दिसंबर का महीना शुरू होने वाला है और ये वही समय है जब पालक अपने पूरे रंग में आता है। ठंड बढ़ते ही इसकी पत्तियाँ मोटी, चमकदार और गहरे हरे रंग की हो जाती हैं, जिससे बाजार में भाव 40 से 50 रुपये किलो तक पहुँच जाता है। जय कृषि किसान क्लीनिक के नवनीत रेवापाटी कहते हैं कि पालक सबसे आसान और सबसे जल्दी पैसा देने वाली सर्दियों की फसल है। लागत कम, मेहनत कम और सिर्फ 35 से 40 दिन में तैयार।
मध्य प्रदेश के कई क्षेत्र में इस समय बड़े पैमाने पर पालक लगाई जा रही है और किसान एक महीने में ही हाथों-हाथ पैसा कमा रहे हैं। यूपी, बिहार, राजस्थान के किसान भाई भी अभी दिसंबर में बुवाई कर लें तो जनवरी-फरवरी में तीन-चार कटाई से प्रति एकड़ 80 हजार से 1 लाख तक का मुनाफा आसानी से हो जाएगा। अभी मौका है, आज ही बीज और खाद का इंतजाम कर लें।
खेत की तैयारी
पालक ज्यादा नखरे नहीं करता, बस शुरुआत अच्छी चाहिए। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर लें ताकि मिट्टी भुरभुरी और नरम हो जाए। पालक को हल्की दोमट या उपजाऊ मिट्टी सबसे पसंद है। बुवाई से पहले 8 से 10 टन अच्छी सड़ी गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह मिला दें। इससे मिट्टी हल्की रहती है, जड़ें तेजी से फैलती हैं और अलग से रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती। लागत अपने आप कम हो जाती है। खेत समतल कर लें और हल्की नमी बनाए रखें।
कौन सी किस्म चुनें
बाजार में कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं। पूसा हरित, ऑल ग्रीन, पंजाब ग्रीन, जॉब्नर ग्रीन या देसी लोकल तेज किस्में सबसे अच्छी चल रही हैं। आपके इलाके के हिसाब से स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या बीज स्टोर से सलाह लेकर ही लें। प्रमाणित बीज ही चुनें ताकि अंकुरण 100 प्रतिशत हो।
बुवाई का आसान तरीका
पालक के बीज बहुत छोटे होते हैं, इसलिए इन्हें ज्यादा गहराई में न दबाएँ। बीज को हल्की नमी वाली मिट्टी में छिटकाव विधि से बो दें। ऊपर से हल्का सा दबाकर पतली मिट्टी की परत चढ़ा दें और तुरंत हल्की सिंचाई कर दें। दिसंबर की ठंड में नमी बनाए रखना बहुत जरूरी है। प्रति हेक्टेयर 8-10 किलो बीज काफी हैं। 4-5 दिन में अंकुर निकल आते हैं।
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देखभाल और सिंचाई
पालक पानी का भारी शौकीन नहीं है। ठंड में 4 से 5 दिन में हल्की सिंचाई ही काफी है। बस इतना ध्यान रखें कि मिट्टी सूखी न पड़े। रोग-कीट बहुत कम लगते हैं, इसलिए दवा का खर्चा लगभग शून्य रहता है। 15-20 दिन बाद एक हल्की निराई-गुड़ाई कर दें, इससे पौधे खुलकर बढ़ते हैं और पत्तियाँ मोटी-चमकदार बनती हैं।
कटाई का सही समय
पालक सिर्फ 35 से 40 दिन में पूरी तरह तैयार हो जाता है। जब पत्तियाँ मोटी, बड़ा आकार और गहरा हरा रंग ले लें तो समझ लें कि समय आ गया है। एक बार में पूरी फसल काट लें या ऊपरी हिस्सा काटकर 2-3 और कटाई लें। दूसरा तरीका ज्यादा मुनाफा देता है, क्योंकि एक ही खेत से तीन-चार बार तुड़ाई हो जाती है। प्रति एकड़ 80-100 क्विंटल तक आसानी से निकल आता है।
कम लागत में कमाई 80 हजार से 1 लाख प्रति एकड़
एक एकड़ पालक में कुल खर्चा सिर्फ 15 से 20 हजार रुपये आता है। बाजार में 40-50 रुपये किलो भाव मिल रहा है। तीन-चार कटाई से 80 हजार से 1 लाख तक का शुद्ध मुनाफा हो जाता है। हरी पत्तियों की डिमांड सर्दियों में इतनी रहती है कि माल हाथों-हाथ बिक जाता है। मध्य प्रदेश के निमाड़ में किसान इसी से लाखों कमा रहे हैं।
दिसंबर का महीना पालक के लिए सोने का है। अभी बुवाई कर लें तो जनवरी-फरवरी में तीन-चार बार तुड़ाई होगी और जेब भरी रहेगी। छोटे किसान भी 10-20 कट्ठे में शुरू कर सकते हैं। आज ही बीज और खाद का इंतजाम कर लें, देर न करें।
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