Dragon fruit farming: भारत में ड्रैगन फ्रूट, जिसे संस्कृत के शब्द कमल से प्रेरित होकर कमलम भी कहा जाता है, की खेती तेजी से बढ़ रही है। इस फल की खासियत और इसके औषधीय गुणों की वजह से यह किसानों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। वियतनाम इस फल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन अब भारत के कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों में भी किसान इसकी ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र और सरकार द्वारा बनाए गए उत्कृष्टता केंद्र किसानों को इस नई फसल की खेती के लिए प्रशिक्षण और पौधे उपलब्ध करा रहे हैं।
यूपी के किसानों के लिए नया विकल्प
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब तक किसान गेहूं, धान और गन्ने जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे। लेकिन अब सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति डॉ. के.के. सिंह और प्रोफेसर डॉ. अरविंद राणा के प्रयास से ड्रैगन फ्रूट की खेती यहां भी शुरू हो गई है। विश्वविद्यालय ने इसे प्रदर्शन स्वरूप लगाया है ताकि किसान इसकी तकनीक सीख सकें और अपने खेतों में अपनाकर मुनाफा कमा सकें। किसान अधिक जानकारी और मार्गदर्शन के लिए सीधे विश्वविद्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
एक एकड़ से लाखों की आमदनी
ड्रैगन फ्रूट की खासियत यह है कि एक पौधा साल में तीन से चार बार फल देता है। प्रत्येक पौधे से 50 से 120 तक फल मिलते हैं, जिनका वजन 300 से 800 ग्राम तक होता है। बाजार में इसकी कीमत ₹100 से ₹200 प्रति किलो तक रहती है। एक एकड़ की खेती से किसान 8 से 12 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं, जिसका मतलब है कि 8 से 24 लाख रुपये तक की कमाई संभव है। चूंकि इस फसल पर कीट और रोग कम लगते हैं, इसलिए इसकी लागत भी बहुत कम आती है और रासायनिक खाद की जरूरत भी सीमित होती है।
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औषधीय गुणों से भरपूर फल
ड्रैगन फ्रूट को दुनिया भर में “21वीं सदी का चमत्कारिक फल” कहा जाता है। यह एक बारहमासी कैक्टस है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन और मिनरल भरपूर पाए जाते हैं। इसका सेवन शरीर को ऊर्जा देता है, पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और मधुमेह तथा हृदय रोग जैसी बीमारियों से बचाव करता है। इसकी खेती की शुरुआत दक्षिणी मैक्सिको और दक्षिण अमेरिका में हुई थी, लेकिन आज यह एशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय व उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में भी बड़े पैमाने पर की जा रही है।
22 देशों में होती है खेती
ड्रैगन फ्रूट का नाम इसके छिलके पर बने शल्क जैसे डिजाइन से पड़ा है, जो पौराणिक ड्रैगन की तरह दिखते हैं। यह फल आज कम से कम 22 देशों में उगाया जा रहा है। ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार, फ्रांसीसियों ने करीब 100 साल पहले वियतनाम में इसकी खेती शुरू की थी, जहां पहले इसे केवल राजा के लिए उगाया जाता था। बाद में यह अमीर परिवारों में लोकप्रिय हुआ और अब आम किसानों तक पहुंच गया है।
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