छत्तीसगढ़ सरकार किसानों की आय बढ़ाने और खेती में नई तकनीक लाने के लिए फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में जशपुर जिले के किसानों को ग्रीष्मकालीन सीजन में परंपरागत धान की खेती की जगह मक्का, दलहन, और तिलहन की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस पहल से किसानों को न सिर्फ ज्यादा मुनाफा मिल रहा है, बल्कि पानी की बचत भी हो रही है। जशपुर के एक किसान ने मक्का की खेती से प्रति हेक्टेयर 35 हजार रुपये तक मुनाफे की उम्मीद जताई है।
मक्का की खेती से 35 हजार का मुनाफा
जशपुर जिले के पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम चेचनडांड के किसान अरुण कुमार भगत ने इस बार ग्रीष्मकालीन धान की जगह मक्का की खेती शुरू की है। अरुण भगत ने 1 हेक्टेयर खेत में मक्का की किस्म कॉर्न-9544 की बुआई की है। उनके मुताबिक, इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 35 हजार रुपये तक का नेट मुनाफा होने की संभावना है। अरुण ने बताया कि धान की तुलना में मक्का की खेती में पानी कम लगता है, और लागत भी कम आती है। पहली बार फसल परिवर्तन कर मक्का की खेती करने वाले अरुण ने इस पहल के लिए सरकार का शुक्रिया अदा किया है।
कॉर्न-9544 किस्म की बुआई
छत्तीसगढ़ कृषि विभाग के मुताबिक, अरुण कुमार भगत को मक्का की खेती के लिए कॉर्न-9544 किस्म के गुणवत्तापूर्ण बीज और जरूरी सामग्री दी गई है। अरुण ने अपने 1 हेक्टेयर खेत में इस किस्म की बुआई की है। कॉर्न-9544 किस्म कम पानी और गर्म मौसम में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे किसानों को फायदा हो रहा है। अरुण ने बताया कि मक्का की फसल 105-110 दिनों में तैयार हो जाती है, और इस दौरान खेत में पानी की जरूरत भी कम पड़ती है। मक्का की खेती से मिट्टी की सेहत भी अच्छी रहती है।
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कम पानी में ज्यादा फायदा
अरुण भगत ने बताया कि परंपरागत धान की खेती में पानी ज्यादा लगता है, और लागत भी बढ़ जाती है। लेकिन मक्का की खेती में पानी की जरूरत कम होती है, और उत्पादन लागत भी कम आती है। उन्होंने कहा, “मक्का की खेती से पानी की बचत होती है, और मुनाफा भी अच्छा मिल रहा है।” फसल विविधीकरण की इस रणनीति से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ रही है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल से किसानों को फसल के नुकसान का जोखिम भी कम हो रहा है।
किसानों को मिला शासन का सहयोग
छत्तीसगढ़ सरकार ने फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। जशपुर जिले में कृषि विभाग किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज, जरूरी सामग्री, और तकनीकी मार्गदर्शन दे रहा है। अरुण भगत ने बताया कि उन्हें सरकार की योजनाओं से पूरा सहयोग मिला है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आभार जताते हुए कहा कि फसल विविधीकरण किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। अरुण ने कहा, “पहली बार मक्का की खेती कर रहा हूँ, और सरकार की मदद से ये मुमकिन हुआ।”
फसल विविधीकरण के फायदे
फसल विविधीकरण का मतलब है एक ही खेत में अलग-अलग तरह की फसलें उगाना, या एक फसल की जगह कई तरह की फसलें बोना। ये रणनीति किसानों को कई तरह से फायदा देती है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि फसल खराब होने का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा मिट्टी की सेहत में सुधार होता है, और पानी की बचत भी होती है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल से किसानों की आय बढ़ रही है, और खेती में स्थायित्व आ रहा है। जशपुर जिले में मक्का, दलहन, और तिलहन की खेती को बढ़ावा देकर सरकार किसानों के लिए नया रास्ता बना रही है।
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