Duck Farming: खेती-किसानी के साथ गाँव का किसान हमेशा कुछ न कुछ नया करने की सोचता है, ताकि उसकी जेब भरे और परिवार की रोटी पक्की हो। पशुपालन ऐसा धंधा है, जो मेहनत कम माँगता है और कमाई खूब देता है। पहले गाँवों में मुर्गी पालन की बातें होती थीं, लेकिन अब बत्तख पालन का डंका बज रहा है। बत्तख पालन ऐसा धंधा है, जो छोटे-मोटे किसानों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी से कम नहीं। इसमें न खर्चा ज्यादा, न देखभाल का झंझट, और कमाई इतनी कि गाँव की गलियों में आपकी चर्चा हो। आइए, जानते हैं कि बत्तख पालन कैसे शुरू करें और इससे मोटी कमाई कैसे बटोरें।
बत्तख पालन का आसान फंडा
बत्तख पालन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें खाने का ज्यादा खर्चा नहीं। बत्तखें बड़ी चुलबुली होती हैं। सुबह-सुबह खेतों, तालाबों या बगीचों में घूमकर कीड़े-मकोड़े, हरी घास और छोटे-मोटे दाने खुद बटोर लेती हैं। गाँव में कई किसान तो बत्तखों को दिन में खेत में छोड़ देते हैं, और वो पेट भरकर वापस आ जाती हैं। इससे दाने-पानी का खर्चा आधा रह जाता है। बत्तखें मुर्गियों से ज्यादा समझदार भी होती हैं। इन्हें पालना इतना आसान है कि घर की बहन-बेटियाँ भी इस काम को मजे से कर सकती हैं। इनके लिए न ज्यादा देखभाल चाहिए, न कोई बड़ा खर्च। बस, थोड़ी-सी जगह और पानी का इंतजाम कर दो, बत्तखें खुश और आपकी जेब भारी।
तालाब हो या खेत बत्तख हर जगह फिट
बत्तखों का एक बड़ा फायदा ये है कि इन्हें जमीन हो या पानी, हर जगह पाला जा सकता है। अगर आपके गाँव में तालाब है, तो बत्तख पालन और मछली पालन एक साथ कर सकते हो। बत्तखें तालाब में छोटी मछलियाँ और गैरजरूरी पौधों को चट कर जाती हैं, जिससे तालाब साफ रहता है और मछलियाँ अच्छे से बढ़ती हैं।
गाँव में कुछ लोग तालाब के किनारे बाँस और फूस से छोटा-सा बाड़ा बनाते हैं, जहाँ बत्तखें रात को सोती हैं। अगर तालाब नहीं है, तो खेत के पास मिट्टी खोदकर छोटा-सा गड्ढा बना दो और उसमें पानी भर दो। बत्तखें उसमें नहा-धोकर मस्त रहती हैं। इससे न सिर्फ उनकी सेहत अच्छी रहती है, बल्कि अंडे भी ज्यादा देती हैं।
अंडे और मांस से जेब भरो
बत्तख पालन की असली कमाई इसके अंडे और मांस से होती है। बत्तख के अंडे मुर्गी के अंडों से थोड़े महंगे बिकते हैं। बाजार में इनकी माँग भी खूब रहती है। एक अच्छी नस्ल की बत्तख साल में 300 से ज्यादा अंडे दे सकती है, वो भी 2-3 साल तक लगातार। सुबह सूरज निकलने से पहले, यानी 9 बजे तक, बत्तखें अंडे दे देती हैं। इससे आपको दिनभर अंडे इकट्ठा करने की मेहनत नहीं करनी पड़ती।
बत्तख का मांस भी बाजार में बड़ी कीमत पर बिकता है। इसका स्वाद ऐसा कि शादी-ब्याह में लोग खास तौर पर बत्तख का ऑर्डर देते हैं। 50-100 बत्तखों से शुरू करो, तो कुछ ही महीनों में अंडे और मांस बेचकर हजारों की कमाई पक्की।
कम खर्च बीमारी कम मुनाफा ज्यादा
बत्तख पालन में खर्चा इतना कम है कि छोटा-सा किसान भी इसे आसानी से शुरू कर सकता है। बत्तखों को कोई बड़ा महल नहीं चाहिए। मिट्टी और बाँस से बना छोटा-सा बाड़ा काफी है। ये बीमार भी कम पड़ती हैं, क्योंकि इनमें रोगों से लड़ने की ताकत खूब होती है। गाँव में कुछ लोग बत्तखों को नीम का पानी पिलाते हैं, जो उन्हें और तंदुरुस्त रखता है। दवाओं का खर्चा न के बराबर है। अगर अच्छी नस्ल, जैसे खाकी कैंपबेल या इंडियन रनर, चुनोगे, तो अंडे ज्यादा मिलेंगे और कमाई दुगनी होगी। बस, शुरुआत में थोड़ा ध्यान दो, फिर ये धंधा अपने आप चल पड़ता है।
बत्तख पालन गाँव के लिए किसी खजाने से कम नहीं। ये धंधा न सिर्फ किसान की जेब भरता है, बल्कि गाँव की बहनों और बच्चों को भी रोजगार देता है। अगर आपके पास थोड़ी-सी जमीन या तालाब है, तो बत्तख पालन शुरू करने में देर मत करो। ये ऐसा धंधा है, जो कम मेहनत में लंबी कमाई देता है। गाँव की मिट्टी से जुड़े इस धंधे को अपनाओ और अपनी जिंदगी को और बेहतर बनाओ।
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