धान की खेती में गंधक, बोरॉन, जिंक का सही उपयोग, उत्पादन दोगुनी करने वाला फॉर्मूला, जिसे अब तक बहुत से किसान नहीं जानते

Dhan Micronutrients Use: धान भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसल है, जो लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। अच्छी उपज के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश के साथ-साथ गंधक (Sulphur), बोरॉन (Boron), और जिंक (Zinc) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी जरूरी हैं। ये तत्व पौधों की बढ़वार, कल्ले निकलने, और दाना भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी कमी से फसल कमजोर होती है और उपज 20-30% तक घट सकती है। ICAR के अनुसार, संतुलित पोषण से धान की उपज 15-25% बढ़ सकती है। यह लेख गंधक, बोरॉन, और जिंक के उपयोग, कमी के लक्षण, सही मात्रा, और जैविक विकल्पों की पूरी जानकारी देगा।

गंधक का महत्व

गंधक एक माध्यमिक पोषक तत्व है, जो पौधों में क्लोरोफिल निर्माण, प्रोटीन संश्लेषण, और एंजाइम गतिविधियों के लिए जरूरी है। यह धान के पौधों को हरा-भरा रखता है और दाने के विकास को बढ़ाता है। गंधक की कमी से नई पत्तियां हल्की पीली पड़ जाती हैं, पौधे छोटे और कमजोर रहते हैं, और कल्ले कम निकलते हैं। दाने का विकास भी अधूरा रहता है, जिससे उपज घटती है। मिट्टी में गंधक की कमी आमतौर पर रेतीली और कम जैविक पदार्थ वाली मिट्टी में देखी जाती है। ICAR की सलाह है कि गंधक का उपयोग बुवाई या रोपाई के समय करें।

गंधक का सही उपयोग

धान के खेत में गंधक की जरूरत 15-20 किलो प्रति एकड़ है। बेंटोनाइट सल्फर (90% गंधक) या अमोनियम सल्फेट (24% गंधक) का उपयोग करें। बुवाई या रोपाई के समय इसे मिट्टी में बेसल डोज के रूप में मिलाएं। लागत 300-500 रुपये/20 किलो है। जैविक खेती के लिए नीम खली (2 टन/एकड़) या गोबर खाद (10 टन/एकड़) में गंधक प्राकृतिक रूप से मिलता है। गंधक का उपयोग मिट्टी की जांच के बाद करें, क्योंकि अधिक मात्रा से मिट्टी अम्लीय हो सकती है। इसे सुबह या शाम को डालें, ताकि पौधों को नुकसान न हो।

बोरॉन की भूमिका

बोरॉन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो कोशिका विभाजन, परागण, और बीज विकास के लिए जरूरी है। यह धान में दाने के भराव और फूलों की संख्या को बढ़ाता है। बोरॉन की कमी से नई पत्तियां मुड़ जाती हैं, उनके किनारे सूखने लगते हैं, और कल्ले कम निकलते हैं। दाने हल्के और खोखले रहते हैं, जिससे उपज 10-15% कम हो सकती है। बोरॉन की कमी आमतौर पर क्षारीय मिट्टी (pH 7.5 से अधिक) में देखी जाती है। KVK के विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बोरॉन का उपयोग फूल आने से पहले करें।

बोरॉन का सही उपयोग

धान के लिए बोरॉन की मात्रा 1-2 किलो प्रति एकड़ है। बोरैक्स (11% बोरॉन) या सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण का उपयोग करें। इसे टॉप ड्रेसिंग के रूप में मिट्टी में डालें या 0.2% घोल (2 ग्राम/लीटर पानी) बनाकर छिड़काव करें। फूल आने से पहले (30-35 दिन बाद) छिड़काव सबसे प्रभावी है। लागत 200-300 रुपये/किलो है। जैविक खेती में वर्मीकम्पोस्ट (5 टन/एकड़) बोरॉन की पूर्ति करता है। छिड़काव सुबह या शाम को करें, ताकि पत्तियां न जलें। अधिक बोरॉन से पौधों को नुकसान हो सकता है, इसलिए मात्रा सटीक रखें।

जिंक का महत्व

जिंक पौधों के हार्मोनल संतुलन, प्रोटीन निर्माण, और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी है। यह धान में कल्ले निकलने, पत्तियों की वृद्धि, और दाने के विकास को बढ़ाता है। जिंक की कमी से पत्तियों पर हल्की भूरी धारियां दिखती हैं, नई पत्तियां छोटी और संकरी रहती हैं, और पौधे बौने रह जाते हैं। इससे उपज 15-20% तक कम हो सकती है। जिंक की कमी रेतीली और क्षारीय मिट्टी में आम है। ICAR की सलाह है कि जिंक का उपयोग दो बार करें—रोपाई और टिलरिंग स्टेज पर।

