उत्तर प्रदेश की धरती 9 जुलाई 2025 को हरियाली का इतिहास रचने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ थीम पर एक दिन में 37 करोड़ पौधे लगाने का महाअभियान शुरू होगा। यह सिर्फ़ पौधरोपण का कार्यक्रम नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, मातृ सम्मान, और सामाजिक जागरूकता का एक भावनात्मक आंदोलन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू हुआ यह अभियान उत्तर प्रदेश में जन-आंदोलन का रूप ले चुका है। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री योगी अयोध्या और आजमगढ़ से करेंगे, जबकि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल बाराबंकी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मेरठ, और ब्रजेश पाठक लखनऊ में पौधे रोपेंगे।
तैयारियों का भव्य इंतज़ाम
इस ऐतिहासिक अभियान के लिए उत्तर प्रदेश ने कमर कस ली है। प्रदेश की नर्सरियों और अन्य स्थानों पर 52.36 करोड़ पौधे तैयार किए गए हैं, ताकि किसी भी ज़रूरत को पूरा किया जा सके। इनमें पीपल, नीम, आम, जामुन, शीशम, सागौन, और सहजन जैसे पर्यावरण के लिए उपयोगी पौधे शामिल हैं। हर जिले में नोडल अधिकारियों ने तैयारियों का जायज़ा लिया और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया। यह सुनिश्चित किया गया है कि पौधे सही समय पर सही जगह पहुंचें और उनकी देखभाल के लिए पहले से इंतज़ाम हो। वन विभाग अकेले 14 करोड़ से ज़्यादा पौधे लगाएगा, जो इस अभियान की रीढ़ है।
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मां के नाम, धरती के लिए संकल्प
‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ अभियान सिर्फ़ पर्यावरण संरक्षण का मिशन नहीं, बल्कि मातृ सम्मान का प्रतीक भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस पर इस अभियान की शुरुआत की थी, और 2025 में इसका दूसरा चरण शुरू हुआ। इस अभियान का मकसद लोगों को अपनी मां और धरती मां के प्रति प्रेम और सम्मान दिखाने के लिए पेड़ लगाने की प्रेरणा देना है। उत्तर प्रदेश में यह अभियान भावनात्मक जुड़ाव के साथ जन-आंदोलन बन गया है। 9 जुलाई को आधे दिन तक सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, और संस्थान इस कार्य में जुटेंगे।
इस अभियान का एक खास पहलू है किसानों के लिए आर्थिक लाभ। मुख्यमंत्री योगी अयोध्या और आजमगढ़ में पौधरोपण के साथ-साथ किसानों से जनसंवाद करेंगे और कार्बन क्रेडिट योजना के तहत सात किसानों को चेक सौंपेंगे। कार्बन क्रेडिट से किसानों को प्रति पेड़ 5 डॉलर तक की कमाई हो सकती है, जो उनकी आय बढ़ाने का ज़रिया बनेगा। पिछले साल इस योजना के तहत किसानों को 32.80 लाख रुपये दिए गए थे, और इस साल सात मंडलों के हज़ारों किसानों को 42.20 लाख रुपये वितरित किए जाएंगे। यह न सिर्फ़ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से मज़बूत भी करता है।
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नदियों और सड़कों को हरियाली का आलम
इस अभियान में नदियों और सड़कों को हरा-भरा करने पर खास ज़ोर है। प्रदेश की 13 प्रमुख नदियों के किनारे 21,313.52 हेक्टेयर में 3.56 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। नदियां धरती की जीवनरेखा हैं, और इनके किनारे पेड़ लगाने से मिट्टी का कटाव रुकेगा और भूजल स्तर बढ़ेगा। इसके अलावा, वन विभाग सड़कों के किनारे 1.14 करोड़ और एक्सप्रेसवे के किनारे 2.5 लाख पौधे रोपेगा। यह न सिर्फ़ पर्यावरण को बेहतर बनाएगा, बल्कि सड़कों को सुंदर और छायादार भी बनाएगा। सहजन के पौधे खास तौर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को दिए जाएंगे, जो कुपोषण से लड़ने में मदद करेंगे।
सामाजिक और पर्यावरणीय बदलाव का प्रतीक
इस अभियान में कई खास वन स्थापित किए जाएंगे, जैसे अटल वन, एकता वन, एकलव्य वन, ऑक्सी वन, शौर्य वन, त्रिवेणी वन, और गोपाल वन। ये वन न सिर्फ़ हरियाली बढ़ाएंगे, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को भी दर्शाएंगे। स्कूलों में ईको क्लब के ज़रिए बच्चे और अभिभावक इस अभियान से जुड़ेंगे, जिससे नई पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। लोग अपने पौधरोपण की तस्वीरें upforest.gov.in या upfd.in पर अपलोड कर सकते हैं, जिससे इस अभियान का डिजिटल रिकॉर्ड बनेगा। यह सुविधा पारदर्शिता और भागीदारी को बढ़ाएगी।
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