गर्मी के मौसम में कम पानी में इस तकनीक से करें सिंचाई, फसल उत्पादन होगा जबरदस्त

Drip Irrigation Systems : किसान भाइयों, गाँव में पानी की हर बूँद कीमती होती है, और खेती-बागवानी में इसे सही इस्तेमाल करना हमारी जिम्मेदारी है। ड्रिप सिंचाई एक ऐसा तरीका है, जो पौधों की जड़ों तक पानी सीधे पहुँचाता है और बर्बादी को रोकता है। ये न सिर्फ खेत के लिए, बल्कि बगीचे के छोटे-बड़े पौधों के लिए भी कमाल का है। गाँव में जहाँ पानी कम हो, वहाँ ये तकनीक फसल को हरा-भरा रखती है। आइए, समझें कि ड्रिप सिंचाई कैसे करें और फायदा कैसे उठाएँ।

ड्रिप सिंचाई का मतलब

ड्रिप सिंचाई का मतलब है पानी को बूँद-बूँद करके पौधों तक पहुँचाना। इसमें पतली नलियों का जाल बिछाया जाता है, जो हर पौधे की जड़ के पास पानी छोड़ती हैं। गाँव में इसे टपक सिंचाई भी कहते हैं, क्यूँकि ये पानी को टपक-टपक कर देता है। इससे खेत में पानी ऊपर-ऊपर नहीं बहता, बल्कि सीधे जड़ों में जाता है। ये तरीका पुराने नहर वाले ढंग से बेहतर है, क्यूँकि इसमें 50-70 प्रतिशत पानी बच जाता है। गाँव में इसे लगाना शुरू में थोड़ा खर्चीला है, लेकिन फायदा लंबा चलता है।

खेत और बगीचे में लगाने का तरीका

ड्रिप सिंचाई शुरू करने के लिए पहले खेत या बगीचे की नाप लें। फिर बाजार से ड्रिप किट लें, जिसमें मुख्य पाइप, छोटी नलियाँ और ड्रिपर होते हैं। खेत में पानी का टैंक या कुआँ हो, तो उससे मुख्य पाइप जोड़ दें। छोटी नलियों को पौधों की कतार में बिछाएँ, हर पौधे के पास एक ड्रिपर लगाएँ। गाँव में बाँस या लकड़ी से पाइप को सहारा दे सकते हैं, ताकि वो टिके रहें। बगीचे में फलदार पेड़ों जैसे आम, अमरूद या नींबू के लिए भी यही तरीका अपनाएँ। पानी को दिन में 1-2 घंटे चलाएँ, जड़ें गीली हो जाएँगी और बाकी पानी बचेगा।

पानी और मेहनत की बचत

ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) का सबसे बड़ा फायदा है पानी की बचत। जहाँ नहर से सिंचाई में एक बीघे को 10 हज़ार लीटर पानी चाहिए, वहाँ ड्रिप से 3-4 हज़ार लीटर में काम हो जाता है। गाँव में सूखे के दिन हों, तो ये तकनीक फसल को बचा लेती है। साथ ही, मेहनत भी कम लगती है, क्यूँकि पानी अपने आप पौधों तक पहुँच जाता है। खेत में घास कम उगती है, क्यूँकि पानी सिर्फ जड़ों तक जाता है, बाकी जगह सूखी रहती है। गाँव में जहाँ बिजली कम हो, वहाँ सोलर पंप से इसे चलाएँ, खर्चा और कम होगा।

फसल और बगीचे का फायदा

इस तरीके से धान, गेहूँ, मक्का या सब्जियाँ जैसे टमाटर, मिर्च, बैंगन की फसल बढ़िया होती है। बगीचे में फलदार पेड़ों को भी इसका लाभ मिलता है, फल बड़े और रसीले होते हैं। गाँव में एक बीघे से अगर 10 क्विंटल फसल मिलती थी, तो ड्रिप से 12-15 क्विंटल तक हो सकता है। बाजार में अच्छा भाव मिले, तो 20-30 हज़ार रुपये की अतिरिक्त कमाई हो सकती है। ये तकनीक मिट्टी को भी बंजर होने से बचाती है,अधिक सिंचाई करने से मिट्टी की उपजाऊ तत्व रिसकर निचे चली जाती और मिट्टी अनुपजाऊ हो जाती है, इस तकनीक से पानी का सही इस्तेमाल होता है।

देसी जुगाड़ और सावधानी

गाँव में ड्रिप सिस्टम (Drip Irrigation Systems) को सस्ता करने के लिए पुरानी बोतलों से भी जुगाड़ कर सकते हैं। बोतल में छेद करके उसे पौधे के पास उल्टा लटका दें, पानी धीरे-धीरे टपकेगा। बस इतना ध्यान रखें कि नलियाँ जाम न हों, हर हफ्ते साफ करें। ज्यादा पानी न चलाएँ, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। गाँव में इसे लगाने के लिए सरकारी मदद भी मिलती है, थोड़ा पूछताछ कर लें। तो भाइयों, ड्रिप सिंचाई को अपनाएँ, पानी बचाएँ और फसल बढ़ाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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