तो इस बार दाल की खेती बनाएगी किसानों को मालामाल? आंकड़ों से जानिए सच्चाई

भारत में दलहनी फसलों की बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भरता की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं। रबी फसलों की बुवाई के हालिया आंकड़े सरकार के प्रयासों की सफलता को दर्शाते हैं। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल की तुलना में दलहनी फसलों के रकबे में 3% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह संकेत देता है कि सरकार की योजनाएं और नीतियां सही दिशा में कार्य कर रही हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि दलहनी फसलों की स्थिति और सरकारी योजनाओं का क्या प्रभाव पड़ रहा है।

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रबी सीजन में दलहनी फसलों की बुवाई के आंकड़े

चने की बुवाई में वृद्धि

कृषि मंत्रालय के अनुसार, चने की बुवाई 98.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले वर्ष के 95.87 लाख हेक्टेयर के मुकाबले करीब 3% की बढ़ोतरी दर्शाती है। चना भारत की प्रमुख दलहनी फसल है और इसके बढ़ते उत्पादन से किसानों को सीधा लाभ होगा।

मसूर और मटर का रकबा

मसूर की बुवाई 17.43 लाख हेक्टेयर में की गई है, जो पिछले वर्ष के बराबर है। वहीं, मटर की बुवाई में मामूली वृद्धि हुई है, जो 7.90 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 7.94 लाख हेक्टेयर हो गई है।

उड़द और मूंग की स्थिति

उड़द के रकबे में भी 6.12 लाख हेक्टेयर तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो पिछले साल 5.89 लाख हेक्टेयर था। इसी तरह, मूंग दाल का रकबा 1.40 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।

अन्य दलहनी फसलों का भी बढ़ता उत्पादन

कुल्थी, लतरी और अन्य दलहनी फसलों के अंतर्गत भी रकबा बढ़ा है, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार द्वारा दलहनी फसलों को बढ़ावा देने की रणनीति सही दिशा में कार्य कर रही है।

वित्त मंत्री द्वारा दलहन मिशन की घोषणा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में छह वर्षीय “दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन” की शुरुआत का ऐलान किया। इस योजना के तहत तुअर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियों को इन दालों की खरीद की जिम्मेदारी सौंपी है। यह योजना अगले चार वर्षों तक प्रभावी रहेगी।

आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

1. जलवायु अनुकूल बीजों का विकास

सरकार उच्च गुणवत्ता वाले जलवायु-अनुकूल बीजों के विकास और उनकी व्यावसायिक उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दे रही है।

2. प्रोटीन सामग्री और उत्पादकता वृद्धि

फसलों की प्रोटीन सामग्री बढ़ाने और उत्पादकता को अधिकतम करने की दिशा में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है।

3. फसल कटाई के बाद भंडारण सुविधाएं

सरकार ने फसल कटाई के बाद भंडारण और प्रबंधन में सुधार लाने की योजना बनाई है, जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके।

4. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी खरीद

केंद्र सरकार दलहनी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद सुनिश्चित कर रही है। यह किसानों को अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहा है।

आयात निर्भरता में कमी

1. आयात में कमी

भारत अब भी दलहनी फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक है। घरेलू उत्पादन में कमी के कारण, दालों का आयात 2024 के पहले 9 महीनों में 53% बढ़कर 3.78 बिलियन डॉलर हो गया। सरकार इस निर्भरता को कम करने की दिशा में काम कर रही है।

2. दालों के उत्पादन का बढ़ता ग्राफ

भारत का दलहन उत्पादन 2015-17 में 163.23 लाख टन से बढ़कर 2021-22 में 273.02 लाख टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि, 2023-24 में यह गिरकर 242.46 लाख टन रह गया।

3. तुअर और चने के आयात पर सरकारी छूट

सरकार ने तुअर दाल के लिए आयात शुल्क मुक्त खिड़की 21 मार्च 2026 तक बढ़ा दी है। वहीं, चना आयात 31 मार्च 2025 तक शुल्क मुक्त रहेगा। इससे घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

किसानों को मिलने वाले लाभ

  1. सीधे सरकारी खरीद से किसानों को उचित मूल्य मिलेगा
  2. दलहन के उत्पादन में वृद्धि से आयात निर्भरता घटेगी
  3. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी
  4. जलवायु अनुकूल बीजों और भंडारण सुविधाओं से नुकसान कम होगा
  5. सरकार की योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी और अन्य लाभ मिलेंगे

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  • Shashikant

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