किसान भाइयों, मध्य प्रदेश सरकार की डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना पशुपालकों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह योजना दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने, पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई है। खास बात यह है कि योजना के तहत एक ही नस्ल के 25 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने पर 25-33% सब्सिडी दी जाती है। यह फसल भारत देश के ग्रामीण किसानों, खासकर छोटे और सीमांत पशुपालकों, के लिए आय दोगुनी करने का रास्ता खोलती है। इस लेख में हम आपको इस योजना की पूरी जानकारी, सब्सिडी, पशु नस्लें, और मुनाफे के तरीके बताएंगे, ताकि आप इसे शुरू करके समृद्धि की राह पर चल सकें।
योजना का उद्देश्य और लाभ
डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना मध्य प्रदेश में दुग्ध क्रांति लाने के लिए शुरू की गई है। इसका मुख्य लक्ष्य पशुपालकों को आर्थिक सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण, और उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध कराना है। योजना के तहत 25 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने की लागत का 25-33% हिस्सा सरकार सब्सिडी के रूप में देती है। एक इकाई की अधिकतम लागत 42 लाख रुपये है। SC/ST वर्ग के पशुपालकों को 33% और अन्य वर्गों को 25% सब्सिडी मिलती है। यह योजना ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर काम करती है, और दुग्ध संघों से जुड़े पशुपालकों को प्राथमिकता दी जाती है। योजना नस्ल सुधार, बांझपन निवारण, और जैविक खेती को भी बढ़ावा देती है।
पशु चयन का नियम
योजना की सबसे खास शर्त यह है कि एक डेयरी इकाई में सभी 25 पशु एक ही नस्ल के होने चाहिए। इससे दूध उत्पादन में एकरूपता, प्रबंधन में आसानी, और नस्ल सुधार में मदद मिलती है। पशुपालक अपनी पसंद के अनुसार गाय या भैंस चुन सकते हैं, लेकिन एक इकाई में सभी पशु या तो गाय (देशी/संकर) या भैंस होने चाहिए। उदाहरण के लिए, आप 25 मुर्रा भैंस या 25 साहिवाल गाय चुन सकते हैं, लेकिन इन्हें मिलाना नहीं होगा। एक पशुपालक अधिकतम 8 इकाइयां (200 पशु) ले सकता है, और हर इकाई में नस्ल बदलने की छूट है। इससे पशुपालक अपनी जरूरत और बाजार की मांग के हिसाब से लचीलापन रख सकते हैं।
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पशुपालन के लिए जरूरी शर्तें
इस योजना (Dr. Bhimrao Ambedkar Kamdhenu Scheme 2025) का लाभ लेने के लिए पशुपालक को मध्य प्रदेश का मूल निवासी होना जरूरी है। साथ ही, उसे किसी शासकीय संस्थान से पशुपालन का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। हालांकि, पशुपालन या कृषि में UG/PG डिग्री वालों को प्रशिक्षण से छूट मिलती है। डेयरी स्थापित करने के लिए कम से कम 25 दुधारू पशुओं की इकाई जरूरी है। खेत में पानी, बिजली, और चारे की व्यवस्था होनी चाहिए। योजना में दुग्ध संघों या सहकारी समितियों से जुड़े पशुपालकों को प्राथमिकता दी जाती है, खासकर जो पहले से दूध सप्लाई कर रहे हैं। यह योजना जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देती है, इसलिए गोबर और मूत्र का उपयोग खाद या बायोगैस के लिए करने की सलाह दी जाती है।
सब्सिडी के लिए पात्र पशु
योजना के तहत निम्नलिखित उन्नत नस्लों के पशु खरीदे जा सकते हैं:
देशी गाय: साहिवाल, गिर, थारपारकर, रेड सिंधी।
संकर गाय: HF (होल्स्टीन फ्रिजियन), जर्सी।
भैंस: मुर्रा, भदावरी, सूरती, मेहसाना।
ये नस्लें अधिक दूध देती हैं और स्वास्थ्य के लिहाज से मजबूत होती हैं। उदाहरण के लिए, मुर्रा भैंस रोजाना 15-20 लीटर और साहिवाल गाय 10-15 लीटर दूध दे सकती है। पशुओं को ICAR, पशुपालन विभाग, या प्रमाणित डेयरी फार्म से खरीदें।
लागत और आर्थिक सहायता
