धान की सीधी बुवाई से होगी जबरदस्त पैदावार, इस नई तकनीक से बचाएं समय और पैसा

DSR Technique for Paddy Farming: धान की खेती करना किसान भाइयों के लिए अब महंगा सौदा बनता जा रहा है। मजदूरी के दाम बढ़ गए हैं और मेहनत भी खूब लगती है। इस परेशानी से बचाने के लिए अब एक नई तकनीक आई है, जिसे DSR यानी डायरेक्ट सीडेड राइस कहते हैं। इस तरीके में धान को सीधे खेत में बोया जाता है हाथ से या मशीन से। पुराने ढंग की तरह नर्सरी तैयार करने और फिर पौधे रोपने का झंझट नहीं रहता।

रबी की फसलें कट चुकी हैं और अब खरीफ का सीजन शुरू हो गया है। ज्यादातर किसान भाई धान की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं। खरीफ में धान के अलावा मक्का, बाजरा, ज्वार, मूंगफली, सोयाबीन और कपास जैसी फसलें भी बोई जाती हैं, लेकिन धान की खेती में पानी और पैसे ज्यादा लगते हैं। ऐसे में DSR तकनीक किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है।

DSR तकनीक क्या है?

पुराने तरीके से धान की खेती में पहले नर्सरी तैयार करनी पड़ती है, जो 20-30 दिन ले लेती है। फिर खेत में पानी भरकर पौधे रोपे जाते हैं। इसमें मेहनत भी ज्यादा है और पानी भी ढेर सारा लगता है। लेकिन DSR तकनीक में ये सब करने की जरूरत नहीं। इसमें धान के बीज को सीधे खेत में बो दिया जाता है। चाहे हाथ से करें या मशीन से, दोनों तरीके आसान हैं। इस तकनीक से न सिर्फ मेहनत बचती है, बल्कि पानी और मजदूरी का खर्चा भी कम हो जाता है। वैज्ञानिकों ने इसे इसलिए बनाया है, ताकि किसान भाइयों की जेब पर बोझ न पड़े और फसल भी अच्छी हो।

मशीन से बुवाई कैसे करें

DSR मशीन का पूरा नाम डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन है। ये धान को बोने का नया और तेज तरीका है। सबसे पहले खेत को लेजर लैंड लेवलर से एकदम सपाट कर लें। फिर इस मशीन से बीज और खाद एक साथ बोए जाते हैं। मशीन खेत में पतली-पतली लाइन बनाती है और दो अलग-अलग पाइप से खाद और बीज डालती है। इससे बीज सही जगह पर लगते हैं और पौधे अच्छे से बढ़ते हैं। अगर मशीन न हो, तो हाथ से भी बीज छिड़क सकते हैं, बस खेत की मिट्टी तैयार रखें। इस तरीके से बुवाई में वक्त कम लगता है और बड़े खेत को भी आसानी से बोया जा सकता है।

कम मेहनत, जल्दी फसल

DSR से धान बोने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि फसल पुराने तरीके से रोपे गए धान के मुकाबले 7 से 10 दिन पहले पक जाती है। इससे अगली फसल बोने में भी देरी नहीं होती। पुराने ढंग में जहाँ 1 एकड़ खेत में ढेर सारे मजदूर चाहिए, वहीं DSR में सिर्फ 2-3 लोग ही काफी हैं। नर्सरी का झंझट खत्म होने से 20-30 दिन का वक्त भी बच जाता है। साथ ही, खेत में पानी भरने की जरूरत कम पड़ती है, जो सूखे इलाकों के किसानों के लिए बड़ी राहत है। इस तकनीक से लागत कम होती है और फायदा ज्यादा मिलता है।

खेत की तैयारी का रखें ध्यान

DSR तकनीक को अपनाने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। मिट्टी को समतल करें और उसमें गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट मिला दें। बीज बोने से पहले हल्का पानी दे दें, ताकि मिट्टी में नमी रहे। अगर खेत में खरपतवार हों, तो उन्हें साफ कर दें, वरना पौधों को नुकसान हो सकता है। इस तरीके से बोया गया धान मजबूत होता है और पानी की बचत भी करता है। जिन इलाकों में ये तकनीक अभी नई है, वहाँ किसान भाई इसे आजमाकर देखें, फर्क खुद दिख जाएगा।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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