पोल्ट्री फार्म में कैसे बढ़ेगा अंडा उत्पादन, पढ़ें पोल्ट्री एक्सपर्ट के ख़ास टिप्स

किसान भाइयों, अंडा और चिकन का पालन आजकल एक मजबूत धंधा बन गया है। पोल्ट्री फार्म में मुर्गियाँ अलग-अलग नस्लों की होती हैं कुछ अंडे देने के लिए, और कुछ मोटा चिकन देने के लिए पाली जाती हैं। दुवासु, मथुरा के पोल्ट्री विभाग के डीन डॉ. पीके शुक्ला बताते हैं कि एक मुर्गी हर दिन अंडा नहीं देती। साल भर में औसतन 290 से 315 अंडे देती है, और यही वजह है कि हर फार्मर की कोशिश होती है कि उसकी मुर्गियाँ ज्यादा से ज्यादा अंडे दें। लेकिन अंडा उत्पादन बढ़ाने के लिए सिर्फ मेहनत ही काफी नहीं, बल्कि सही देखभाल और देसी समझ भी जरूरी है।

फीड और पानी का असर

मुर्गियों का खाना उनकी सेहत और अंडा देने की ताकत तय करता है। रोज़ाना के फीड में प्रोटीन, कैल्शियम, और जरूरी पोषक तत्व डालने से ये एक संतुलित आहार बन जाता है। देहात में कई फार्मर अपने खेत के दाने, मक्का, और बाजरे को पीसकर मुर्गियों को खिलाते हैं, जिसमें थोड़ा नमक और हरी सब्जियाँ मिला देते हैं। इससे अंडों की संख्या और क्वालिटी दोनों बढ़ती है। पानी की बात करें, तो ताजा और साफ पानी मुर्गियों के स्वास्थ्य के लिए जान है। अगर पानी गंदा हो या शरीर में पानी की कमी हो, तो मुर्गियाँ कम अंडे देती हैं। गर्मी में दिन में दो-तीन बार पानी बदलें, और सर्दी में गुनगुना पानी दें।

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रोशनी का महत्व

मुर्गियों को अंडा देने के लिए रोशनी की सही व्यवस्था जरूरी है। चाहे वो छोटा चूजा हो या बड़ी मुर्गी, दिनभर की रोशनी उनके शरीर को सक्रिय रखती है। सुबह जल्दी लाइट ऑन करना चाहिए, ताकि मुर्गियाँ वक्त पर अंडा दें। देहात में कई फार्मर सूरज की रोशनी का फायदा उठाते हैं, लेकिन शाम को अंधेरा होने से पहले लालटेन या बल्ब जलाते हैं। ये लाइट मैनेजमेंट अंडा उत्पादन को नियमित रखता है। सर्दियों में रोशनी थोड़ी ज्यादा देना चाहिए, क्योंकि कम रोशनी से मुर्गियाँ सुस्त पड़ जाती हैं।

पोल्ट्री फार्म के आसपास शोर, भीड़भाड़, या बेवजह की हलचल मुर्गियों को तनाव देती है, और तनाव अंडा उत्पादन को घटा देता है। देहात में कुत्तों की भौंक या बच्चों की शोरगुल वाली खेलकूद से मुर्गियाँ डर जाती हैं। इसलिए फार्म को शांत जगह पर रखें और अनजान लोगों को न आने दें। सुबह-शाम फार्म में चुपचाप काम करें, और मुर्गियों को सहलाने की आदत डालें ये उन्हें भरोसा देता है। तनाव कम होने से अंडों की संख्या और उनकी गुणवत्ता दोनों बढ़ती है।

तापमान और हवा का असर

मुर्गियों को हर मौसम में एक तय तापमान चाहिए, वरना अंडा देना मुश्किल हो जाता है। गर्मी में अगर फार्म में हवा का इंतजाम न हो, तो मुर्गियाँ असहज हो जाती हैं और अंडे देना कम कर देती हैं। गर्मियों में पंखे या खिड़कियाँ खोलकर हवा दें, और गीली चटाइयाँ लगाएँ ताकि ठंडक बनी रहे। सर्दियों में फार्म को ढककर रखें और रात में अलाव की हल्की गर्मी दें। वेंटिलेशन का ध्यान रखें न ज्यादा हवा, न पूरी बंदी। देहात के कई फार्मर पेड़ों की छांव का इस्तेमाल करते हैं, जो सस्ता और कारगर है।