एक डेयरी इकाई (25 पशु) की लागत नस्ल के आधार पर 36-42 लाख रुपये है। देशी गाय की इकाई की लागत लगभग 36 लाख रुपये और संकर गाय/भैंस की इकाई की लागत 42 लाख रुपये तक हो सकती है। सरकार इस लागत पर 25% (सामान्य वर्ग) से 33% (SC/ST) सब्सिडी देती है। यानी, एक 42 लाख की इकाई पर 10.5-13.86 लाख रुपये की सब्सिडी मिल सकती है। इसके अलावा, सहकारी बैंकों से 0% ब्याज पर क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे पशु खरीद, चारा, और शेड निर्माण आसान हो जाता है। अगर पशुपालक एक बार ऋण चुका देता है, तो वह दोबारा योजना का लाभ ले सकता है।
डेयरी की शुरुआत
डेयरी स्थापना के लिए सबसे पहले अपने जिला पशुपालन कार्यालय में संपर्क करें। वहां से आवेदन फॉर्म और दिशा-निर्देश लें। डेयरी के लिए 25 पशुओं का शेड, दूध निकालने की मशीन, चारा भंडारण, और पानी की टंकी जरूरी है। शेड का निर्माण हवादार और साफ-सुथरा करें। प्रत्येक पशु को रोजाना 5-7 किलो हरा चारा, 3-4 किलो सूखा चारा, और 1-2 किलो दाना देना होगा। गोबर से वर्मीकम्पोस्ट या बायोगैस बनाकर अतिरिक्त आय की जा सकती है। पशुओं का टीकाकरण और नियमित स्वास्थ्य जाँच करवाएं। मछली पालन या सब्जी खेती के साथ सह-खेती से आय बढ़ सकती है।
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नस्ल सुधार का जादू
योजना के तहत नस्ल सुधार के लिए भ्रूण ट्रांसप्लांट कार्यक्रम चलाया जाता है। इससे पशुपालक उन्नत नस्ल के बछड़े पैदा कर सकते हैं, जो अधिक दूध देते हैं। इसके अलावा, बांझ निवारण शिविर आयोजित किए जाते हैं, ताकि पशुओं की प्रजनन क्षमता बढ़े। यह सुविधा पशुपालकों को मुफ्त या कम लागत में मिलती है। उन्नत नस्ल के पशु न केवल दूध उत्पादन बढ़ाते हैं, बल्कि उनकी बिक्री से भी अच्छा मुनाफा होता है।
आय और लाभ
एक इकाई (25 पशु) से रोजाना 250-300 लीटर दूध मिल सकता है। अगर दूध 50 रुपये प्रति लीटर बिकता है, तो रोजाना 12,500-15,000 रुपये की आय हो सकती है। मासिक आय 3.75-4.5 लाख रुपये और सालाना आय 45-54 लाख रुपये तक हो सकती है। लागत (चारा, मजदूरी, रखरखाव) 20-25 लाख रुपये सालाना हो सकती है। सब्सिडी के बाद शुद्ध मुनाफा 15-20 लाख रुपये प्रति वर्ष संभव है। गोबर से खाद (2-3 लाख रुपये) और बछड़ों की बिक्री (1-2 लाख रुपये) से अतिरिक्त आय हो सकती है। सहकारी दुग्ध संघों में दूध बेचने से MSP का लाभ मिलता है।
कैसे उठाएं लाभ?
योजना का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएं:
अपने जिला पशुपालन कार्यालय या सहकारी दुग्ध संघ में संपर्क करें।
आवेदन फॉर्म भरें और जरूरी दस्तावेज (आधार, निवास प्रमाण, बैंक खाता, प्रशिक्षण प्रमाणपत्र) जमा करें।
डेयरी स्थापना के लिए प्रस्ताव और लागत विवरण तैयार करें।
पशुओं की खरीद ICAR या प्रमाणित डेयरी फार्म से करें।
सब्सिडी और क्रेडिट कार्ड के लिए सहकारी बैंक से संपर्क करें।
आवेदन ऑनलाइन पोर्टल (mp.gov.in या dahd.maharashtra.gov.in) पर भी जमा किए जा सकते हैं।
बाजार दूध और उत्पादों की बिक्री
दूध को स्थानीय दुग्ध संघों, eNAM पोर्टल, या सहकारी समितियों में बेचें। जैविक दूध को प्रमाणन के साथ प्रीमियम कीमत पर बेचा जा सकता है। दही, पनीर, घी, और खोया जैसे उत्पाद बनाकर मुनाफा बढ़ाएं। गोबर से वर्मीकम्पोस्ट, बायोगैस, या जैविक खाद बनाकर बेचें। डेयरी खेती, जैविक उत्पाद, और सफलता की कहानियां शेयर करें। मछली पालन या सब्जी खेती के साथ सह-खेती को बढ़ावा दें।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना मध्य प्रदेश के पशुपालकों के लिए बंपर मुनाफे का रास्ता है। यह योजना एक ही नस्ल के पशुओं से दूध की धारा बहाने और गाँवों को समृद्ध करने का मौका देती है। चाहे आप दूध बेचें, जैविक खाद बनाएं, या सह-खेती करें, यह आपकी आय दोगुनी करेगी। आज ही अपने नजदीकी पशुपालन कार्यालय से संपर्क करें, आवेदन करें, और वैज्ञानिक पशुपालन शुरू करें। यह आपके परिवार और गाँव की समृद्धि का आधार बनेगा।
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