GM Wheat: गेहूं की नई किस्म को सूखा भी नहीं रोक पाएगा पैदावार, अमेरिका में लॉन्च

GM Wheat: आजकल बदलता मौसम और बार-बार पड़ने वाला सूखा किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। खासकर गेहूं, जो भारत की मुख्य फसलों में से एक है, सूखे की वजह से कम पैदावार दे रहा है। लेकिन अब एक नई उम्मीद जगी है। अर्जेंटीना की कंपनी बायोसेरेस क्रॉप सॉल्यूशंस ने ऐसी गेहूं की किस्म तैयार की है, जो कम पानी में भी अच्छी फसल दे सकती है। इस जीन संवर्धित (GM) गेहूं को अमेरिका में कोलोराडो व्हीट रिसर्च फाउंडेशन के साथ मिलकर पेश किया जा रहा है। यह तकनीक उन इलाकों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जहां पानी की कमी खेती को मुश्किल बना रही है।

HB4 तकनीक का फायदा

इस नई किस्म को HB4 तकनीक के आधार पर बनाया गया है। इसमें सूरजमुखी का एक जीन डाला गया है, जो गेहूं को सूखे से लड़ने की ताकत देता है। यानी कम बारिश या पानी की कमी में भी फसल सूखती नहीं और दाने अच्छे बनते हैं। साथ ही, इसमें स्ट्रेप्टोमाइसेस हाइग्रोस्कोपिकस नामक बैक्टीरिया का जीन जोड़ा गया है, जो ग्लुफोसिनेट हर्बीसाइड को सहन कर सकता है। इससे खरपतवारों को आसानी से हटाया जा सकता है बिना फसल को नुकसान पहुंचाए। अमेरिका के कृषि विभाग ने अगस्त 2024 में इस किस्म को खेती के लिए मंजूरी दे दी है, जो इसे विश्वसनीय बनाता है। यह तकनीक न सिर्फ पैदावार बढ़ाएगी, बल्कि किसानों की लागत भी कम करेगी।

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अमेरिका से शुरुआत

बायोसेरेस ने कोलोराडो व्हीट रिसर्च फाउंडेशन के साथ मिलकर इस तकनीक को अमेरिकी खेतों में उतारने की योजना बनाई है। इससे गेहूं की ऐसी नस्लें तैयार होंगी, जो सूखे को सहन करेंगी और खरपतवारों पर भी आसानी से काबू पाया जा सकेगा। हालांकि, इस किस्म के बीज किसानों तक पहुंचने में अभी 3-4 साल लग सकते हैं। कंपनी ने इसे ओपन लाइसेंसिंग मॉडल के तहत उपलब्ध कराने का फैसला किया है, यानी कोई भी बीज कंपनी या प्रजनक इसका इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन इसके लिए पहले फील्ड ट्रायल और दूसरे देशों से निर्यात की मंजूरी लेनी होगी। भारत जैसे देशों में, जहां सूखा एक बड़ी समस्या है, यह तकनीक भविष्य में फायदेमंद हो सकती है।

किसानों के लिए क्या फायदा

यह नई गेहूं की किस्म उन इलाकों में खेती को आसान बनाएगी, जहां पानी की कमी है, जैसे राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश। कम पानी में अच्छी पैदावार होने से किसानों की लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा। साथ ही, खरपतवार प्रबंधन के लिए नई हर्बीसाइड फॉर्मूलेशन भी बनाई जा रही हैं, जो खेती को और आसान करेंगी। पिछले कुछ सालों में सूखे की वजह से गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है, लेकिन ऐसी तकनीकें भविष्य में इस नुकसान को कम कर सकती हैं।

भारत में GM फसलों को लेकर अभी कई नियम और चर्चाएं हैं, लेकिन किसानों को सलाह है कि वे नई तकनीकों पर नजर रखें। स्थानीय कृषि विभाग या विश्वसनीय कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करके ऐसी नई किस्मों और तकनीकों की जानकारी लें। अगर यह तकनीक भारत में आती है, तो यह गेहूं की खेती को और सुरक्षित और फायदेमंद बना सकती है। सही समय पर सही कदम उठाकर किसान सूखे की चुनौती को भी मात दे सकते हैं।

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  • Shashikant

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