Drought resistant crops : किसान भाइयों, गाँव में कई बार पानी की कमी खेती को मुश्किल बना देती है, पर कुछ फसलें ऐसी हैं जो सूखे को सहन कर लेती हैं और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं। बाजरा, ज्वार, मूँग और सहजन जैसी फसलें इसके लिए बढ़िया हैं। ये फसलें न सिर्फ खेत को हरा रखती हैं, बल्कि कम मेहनत में ठीक-ठाक कमाई भी कराती हैं। गाँव में जहाँ बारिश कम हो, वहाँ ये तरीका बहुत काम आता है। आइए, समझें कि सूखा सहनशील फसलों की खेती कैसे करें और फायदा कैसे लें।
खेत को तैयार करने का सरल तरीका
सूखा सहनशील फसलों की खेती के लिए खेत को पहले सही करना पड़ता है। मई-जून में, जब बारिश की थोड़ी उम्मीद हो, खेत की हल्की जुताई करें। मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद डालें, एक बीघे में 5-7 गट्ठर डालना ठीक रहेगा। गाँव में नीम की सूखी पत्तियाँ या भूसा मिलाएँ, ये मिट्टी को पानी रोकने की ताकत देगा। छोटी-छोटी मेड़ें बनाएँ, ताकि बारिश का पानी खेत में रुके। अगर पानी जमा करने का गड्ढा बना सकें, तो सूखे में फायदा होगा। ऐसा करने से खेत इन फसलों के लिए तैयार हो जाएगा।
बुआई का सहज ढंग
इन फसलों में बाजरा, ज्वार, मूँग और सहजन बो सकते हैं। बाजरे के बीज को 2-3 फीट की दूरी पर बोएँ, ये कम पानी में जल्दी बढ़ता है। ज्वार को मेड़ों पर लगाएँ, ये चारा और अनाज दोनों देगा। मूँग की बुआई मार्च ,मई जून -जुलाई में करें, ये कम पानी में भी फलियाँ देती है। सहजन के पौधे नर्सरी से लें और 5-6 फीट की दूरी पर रोपें, ये सालों तक फल देगा। गाँव में बाजरे और मूँग के बीज को हल्का भिगो लें, अंकुर जल्दी निकलते हैं। बुआई के बाद थोड़ा पानी डालें, पर ज्यादा गीलापन न करें।
देखभाल का साधारण उपाय
इन फसलों को ज्यादा पानी नहीं चाहिए। शुरू में हफ्ते में एक बार पानी दें, अगर बारिश हो तो और कम करें। गाँव में टपक सिंचाई का इंतजाम हो तो पानी बचता है। सहजन को नीम का पानी छिड़कें, कीटों से बचाव होगा। बाजरे और ज्वार में घास निकले तो हाथ से हटाएँ। मूँग में फूल आने पर गोबर का घोल डालें, इससे फलियाँ बढ़ेंगी। गाँव में तेज धूप से बचाने के लिए नीम या बबूल की छाया का फायदा लें। ऐसा करने से फसल मजबूत रहेगी और सूखे में भी टिकेगी।
फसल और कमाई का फायदा
बाजरा और ज्वार 70-90 दिन में तैयार हो जाते हैं, मूँग 60-70 दिन में फल देती है, और सहजन सालभर चलता है। एक बीघे से बाजरे का 5-7 क्विंटल, ज्वार का 6-8 क्विंटल, मूँग का 3-5 क्विंटल और सहजन का 50-70 किलो मिल सकता है। बाजार में बाजरा 20-25 रुपये किलो, ज्वार 20-30 रुपये किलो, मूँग 70-80 रुपये किलो और सहजन 50-60 रुपये किलो बिकता है। यानी एक बीघे से 15-20 हज़ार रुपये की कमाई हो सकती है। गाँव में बचे ज्वार को चारे के लिए रखें, ये दोहरा फायदा देगा। कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलता है।
किसानो के लिए खास बात
गाँव में ये फसलें इसलिए उपयोगी हैं, क्योंकि कम पानी में भी उगती हैं। खर्चा कम लगता है और फसल सूखे को झेल लेती है। गाँव की बहनें सहजन से सब्जी बनाती हैं, और बाजरे की रोटी घर में खाई जाती है। मूँग की दाल भी काम आती है। ये फसलें मिट्टी को बंजर होने से बचाती हैं और खेत को हरा रखती हैं। तो भाइयों, सूखा सहनशील फसलों को उगाएँ, खेती को आसान करें और कमाई बढ़ाएँ।
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