विंध्याचल मंडल के मीरजापुर और सोनभद्र के किसान अब धान और गेहूं जैसी परंपरागत खेती के साथ-साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती करके अपनी कमाई को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। यह विदेशी फल, जिसे कमलम या पिताया भी कहते हैं, न सिर्फ पोषण से भरपूर है, बल्कि किसानों के लिए मुनाफे का बड़ा जरिया बन रहा है। सरकार ने इस साल मीरजापुर और सोनभद्र में 100 हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट की खेती का लक्ष्य रखा है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब किसानों को प्रति हेक्टेयर 30 हजार की जगह 2.7 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा।
सरकारी अनुदान
ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनुदान की राशि को बढ़ाकर 2.7 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया है। यह अनुदान तीन किस्तों में दिया जाता है। पहली किस्त में 1.8 लाख रुपये, दूसरी और तीसरी किस्त में 60-60 हजार रुपये मिलते हैं, बशर्ते 75-90% पौधे जीवित रहें। यह अनुदान किसानों की शुरुआती लागत को काफी कम करता है। मीरजापुर में 125 एकड़ में 250 किसान, जिनमें 30 महिलाएं भी शामिल हैं, इस खेती को अपना चुके हैं।
सोनभद्र में भी किसान इस दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। उद्यान विभाग के अनुसार, जुलाई से खेती शुरू की जा सकती है, और इसके लिए किसानों को अपने नजदीकी उद्यान केंद्र पर पंजीकरण कराना होगा। बिहार जैसे राज्यों में भी ड्रैगन फ्रूट विकास योजना के तहत इसी तरह का अनुदान दिया जा रहा है।
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कितना खर्च कितनी कमाई
मीरजापुर के जिला उद्यान अधिकारी मेवा राम बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में शुरुआती लागत ज्यादा होती है, लेकिन यह एक बार का निवेश है। एक एकड़ में खेती शुरू करने में करीब 4.5 से 5 लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें सीमेंट के खंभे, ड्रिप सिंचाई, और पौधों की लागत शामिल है। लेकिन तीसरे साल से कमाई शुरू हो जाती है, और प्रति एकड़ 6 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है।
एक एकड़ में 1000 पौधे लगाए जाते हैं, और प्रत्येक पौधे से 20-25 किलो फल मिल सकता है। बाजार में ड्रैगन फ्रूट 200-300 रुपये प्रति किलो बिकता है, और अच्छी क्वालिटी के फल 450 रुपये प्रति किलो तक बिक सकते हैं। मीरजापुर के नुआव गांव के किसान आकाश दुबे बताते हैं कि उनके एक एकड़ खेत में 4 लाख रुपये की लागत आई, और अब वे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
मांग बढ़ रही है
ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन जून से दिसंबर तक होता है। मई-जून में फूल खिलते हैं, और जुलाई से फल तैयार होने लगते हैं। प्रति एकड़ 45-55 क्विंटल फल मिल सकता है। मीरजापुर के किसान बनारस, प्रयागराज, और लखनऊ जैसे शहरों में फल की आपूर्ति कर रहे हैं। बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि यह फल विटामिन सी, बी, कैल्शियम, और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है।
यह वजन घटाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मदद करता है। मीरजापुर के राजगढ़ में गढ़वा गांव की नीलू सिंह जैसी 30 महिला किसान इस खेती से न सिर्फ कमाई कर रही हैं, बल्कि दूसरों के लिए मिसाल भी बन रही हैं। बनइमिलिया की सुमन देवी को तो 17 फरवरी 2025 को राज्यपाल ने पुरस्कृत भी किया।
खेती का तरीका
ड्रैगन फ्रूट की खेती कम पानी और कम देखभाल में हो सकती है, क्योंकि यह कैक्टस परिवार का पौधा है। इसे बलुई दोमट मिट्टी और 20-30 डिग्री तापमान में उगाना सबसे अच्छा है। अगर तापमान 40 डिग्री से ज्यादा हो, तो पौधों पर पानी का छिड़काव या शेड नेट का इस्तेमाल करें। जलभराव से बचने के लिए 2×2 फीट के गड्ढों में गोबर, वर्मीकम्पोस्ट, और बालू मिलाकर मिट्टी तैयार करें। प्रत्येक खंभे के पास 4-5 पौधे लगाए जाते हैं, और ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत होती है। बाराबंकी के किसान गया प्रसाद बताते हैं कि फंगस से बचाव के लिए पौधों की जड़ों और फलों की नियमित देखभाल जरूरी है।
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