Moringa Farming: बाजारों में ड्रमस्टिक की डिमांड आसमान छू रही है, खासकर सर्दियों में जब पत्तियों और फलियों की कीमतें 50 से 100 रुपये किलो तक पहुँच गई हैं। लेकिन अच्छी खबर ये है कि नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन (NSC) के सर्टिफाइड फार्म सोना प्रीमियम बीज से आप अपने खेत या बगीचे में इतनी मोरिंगा की फसल उगा सकते हैं कि तीसरे साल से ही 2-3 लाख रुपये प्रति एकड़ की कमाई हो जाए।
कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ये हाइब्रिड किस्म रोगमुक्त है, 90 प्रतिशत से ज्यादा अंकुरण देती है और सूखा सहन करने वाली है। विटामिन सी, आयरन और कैल्शियम से भरपूर ये ‘मिरेकल ट्री’ न सिर्फ परिवार की सेहत सुधारती है बल्कि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों में भी रामबाण है। फरवरी-मार्च का मौसम अभी बुवाई के लिए बिल्कुल सही है, देरी हुई तो अगले साल तक इंतजार करना पड़ेगा।
फार्म सोना प्रीमियम बीज की खासियत
ये कोई साधारण बीज नहीं है। NSC ने इसे खास तौर पर हाइब्रिड बनाया है, जो 10-15 फीट ऊँचे पेड़ देता है। हर पेड़ से सालाना 200-300 फलियाँ निकलती हैं और हर कटाई में 5-7 किलो ताजा पत्तियाँ मिलती हैं। सबसे बड़ी बात ये कि ये हर मिट्टी में उग जाती है, चाहे बंजर हो या रेतीली। NSC की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, 10 ग्राम पैकेट में 50-60 बीज आते हैं और अंकुरण दर 90 प्रतिशत से ऊपर रहती है। हर पैकेट पर क्यूआर कोड भी होता है, जिससे आप शुद्धता खुद जाँच सकते हैं। 1963 से चल रही NSC जैसी सरकारी कंपनी पर भरोसा करने का एक कारण ये भी है कि ये किसानों को 100 से ज्यादा किस्में देती है।
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बुआई का देसी तरीका
बुवाई बहुत आसान है। सबसे पहले बीजों को रात भर पानी में भिगो लें, इससे अंकुरण तेज हो जाता है। फिर 12-14 इंच गहरे गमले या खेत में आधा इंच गहराई पर बो दें। मिट्टी का मिश्रण तैयार करें – 50 प्रतिशत बगीचे की मिट्टी, 30 प्रतिशत सड़ी गोबर खाद और 20 प्रतिशत रेत मिला लें। धूप वाली जगह चुनें, छाया में अंकुरण धीमा हो जाता है। सात-दस दिन में छोटे-छोटे अंकुर बाहर आने लगेंगे। जब पौधा एक-दो फीट ऊँचा हो जाए तो ट्रांसप्लांट कर दें। बगीचे में चार-पाँच पेड़ लगाने से भी शुरुआत हो सकती है। जून-जुलाई का मानसून भी अच्छा समय है, लेकिन फरवरी-मार्च में बोई फसल ज्यादा मजबूत बनती है।
रोपाई की दूरी
रोपाई करते समय पेड़ों के बीच दस-बारह फीट की दूरी जरूर रखें, ताकि हवा और धूप हर पेड़ को मिल सके। बगीचे में चार-पाँच पेड़ ही काफी हैं, जबकि बड़े खेत में एक एकड़ पर 100-200 पेड़ आसानी से लग जाते हैं। शाम के समय रोपाई करें, क्योंकि दोपहर की धूप से पौधे मुरझा सकते हैं। हर गड्ढे में एक मजबूत पौधा लगाएँ और हल्का पानी दे दें। पहले दो महीने खरपतवार साफ रखें, वरना जड़ें कमजोर पड़ जाएँगी।
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देखभाल और खाद
पेड़ों को मजबूत बनाने के लिए हर पंद्रह दिन में गोमूत्र या वर्मीकम्पोस्ट का हल्का घोल डाल दें। साल में दो बार प्रति पेड़ 100 ग्राम NPK उर्वरक दें। गर्मी में सिंचाई थोड़ी बढ़ा दें, लेकिन जड़ें ज्यादा गीली न रहें, वरना सड़न हो सकती है। कीटों से बचाव के लिए नीम तेल का पतला घोल हर दस दिन में छिड़क दें। अगर पाउडरी मिल्ड्यू जैसे फफूंदी के लक्षण दिखें तो बोर्डो मिश्रण या बेकिंग सोडा का घोल (एक चम्मच प्रति लीटर पानी) इस्तेमाल करें। एफिड्स या फल मक्खी के लिए नीम की खली मिट्टी में मिला दें। जैविक ट्राइकोडर्मा डालने से सफेद फफूंद से भी बचाव हो जाता है। बगीचे में फेंसिंग या इंटरक्रॉपिंग करें ताकि जानवर नुकसान न पहुँचाएँ।
कटाई का समय
कटाई सबसे मजेदार हिस्सा है। पत्तियाँ हर पैंतालीस दिन बाद काटना शुरू कर दें, जितना काटेंगे उतनी नई उगेंगी। फलियाँ बोने के छह-अठ महीने बाद तैयार हो जाती हैं। एक पेड़ से सालाना 50-100 किलो फल निकल आते हैं। एक सामान्य बगीचे के चार-पाँच पेड़ों से ही सालाना दस-पंद्रह हजार रुपये की बचत या कमाई हो जाती है। बड़े खेत में एक एकड़ पर दस-पंद्रह टन फलियाँ मिल सकती हैं। पेड़ बीस-पच्चीस साल तक चलते हैं, यानी लंबी कमाई का स्रोत।
बाजार भाव से 2-3 लाख प्रति एकड़ मुनाफ़ा
फलियाँ बाजार में 50-100 रुपये किलो बिकती हैं, जबकि पत्तियाँ 20-30 रुपये किलो। मोरिंगा पाउडर, तेल और हेल्थ प्रोडक्ट्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। प्रति एकड़ 10-15 टन फलियों से ही 2-3 लाख का मुनाफा आसानी से हो जाता है। बगीचे में छोटे स्तर पर भी शुरुआत करें तो तीसरे साल से कमाई शुरू हो जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन से सब्सिडी भी मिलती है। NSC के ट्रेनिंग सेंटरों पर जाकर और जानकारी ले लें।
अभी ठंड का मौसम खत्म हो रहा है, ड्रमस्टिक लगाने का सबसे सही समय है। NSC के अधिकृत डीलरों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फार्म सोना प्रीमियम बीज 34 रुपये के 10 ग्राम पैकेट में मिल रहा है। एक छोटे से निवेश से आपकी सेहत और जेब दोनों भरी रहेंगी। देर न करें, आज ही बीज मँगवा लें।
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