मध्य प्रदेश, जहाँ खेती-किसानी लाखों परिवारों की आजीविका है, वहाँ पानी की कमी और बर्बादी किसानों के लिए बड़ी चुनौती रही है। इन समस्याओं से निपटने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) और राज्य माइक्रोइरिगेशन योजना के तहत ड्रिप सिस्टम, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट, पाइपलाइन सेट, और रेन गन जैसे आधुनिक सिंचाई उपकरणों पर 40 से 55 प्रतिशत तक सब्सिडी शुरू की है। खरगोन जिले में ही 1,870 किसानों को 6.14 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिल चुकी है, जिससे उनकी खेती न सिर्फ आसान हुई, बल्कि पैदावार भी बढ़ी। आइए, इस योजना के फायदे, सब्सिडी की राशि, पात्रता, और आवेदन की प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
ड्रिप सिस्टम
यह तकनीक सब्जियों, फलों, और बागवानी फसलों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है। ड्रिप सिस्टम से खाद भी पानी के साथ दी जा सकती है, जिससे उर्वरक की खपत कम होती है और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है। मध्य प्रदेश सरकार इस सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए राज्य माइक्रोइरिगेशन योजना के तहत सभी वर्ग के छोटे, सीमांत, और अन्य किसानों को इकाई लागत (80,000 रुपये प्रति हेक्टेयर) का 80 प्रतिशत या अधिकतम 40,000 रुपये तक अनुदान दे रही है। वहीं, PMKSY के तहत छोटे और सीमांत किसानों को 55 प्रतिशत और अन्य किसानों को 45 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। यह योजना किसानों की लागत कम करके उनकी कमाई को कई गुना बढ़ा रही है।
स्प्रिंकलर सेट
कम पानी में ज्यादा क्षेत्र को सिंचित करने की इसकी खासियत ने इसे छोटे और सीमांत किसानों के बीच लोकप्रिय बनाया है। मध्य प्रदेश सरकार राज्य माइक्रोइरिगेशन योजना के तहत स्प्रिंकलर सेट (इकाई लागत 19,600 रुपये प्रति हेक्टेयर) पर सभी वर्ग के किसानों को 80 प्रतिशत या अधिकतम 12,000 रुपये तक सब्सिडी दे रही है। इसके अलावा, PMKSY के तहत छोटे और सीमांत किसानों को 55 प्रतिशत और अन्य किसानों को 45 प्रतिशत अनुदान मिलता है। यह सिस्टम न सिर्फ पानी बचाता है, बल्कि फसलों की पैदावार और गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है।
रेन गन और अन्य उपकरण
मोबाइल रेन गन एक ऐसा उपकरण है, जिसे आसानी से एक खेत से दूसरे खेत में ले जाया जा सकता है। यह समान रूप से पानी का छिड़काव करता है और बड़े क्षेत्रों की सिंचाई में कारगर है। राज्य माइक्रोइरिगेशन योजना के तहत रेन गन (इकाई लागत 31,600 रुपये प्रति हेक्टेयर) पर सभी वर्ग के किसानों को 80 प्रतिशत या अधिकतम 15,000 रुपये तक सब्सिडी दी जा रही है।
इसके अलावा, पंप सेट (डीजल/इलेक्ट्रिक) और पाइपलाइन सेट पर भी राष्ट्रीय खाद्य तिलहन मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (दलहन), और बुंदेलखंड विशेष पैकेज के तहत सब्सिडी उपलब्ध है। ये उपकरण सीमित जल संसाधनों के साथ भी बड़े पैमाने पर सिंचाई को संभव बनाते हैं, जिससे किसानों की मेहनत रंग लाती है।
कौन ले सकता है लाभ?
इस योजना का लाभ मध्य प्रदेश के सभी पंजीकृत किसान उठा सकते हैं, लेकिन कुछ शर्तें हैं। किसान के पास अपनी या लीज पर ली गई खेती योग्य जमीन होनी चाहिए। छोटे और सीमांत किसानों (2.5 हेक्टेयर तक जमीन) को सब्सिडी में प्राथमिकता दी जाती है। PMKSY और राज्य माइक्रोइरिगेशन योजना के तहत सब्सिडी अधिकतम 5 हेक्टेयर तक की जमीन के लिए दी जाती है।
जिन किसानों ने पिछले 7 साल में किसी सिंचाई उपकरण पर सब्सिडी ली है, वे इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे। इलेक्ट्रिक पंप के लिए स्थायी बिजली कनेक्शन जरूरी है। स्वयं सहायता समूह (SHG), किसान उत्पादक संगठन (FPO), और सहकारी समितियाँ भी इस योजना में हिस्सा ले सकती हैं। आवेदन के लिए आधार कार्ड, जमीन के कागजात, और बैंक खाता विवरण अनिवार्य हैं।
आवेदन की आसान प्रक्रिया
मध्य प्रदेश सरकार ने इस योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया है। किसान मध्य प्रदेश बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट mpfsts.mp.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। सबसे पहले, Farmer Login सेक्शन में जाकर पंजीकरण करें। पंजीकरण के लिए आधार नंबर, मोबाइल नंबर, और व्यक्तिगत विवरण भरें। OTP के जरिए पंजीकरण पूरा होने के बाद, Apply for Subsidy विकल्प चुनें। यहाँ योजना (PMKSY, राज्य माइक्रोइरिगेशन, या अन्य) और उपकरण (ड्रिप, स्प्रिंकलर, रेन गन आदि) का चयन करें।
जरूरी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, जमीन के कागजात (खसरा/खतौनी), बैंक पासबुक, और पासपोर्ट साइज फोटो अपलोड करें। फॉर्म जमा करने के बाद, आवेदन की जाँच होगी, और पात्रता सही पाए जाने पर सब्सिडी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए बैंक खाते में आएगी। आवेदन की समय सीमा हर साल बदलती है, जैसे 2024 में यह 8 अप्रैल से 5 जून तक थी। ताजा जानकारी के लिए वेबसाइट या नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें।
मध्य प्रदेश में योजना का असर
मध्य प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। खरगोन जिले में 1,870 किसानों को 6.14 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलने से उनकी खेती में नई जान आई है। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम से पानी की बचत के साथ-साथ फसलों की पैदावार में 30-40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है। राष्ट्रीय खाद्य तिलहन मिशन और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (दलहन) के तहत तिलहन और दालों की खेती को बढ़ावा मिला है, जिससे किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य करीब आ रहा है।
बागवानी विभाग ने रतलाम, नीमच, खरगोन, भोपाल, जबलपुर जैसे जिलों में लक्ष्य निर्धारित किए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस योजना का लाभ उठा सकें। सरकार का ऑनलाइन पोर्टल और पारदर्शी लॉटरी सिस्टम सुनिश्चित करता है कि सब्सिडी सही लाभार्थी तक पहुँचे।
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