नियमित स्वास्थ्य जांच

मुर्गियों की सेहत अंडा उत्पादन का आधार है। नियमित स्वास्थ्य जांच से बीमारियों का जल्द पता चल जाता है, और इलाज हो जाने से अंडे देने में रुकावट नहीं पड़ती। देहात में कई फार्मर अपने अनुभव से मुर्गियों की आँखों और चाल से बीमारी पहचान लेते हैं। अगर पंख झड़ें या दस्त हों, तो तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाएँ। हर हफ्ते फार्म साफ करें और बासी फीड हटा दें। स्वस्थ मुर्गियाँ ही ज्यादा अंडे देती हैं, तो सेहत पर ध्यान देना न भूलें।

अंडा उत्पादन नस्ल पर भी निर्भर करता है। कुछ नस्लें जैसे वाइट लेयर या ब्राउन लेयर ज्यादा अंडे देती हैं, जबकि दूसरी नस्लें मोटा चिकन के लिए बेहतर होती हैं। देहात में फार्मर अपनी जरूरत के हिसाब से नस्ल चुनते हैं। ज्यादा अंडे चाहिए, तो ऐसी मुर्गियाँ लें जो 300 से ऊपर अंडे दे सकें। नई नस्लें लाने से पहले स्थानीय बाजार में पूछें कि कौन सी नस्ल यहाँ फल-फूल रही है। सही नस्ल चुनने से मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा होता है।

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तकनीक का लाभ

आधुनिक तकनीक पोल्ट्री फार्मिंग को आसान बनाती है। ऑटोमैटिक फीडिंग सिस्टम से मुर्गियों को तय मात्रा में फीड मिलता है, और पर्यावरण कंट्रोल रहता है। देहात में कई फार्मर सौर ऊर्जा से चलने वाले पंखे और लाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सस्ता और टिकाऊ है। तकनीक से श्रम कम होता है और अंडा उत्पादन नियमित रहता है। अगर बजट कम है, तो स्थानीय बढ़ई से सस्ते फीडर बनवा सकते हैं ये भी कारगर है।

मौसम के हिसाब से फार्म की देखभाल करना जरूरी है। गर्मियों में मुर्गियों को ठंडक देने के लिए नीम की पत्तियों का छिड़काव करें, जो कीड़ों से भी बचाएगा। सर्दियों में रात को भूसे से फार्म ढक दें, ताकि ठंड न लगे। बारिश में फर्श को ऊँचा रखें, वरना नमी से बीमारी फैल सकती है। देहात के बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि प्रकृति के साथ चलो, तो खेती और पोल्ट्री दोनों फलती-फूलती है।

मुनाफा बढ़ाने के तरीके

अंडा उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने के लिए अच्छा फीड, साफ पानी, और बायो सिक्योरिटी का पालन करें। मुर्गियों को बीमारियों से दूर रखने के लिए टीकाकरण समय पर करवाएँ। बाजार में अंडों की माँग देखकर बिक्री की योजना बनाएँ कभी ज्यादा दाम मिलते हैं, तो स्टॉक कर लें। देहात में सहकारी समितियों से जुड़ें, ताकि अंडे का सही दाम मिले। मेहनत और समझ के साथ पोल्ट्री फार्म से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

पोल्ट्री फार्म में अंडा उत्पादन बढ़ाना और मुनाफा कमाना मुमकिन है, बशर्ते हम सही देखभाल करें। अच्छा फीड, साफ पानी, रोशनी, और तनाव से मुक्ति के साथ-साथ मौसमी और तकनीकी मदद लें। मुर्गियों की सेहत और नस्ल का ध्यान रखें, और बाहरी हस्तक्षep से बचें। देहाती अनुभवी फार्मरों से सलाह लें और अपने तरीके आजमाएँ। इससे न सिर्फ अंडे की संख्या बढ़ेगी, बल्कि आपका पोल्ट्री फार्म आने वाले सालों तक फलता-फूलता रहेगा। तो भाइयो, अपने फार्म को हरा-भरा बनाएँ और मेहनत का फल पाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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