भारत के किसान अब मंडियों की भीड़भाड़ से दूर हो रहे हैं। किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के जरिए वे अपनी उपज सीधे ऑनलाइन कमोडिटी एक्सचेंज पर बेच रहे हैं। इससे न सिर्फ समय की बचत हो रही है, बल्कि कमाई में भी भारी इजाफा हुआ है। गांव जंक्शन की रिपोर्ट बताती है कि इस बदलाव से किसानों को मध्यस्थों से मुक्ति मिली है। वित्तीय वर्ष 2025 के पहले छह महीनों में ही 62 FPO ने 377 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार किया। यह कदम खेती को डिजिटल दुनिया से जोड़ने का बड़ा प्रयास है।
6 महीने में ₹377 करोड़ का कारोबार
अप्रैल से सितंबर 2025 तक NCDEX प्लेटफॉर्म पर 62 किसान उत्पादक संगठनों ने अपनी फसलें बेचीं। इसमें कपास,जीरा,अरंडी,धनिया,हल्दी और ग्वारसीड जैसी प्रमुख फसलें शामिल रहीं। खास बात यह है कि इनमें से 35 FPO ने अकेले 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री की। कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म किसानों को मंडी के अलावा मजबूत विकल्प देता है। पैसे सीधे बैंक खाते में आते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है। इससे किसानों की आय में स्थिरता आ रही है।
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FPO को भा रहा ऑनलाइन बाजार
कृषि मंत्रालय से जुड़े अधिकारी का मानना है कि कमोडिटी एक्सचेंज खेती के व्यापार को व्यवस्थित कर रहा है। FPO के जरिए छोटे किसान बड़े बाजार से जुड़ रहे हैं। MCX जैसे एक्सचेंज ने भी 25 FPO को प्लेटफॉर्म से जोड़ा है। इसके अलावा,9,450 से ज्यादा FPO सरकारी ई-कॉमर्स चैनल ONDC से जुड़ चुके हैं। 200 से अधिक समूह GeM,अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर बिक्री कर रहे हैं। यह बदलाव किसानों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहा है।
राजस्थान के मांडोर FPO की सफलता
राजस्थान के जोधपुर में मांडोर किसान फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी इस बदलाव की मिसाल है। इस समूह के सीईओ गणपतराम चौधरी बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने 2.25 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जिसमें 1.5 करोड़ जीरा और अरंडी की बिक्री NCDEX पर हुई। 750 सदस्यों वाले इस FPO का लक्ष्य इस साल 2-3 करोड़ का टर्नओवर है। चौधरी कहते हैं कि ऑनलाइन बिक्री से मंडी के झंझट से छुटकारा मिला और कीमतें बेहतर मिलीं। यह कहानी अन्य FPO के लिए प्रेरणा है।
डिजिटल बाजार से दोगुनी कमाई
यह बदलाव किसानों को सशक्त बना रहा है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि बाजार की पहुंच भी आसान हुई है। अगर आप FPO से जुड़े हैं, तो NCDEX या MCX पर रजिस्ट्रेशन करें। सरकारी सहायता से प्रक्रिया सरल है। इससे खेती न सिर्फ लाभदायक बनेगी, बल्कि किसान आत्मनिर्भर भी होंगे। डिजिटल खेती का युग शुरू हो चुका है, इसमें शामिल होकर आप भी फायदा उठाएं।
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