जिंक का सही उपयोग

धान के लिए 5 किलो जिंक सल्फेट (21% Zn) प्रति एकड़ पर्याप्त है। इसे बुवाई या रोपाई के समय बेसल डोज के रूप में और टिलरिंग स्टेज (20-25 दिन बाद) टॉप ड्रेसिंग के रूप में डालें। छिड़काव के लिए 0.5% घोल (5 ग्राम/लीटर पानी) बनाएं। लागत 150-200 रुपये/5 किलो है। जैविक खेती में जिंक घोल या जैविक जिंक सॉल्यूशन (200-300 रुपये/लीटर) उपयोगी हैं। जिंक डालते समय मिट्टी नम होनी चाहिए। अधिक मात्रा से पौधों की जड़ें प्रभावित हो सकती हैं, इसलिए लेबल पर लिखी मात्रा का पालन करें।

संयुक्त उपयोग की रणनीति

गंधक, बोरॉन, और जिंक का संयुक्त उपयोग धान को संतुलित पोषण देता है। मिट्टी जांच करवाएं, ताकि इन तत्वों की कमी और मात्रा का सही आकलन हो। रोपाई के समय गंधक (15-20 किलो/एकड़) और जिंक (5 किलो/एकड़) को बेसल डोज के रूप में मिट्टी में मिलाएं। बोरॉन (1-2 किलो/एकड़) को 30-35 दिन बाद छिड़काव के रूप में दें। बायोफर्टिलाइज़र (जैसे अज़ोटोबैक्टर, 5 किलो/एकड़) और वर्मीकम्पोस्ट (5 टन/एकड़) इन तत्वों की पूर्ति प्राकृतिक रूप से करते हैं। संयुक्त उपयोग से उपज 20-25% बढ़ सकती है। छिड़काव सुबह या शाम को करें, ताकि पत्तियां सुरक्षित रहें।

मिट्टी जांच और सावधानियां

मिट्टी जांच के बिना सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग न करें। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और ICAR के मृदा परीक्षण केंद्र मुफ्त या कम लागत (100-200 रुपये) में जांच करते हैं। अधिक गंधक से मिट्टी अम्लीय, अधिक बोरॉन से पत्तियां झुलसने, और अधिक जिंक से जड़ें कमजोर हो सकती हैं। रसायनों की मात्रा लेबल के अनुसार रखें। जैविक खेती में नीम खली, गोबर खाद, और वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करें। छिड़काव के दौरान मास्क और दस्ताने पहनें।

लागत और मुनाफा

गंधक (20 किलो) की लागत 300-500 रुपये, बोरॉन (2 किलो) की लागत 200-300 रुपये, और जिंक (5 किलो) की लागत 150-200 रुपये प्रति एकड़ है। कुल लागत 650-1000 रुपये/एकड़ है। जैविक विकल्पों (वर्मीकम्पोस्ट, नीम खली) की लागत 1000-1500 रुपये/एकड़ है। इन तत्वों के उपयोग से उपज 50-60 क्विंटल/एकड़ तक हो सकती है, जो बिना उपयोग के 40-50 क्विंटल होती है। धान की कीमत 2000-2500 रुपये/क्विंटल मानें, तो अतिरिक्त 10 क्विंटल से 20,000-25,000 रुपये का मुनाफा होता है। लागत निकालने के बाद शुद्ध लाभ 19,000-24,000 रुपये/एकड़ है।

सरकारी सहायता और प्रशिक्षण

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और KVK धान की खेती के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों पर प्रशिक्षण और 30-50% सब्सिडी देते हैं। राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य मिशन मिट्टी जांच और उर्वरकों पर सहायता प्रदान करता है। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से 1.6 लाख रुपये तक ब्याजमुक्त लोन लें। ICAR के केंद्र (जैसे लखनऊ, भुवनेश्वर) उर्वरक उपयोग पर कार्यशालाएं आयोजित करते हैं। icar.gov.in पर जानकारी उपलब्ध है। नजदीकी KVK से संपर्क करें।

संतुलित पोषण, समृद्ध फसल

गंधक, बोरॉन, और जिंक धान की खेती में छोटे लेकिन शक्तिशाली तत्व हैं। इनका सही उपयोग पौधों को हरा-भरा, रोगमुक्त, और दाने से भरपूर बनाता है। मिट्टी जांच, संतुलित मात्रा, और जैविक विकल्पों से उपज 20-25% बढ़ सकती है। 2025 में KVK से प्रशिक्षण और सब्सिडी लें, और इन सूक्ष्म पोषक तत्वों को अपनाकर धान की खेती को लाभकारी बनाएं। यह आपके खेत और समृद्धि का आधार बनेगा।

ये भी पढ़ें – सिर्फ इतने रुपये में मिलेगी धान बुवाई की टॉप मशीन, छोटे किसानों के लिए है वरदान

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment