किसान भाइयों के लिए धान की खेती मेहनत और उम्मीद का मेल है। अगर आपके खेत में धान की रोपाई को लगभग 50 दिन हो चुके हैं, तो यह समय फसल को नई ताकत देने का है। इस चरण में सही खाद प्रबंधन से न सिर्फ जड़ें और मजबूत होती हैं, बल्कि फुटाव (कल्ले निकलना) और दाने की गुणवत्ता भी बढ़ती है, जिससे पैदावार में भारी वृद्धि होती है। चाहे आप उत्तर प्रदेश, बिहार, या पंजाब में खेती करते हों, इस समय सही खाद और देसी नुस्खों का इस्तेमाल आपकी फसल को बंपर मुनाफा दे सकता है। आइए जानें कि रोपाई के 50 दिन बाद क्या करें।
50 दिन बाद फसल की जरूरतें
धान की रोपाई के बाद अब पौधे फुटाव और बालियां बनने के चरण में होते हैं। इस समय पौधों को नाइट्रोजन और पोटाश की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, ताकि कल्ले मजबूत हों और दाने अच्छे बनें। अगर जड़ें पहले से मजबूत हैं, तो अब खाद का सही इस्तेमाल फसल की पैदावार को 20-30% तक बढ़ा सकता है। इस चरण में मिट्टी की नमी और पौधों की स्थिति को देखकर खाद डालना जरूरी है। अगर खेत में पानी खड़ा है, तो खाद को पानी में घोलकर देना बेहतर होता है। हमारे देसी किसान इस समय सावधानी बरतकर अपनी मेहनत का पूरा फल पा सकते हैं।
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नाइट्रोजन और पोटाश का सही मेल
रोपाई के 50 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 30-40 किलोग्राम नाइट्रोजन (65-85 किलोग्राम यूरिया) डालें। इसे दो हिस्सों में बांटकर दें—पहली खुराक 50वें दिन और दूसरी 60-65वें दिन। इससे फुटाव बढ़ता है और बालियां मजबूत होती हैं। साथ ही, 20 किलोग्राम पोटाश (33 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश) डालें, जो दानों को भारी और चमकदार बनाता है। अगर मिट्टी में जिंक की कमी दिखे, तो 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर छिड़कें। खाद डालते समय खेत में हल्का पानी होना चाहिए, ताकि पोषक तत्व जड़ों तक अच्छे से पहुंचें। यह तरीका फसल की पैदावार को भयंकर बढ़ा सकता है।
देसी नुस्खों से बढ़ाएं फसल की ताकत
हमारे गाँवों में जैविक खाद का इस्तेमाल पुराने समय से होता आया है। गोमूत्र को 1:10 के अनुपात में पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह पौधों को नाइट्रोजन देता है और रोगों से बचाता है। अगर आपके पास वर्मीकम्पोस्ट है, तो 500 किलोग्राम प्रति एकड़ छिड़कें। अजोला, एक प्राकृतिक जैव उर्वरक, भी इस समय खेत में डाला जा सकता है। इसे 5-7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में फैलाएं। यह नाइट्रोजन की पूर्ति करता है और फुटाव को बढ़ाता है। खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए 2-4D जैसे खरपतवारनाशी का इस्तेमाल करें, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले।
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कीटों और रोगों से सावधानी
इस चरण में खैरा रोग और तना छेदक जैसे कीट फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। खैरा रोग से बचाव के लिए 800 ग्राम जिंक सल्फेट और 400 ग्राम बुझा हुआ चूना 180 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। तना छेदक और अन्य कीटों के लिए नीम के तेल का घोल (2-3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) बनाकर छिड़काव करें। यह देसी नुस्खा पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता और फसल को सुरक्षित रखता है। खेत को साफ रखें और पुराने पौधों के अवशेष हटाएं, ताकि रोग न फैलें। सुबह या शाम के समय छिड़काव करें, ताकि दवा अच्छे से काम करे।
बंपर पैदावार का गणित
रोपाई बाद सही खाद प्रबंधन से धान की पैदावार 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ सकती है। इस समय खाद और कीट प्रबंधन की लागत प्रति हेक्टेयर 5,000-7,000 रुपये आती है। बाजार में धान का भाव 2,000-2,500 रुपये प्रति क्विंटल रहता है। अच्छे प्रबंधन से एक हेक्टेयर में 60,000-80,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर आप इसे छोटे खेत में उगाते हैं, तो भी स्थानीय बाजार में बेचकर अच्छी कमाई हो सकती है। मजबूत फुटाव और भारी दाने आपकी फसल को बाजार में अलग पहचान देंगे।
केंद्र और राज्य सरकारें धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत बीज, खाद, और उपकरणों पर 50-60% सब्सिडी मिल सकती है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें और इन योजनाओं का लाभ उठाएं। साथ ही, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-NRRI) और स्थानीय कृषि विश्वविद्यालयों की ट्रेनिंग में हिस्सा लें। ये ट्रेनिंग आपको नई तकनीकों और देसी नुस्खों से खेती को बेहतर बनाने में मदद करेंगी।
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