं कि सरकारी खरीद अभी शुरू नहीं हुई, जिससे किसान परेशान हैं।
कितनी हुई खरीद और क्या है लक्ष्य
सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए MSP पर खरीद शुरू कर दी है। नैफेड और NCCF ने अब तक 0.24 लाख मीट्रिक टन तुअर खरीदा है, लेकिन लक्ष्य 10 लाख टन का है। यानी अभी लंबा रास्ता बाकी है। चना की खरीद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में शुरू हो गई है, जहाँ अब तक करीब 5000 टन खरीदा जा चुका है। कृषि मंत्रालय ने खरीफ और रबी दोनों सीजनों में बड़े उत्पादक राज्यों जैसे राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में 5 मिलियन टन दलहन खरीद को मंजूरी दी है। तिलहन में भी बड़ा कदम उठाया गया है।
खरीफ सीजन में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश से 13 लाख किसानों से 2 मिलियन टन सोयाबीन और 1.5 मिलियन टन मूंगफली खरीदी गई। पिछले सीजनों में ये आँकड़ा बहुत कम था, लेकिन अब सरकार ने रफ्तार पकड़ ली है।
सरसों की खरीद का प्लान
रबी सीजन के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर सरसों खरीद की योजना बनाई है। कृषि मंत्रालय ने राजस्थान से 1.3 मिलियन टन, मध्य प्रदेश से 0.49 मिलियन टन, उत्तर प्रदेश से 0.47 मिलियन टन, हरियाणा से 0.33 मिलियन टन, गुजरात से 0.12 मिलियन टन, असम से 62,774 टन और छत्तीसगढ़ से 3050 टन सरसों खरीद को मंजूरी दी है। लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हुई है, जिससे किसानों में बेचैनी है।
रूप सिंह कहते हैं कि अगर जल्दी खरीद शुरू नहीं हुई, तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि मंडी भाव MSP से नीचे न जाए, इसके लिए तेजी से कदम उठाए।
क्यों पड़ रही है खरीद की जरूरत
भारत अपनी सालाना दालों की खपत का 15-18% और खाद्य तेलों का 58% हिस्सा आयात करता है। अच्छे उत्पादन की संभावना और आयात नियमों में ढील ने घरेलू बाजार में कीमतें गिरा दी हैं। पहले तुअर की कम पैदावार की वजह से दाम ऊँचे थे, लेकिन अब सप्लाई बढ़ने से हालात उलट गए। ऐसे में MSP पर खरीद ही किसानों का सहारा बन सकती है। ICAR की सलाह है कि दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए हाइब्रिड बीज और छिड़काव तकनीक अपनाई जाए, ताकि आयात कम हो और किसानों को फायदा मिले।
सरकार का आगे का रास्ता
भाइयों, सरकार ने खरीद का लक्ष्य बड़ा रखा है, लेकिन अभी रफ्तार धीमी है। तुअर का 10 लाख टन और सरसों का 2.7 मिलियन टन खरीदने का प्लान है। इसके लिए नैफेड और NCCF को और तेजी दिखानी होगी। किसानों को चाहिए कि वे eSamridhi और eSamyukti पोर्टल पर रजिस्टर करें, ताकि MSP का पूरा फायदा मिले। साथ ही, राज्य सरकारों को भी सहयोग बढ़ाना होगा। अगर ये प्लान सही से चला, तो न सिर्फ किसानों की जेब भरेगी, बल्कि देश का आयात बिल भी घटेगा। मेहनत का फल लेने के लिए तैयार रहिए, खेत से मंडी तक नज़र रखिए!
ये भी पढ़ें- हल्दी के दाम में जोरदार तेजी मांग बढ़ी, क्या अप्रैल में 15,000 का आंकड़ा छुएगी? जानिए एक्सपर्ट्स की राय