Edible Oil: केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 30 मई को कच्चे खाद्य तेलों, जैसे पाम, सोयाबीन, और सूरजमुखी तेल, पर आयात शुल्क को 20% से घटाकर 10% कर दिया गया। इस कटौती के बाद कई खाद्य तेल कंपनियों ने अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) और डिस्ट्रीब्यूटर मूल्य (PTD) में कमी शुरू कर दी है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DoFPD) के सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि इस फैसले से उपभोक्ताओं को जल्द ही सस्ते खाद्य तेल मिलने शुरू हो जाएँगे। आइए जानें, इस कटौती का असर और उपभोक्ताओं को मिलने वाली राहत के बारे में।
आयात शुल्क कटौती का असर
सरकार के इस कदम से कच्चे खाद्य तेलों पर प्रभावी आयात शुल्क 27.5% से घटकर 16.5% हो गया है। इससे तेलों की लैंडिंग कॉस्ट कम हुई है, जिसका फायदा सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँच रहा है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता के मुताबिक, अगले 15-20 दिनों में खुदरा कीमतों में 5-7% की कमी देखने को मिल सकती है। थोक बाजारों में पहले ही कीमतें नरम होने लगी हैं। खास बात ये है कि सरसों तेल जैसी घरेलू तेलों की कीमतों में भी 3-4% की कमी आ सकती है, क्योंकि बाजार में समग्र कीमतों पर दबाव कम होगा। ये राहत उन परिवारों के लिए बड़ी खबर है, जो बढ़ती खाद्य महंगाई से जूझ रहे हैं।
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प्रमुख खाद्य तेलों में खुदरा महंगाई इस प्रकार रही
खाद्य तेल | महंगाई |
सरसों तेल | 19.61% |
मूंगफली तेल | -1.77% |
नारियल तेल | 78.04% |
रिफाइंड तेल (सूरजमुखी, सोया, सफोला) | 24.27% |
वनस्पति घी | 21.32% |
खाद्य महंगाई की स्थिति
आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक, मई 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में ‘तेल और वसा’ श्रेणी की महंगाई दर 17.91% रही, जो पिछले साल -6.71% थी। नारियल तेल की महंगाई 78.04%, रिफाइंड तेल (सूरजमुखी, सोया, सफोला) में 24.27%, और वनस्पति घी में 21.32% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालाँकि, मूंगफली तेल में 1.77% की कमी देखी गई। ये आँकड़े बताते हैं कि खाद्य तेलों की कीमतों पर अंकुश लगाना कितना जरूरी था। सरकार का कहना है कि आयात शुल्क कटौती से महंगाई पर लगाम लगेगी और आम आदमी की रसोई का बजट संतुलित होगा।
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सरकार की सख्ती
11 जून को DoFPD के सचिव संजीव चोपड़ा ने प्रमुख खाद्य तेल उद्योग संघों और निर्माताओं के साथ बैठक की। उन्होंने साफ निर्देश दिए कि शुल्क कटौती का लाभ तुरंत उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाए। कंपनियों को MRP और PTD कम करने और साप्ताहिक आधार पर ब्रांड-वाइज MRP शीट्स विभाग को भेजने को कहा गया है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, और गुजरात में तेल रिफाइनरियों और प्रोसेसिंग इकाइयों का निरीक्षण किया गया, ताकि ये सुनिश्चित हो कि कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुँच रहा है। कई कंपनियों, जैसे धारा और इमामी, ने कीमतें कम कर दी हैं, और बाकी ने जल्द और कटौती का वादा किया है।
घरेलू रिफाइनिंग को बढ़ावा
आयात शुल्क कटौती से न सिर्फ उपभोक्ताओं को फायदा होगा, बल्कि देश की रिफाइनिंग इंडस्ट्री को भी नई ताकत मिलेगी। कच्चे और रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क का अंतर अब 8.75% से बढ़कर 19.25% हो गया है। इससे कच्चे तेल का आयात सस्ता हुआ है, जिससे कंपनियाँ रिफाइंड तेल आयात करने के बजाय देश में ही रिफाइनिंग करेंगी। इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ के लिए बड़ा कदम बताया। इससे न सिर्फ स्थानीय रिफाइनरियों की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि तेल बीज किसानों को भी उचित दाम मिलेगा।
सरकार ने साफ किया है कि वह कीमतों पर लगातार नजर रखेगी। अगर कोई कंपनी शुल्क कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुँचाती, तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी। खाद्य तेलों की कीमतों में कमी से न सिर्फ आम आदमी की रसोई सस्ती होगी, बल्कि किसानों को भी फायदा होगा, क्योंकि रिफाइनिंग बढ़ने से तेल बीजों की माँग बढ़ेगी। तो भाईयों, जल्द ही अपनी किराने की दुकान पर सस्ते तेल की उम्मीद करें।
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