Ekikrit Dhanya Vikas Yojana: किसान साथियों उत्तर प्रदेश में, सुल्तानपुर जनपद के विकास खंड दोस्तपुर के ग्राम जजरही में एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम योजना के तहत यहाँ ट्राइकोडर्मा से बीज शोधन के बाद सुपर सीडर से धान की सीधी बुवाई की गई, जिसमें श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव (जनपद सलाहकार), कृष्ण कुमार सिंह (ADO कृषि), और राम स्वारथ (PPS) मौजूद रहे। इस पहल ने खेतिहर समुदाय के लिए उम्मीद की किरण जलाई है, जो मुनाफे और टिकाऊ खेती का रास्ता दिखाती है। ये नई तकनीक किसानों की मेहनत को आसान बनाने का वादा करती है। आइए, इस योजना और इसके फायदों को विस्तार से समझें।
योजना का मकसद, फसल और किसान दोनों को ताकत
एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम का उद्देश्य धान की पैदावार बढ़ाना और मिट्टी की सेहत को बेहतर करना है। ग्राम जजरही में हुई इस गतिविधि में ट्राइकोडर्मा, एक जैविक कवकनाशी, का इस्तेमाल बीजों को रोगों से बचाने के लिए किया गया। इसके बाद सुपर सीडर, एक आधुनिक मशीन, ने बीजों को सीधे मिट्टी में बोया, जो पारंपरिक रोपाई से कम मेहनत और पानी की जरूरत रखती है। श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव और उनकी टीम ने मौके पर किसानों को इस तकनीक के फायदे बताए, ताकि वे अपनी फसल को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकें।
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ट्राइकोडर्मा और सुपर सीडर, तकनीक का कमाल
ट्राइकोडर्मा बीजों को फफूंदी और कीटों से बचाता है, जिससे फसल की जड़ें मजबूत होती हैं और पैदावार बढ़ती है। सुपर सीडर मशीन बीजों को समान दूरी पर बोती है, जो खरपतवार नियंत्रण और पानी की बचत में मदद करती है। ग्राम जजरही में इस प्रक्रिया को देखते हुए कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि यह तरीका पारंपरिक रोपाई की तुलना में 20-30% कम पानी और 15% कम श्रम लेता है। राम स्वारथ ने किसानों को प्रोत्साहित किया कि वे इस मशीन का उपयोग करें, जो मिट्टी की उर्वरता को भी बरकरार रखती है। मॉनसून की इस बारिश में यह तकनीक फसल को जल्दी अंकुरित करने में सहायक साबित हो रही है।
फायदे, मुनाफा और मिट्टी की सेहत
इस योजना से किसानों को कई लाभ मिल रहे हैं। ट्राइकोडर्मा से बीज शोधन से रोगों का खतरा कम होता है, और सुपर सीडर से बुवाई समान होने से उपज 10-15% तक बढ़ सकती है। पानी और मेहनत की बचत से लागत घटती है, जो मुनाफे को बढ़ाता है। सुल्तानपुर के खेतिहर समुदाय के लिए यह बदलाव मिट्टी की सेहत को भी बेहतर कर रहा है, क्योंकि कम जुताई से मिट्टी का कटाव रुकता है। इसके अलावा, जल्दी तैयार होने वाली फसल अगली बुवाई के लिए समय बचाती है। यह तकनीक ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ खेती को बढ़ावा दे रही है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए फायदेमंद होगी।
धान की फसल को मजबूत करें
धान की सीधी बुवाई के लिए कुछ देसी तरीके अपनाएँ। बीजों को ट्राइकोडर्मा से शोधन के लिए 4 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से मिलाएँ और 12 घंटे भिगोकर छाया में सुखाएँ। सुपर सीडर से बुवाई के पहले खेत को 2-3 बार जोतें और प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद डालें। मॉनसून की बारिश से नमी बनी रहेगी, लेकिन खेत में पानी जमा न होने दें—मेड़ बनाएँ। बुवाई के 15-20 दिन बाद खरपतवार हटाएँ और नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें, जो कीटों से बचाव करेगा। यह देखभाल फसल को हरा-भरा रखेगी और पैदावार बढ़ाएगी।
ग्राम जजरही में शुरू हुई यह पहल सुल्तानपुर के किसानों के लिए एक मिसाल है। ट्राइकोडर्मा और सुपर सीडर से धान की बुवाई न सिर्फ मेहनत कम कर रही है, बल्कि मुनाफा भी बढ़ा रही है। मॉनसून 2025 में इस तकनीक को अपनाएँ, देसी टिप्स आजमाएँ, और अपनी फसल को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँ। यह मेहनत आपकी जिंदगी को समृद्ध कर सकती है!
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