धान की डबल नर्सरी : खरपतवार भी होते हैं कम, बंपर उत्पादन का जबरदस्त तरीका

किसान भाइयों, धान की डबल नर्सरी, जिसे संडा विधि भी कहते हैं, उत्पादन बढ़ाने का शानदार तरीका है। इसमें बीज को पहले छोटी नर्सरी में बोया जाता है, फिर पौधों को उखाड़कर बड़ी नर्सरी में रोपा जाता है, और अंत में खेत में। इससे पौधे मजबूत होते हैं, और पैदावार 40% तक बढ़ सकती है। ये विधि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में खूब अपनाई जा रही है। लागत कम (15,000-20,000 रुपये/बीघा) और मुनाफा ज्यादा (50,000-80,000 रुपये/बीघा) होने से छोटे-बड़े किसानों के लिए फायदेमंद है। आइए जानें संडा विधि से धान की खेती कैसे करें।

डबल नर्सरी की खासियत

संडा विधि में धान की पौध को दो बार नर्सरी में तैयार किया जाता है। पहली नर्सरी में बीज बोकर 10-15 दिन की पौध तैयार होती है, जिसे उखाड़कर दूसरी नर्सरी में ज्यादा जगह पर रोपा जाता है। इससे जड़ें मजबूत होती हैं, और पौधे तनाव सहन कर पाते हैं। खेत में रोपाई के बाद पौधे तेजी से बढ़ते हैं, और बाली में ज्यादा दाने बनते हैं। ये विधि मध्यम और छोटे दाने वाली किस्मों (पूसा बासमती, सरजू 52) के लिए बेस्ट है। रोग-कीट कम लगते हैं, और पानी की खपत 20-30% कम होती है। एक बीघा से 15-20 क्विंटल धान अतिरिक्त मिल सकता है।

खेत और नर्सरी की तैयारी

संडा विधि के लिए खेत और नर्सरी की सही तैयारी जरूरी है। दोमट, चिकनी मिट्टी (pH 5.5-7) सबसे अच्छी है। खेत की गहरी जुताई करें, 2-3 टन गोबर की खाद प्रति बीघा डालें। खेत को समतल करें, ताकि पानी बराबर बँटे।
पहली नर्सरी: 100-150 वर्ग फीट जगह लें। मिट्टी में 10 किलो गोबर खाद, 1 किलो नीम की खली मिलाएँ। 5-7 सेमी ऊँची क्यारी बनाएँ।
दूसरी नर्सरी: 300-400 वर्ग फीट जगह लें। मिट्टी को भुरभुरा करें, 20 किलो गोबर खाद डालें। दोनों नर्सरी में जलनिकासी का ध्यान रखें। जून में नर्सरी शुरू करें, ताकि मॉनसून का फायदा मिले। सही तैयारी से पौधे स्वस्थ और मजबूत उगते हैं।

बीज और रोपण का तरीका

उन्नत किस्म के बीज (पूसा 1121, शबनम) चुनें। प्रति बीघा 8-10 किलो बीज (200-300 रुपये/किलो) चाहिए। बीज को 12 घंटे पानी में भिगोएँ, फिर जीवामृत (500 मिलीलीटर/किलो) से उपचारित करें।
पहली नर्सरी: बीज को 2-3 सेमी दूरी पर छिड़कें। हल्की मिट्टी की परत डालें। 10-15 दिन में पौधे 10-12 सेमी के हो जाएँ।
दूसरी नर्सरी: पौधों को सावधानी से उखाड़ें और 10×10 सेमी दूरी पर रोपें। 15-20 दिन बाद पौधे 20-25 सेमी के हो जाएँ।
खेत में रोपाई: जुलाई में पौधों को 20×15 सेमी दूरी पर खेत में रोपें। रोपाई से पहले खेत में 5 सेमी पानी रखें। सही रोपण से पौधे तेजी से बढ़ते हैं, और फसल 100-120 दिन में तैयार होती है।

देखभाल और सही समय पर सिंचाई

संडा विधि में देखभाल आसान है। पहली नर्सरी में हर 2-3 दिन हल्की सिंचाई करें। दूसरी नर्सरी में 4-5 दिन बाद पानी दें। खेत में रोपाई के बाद 5-7 दिन के अंतर पर 5 सेमी पानी रखें। ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत होती है। हर 15 दिन में 500 किलो वर्मी कम्पोस्ट या जीवामृत (50 लीटर/बीघा) डालें। खरपतवार हटाने के लिए 20-25 दिन बाद गुड़ाई करें। झोंका, गंधी बग से बचाने के लिए नीम का तेल (5 मिलीलीटर/लीटर पानी) छिड़कें। सही देखभाल से एक पौधा 50-60 दाने वाली बाली देता है, और उपज बढ़ती है।

कटाई और उत्पादन का हिसाब

धान की कटाई 100-120 दिन बाद करें, जब दाने सुनहरे हों। सुबह काटें, ताकि नमी कम हो। संडा विधि से एक बीघा में 25-30 क्विंटल धान मिलता है, जबकि सामान्य तरीके से 15-20 क्विंटल। 40% ज्यादा उपज से 10-12 क्विंटल अतिरिक्त धान (15,000-20,000 रुपये) मिलता है। धान को छाया में सुखाकर मंडी, चावल मिल, या ऑनलाइन (Farmkart) बेचें। बासमती धान 3,000-4,000 रुपये/क्विंटल बिकता है। भूसा 5,000-7,000 रुपये अतिरिक्त देता है। जैविक धान को 20-30% ज्यादा दाम मिलता है।

सावधानियाँ और टिप्स

संडा विधि में कुछ बातों का ध्यान रखें। स्वस्थ, उन्नत बीज चुनें। पौधों को उखाड़ते समय जड़ें न टूटें। दूसरी नर्सरी में ज्यादा भीड़ न करें, ताकि पौधे मजबूत हों। खेत में पानी का स्तर 5 सेमी से ज्यादा न हो। रासायनिक खाद से बचें, जैविक खाद इस्तेमाल करें। स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह लें। छोटे किसान 0.5 बीघा से शुरू करें। सरकारी योजनाओं से बीज पर सब्सिडी लें। संडा विधि आपकी मेहनत को 40% ज्यादा फसल और कमाई में बदल सकती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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