उत्तर प्रदेश के किसान भाइयों के लिए बड़ी खबर! सरकार अब परंपरागत फसलों के साथ-साथ ऐसी फसलों की खेती पर जोर दे रही है, जो कम जमीन में ज्यादा मुनाफा दे सकें। हाल ही में 20 जून को हुई कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में कृषि निदेशक ने किसानों से ग्रॉस स्टेट वैल्यू एडेड (जीएसवीए) वाली फसलों को चुनने की अपील की। इन फसलों से न सिर्फ किसानों की कमाई बढ़ेगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी नई ताकत मिलेगी। आइए जानते हैं कि जीएसवीए फसलें क्या हैं और इनकी खेती से क्या फायदा हो सकता है।
जीएसवीए फसलें क्या हैं
कृषि निदेशक ने बताया कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान करीब 20 प्रतिशत है, जिसमें फसलों का हिस्सा 9.3 प्रतिशत है। धान और गेहूँ जैसी फसलें तो खूब उगाई जाती हैं, लेकिन इनका जीएसवीए यानी प्रति इकाई मुनाफा कम होता है। दूसरी ओर, गन्ना, मक्का, उड़द, मूंग, अरहर जैसी दलहन फसलें और मूँगफली, तिल जैसी तिलहनी फसलें कम जमीन में भी ज्यादा उत्पादन और मुनाफा देती हैं। ये फसलें न सिर्फ ज्यादा उपज देती हैं, बल्कि इन्हें प्रोसेस करने के बाद बाजार में अच्छा दाम भी मिलता है। इससे किसानों की जेब तो भरती ही है, सरकार को भी ज्यादा राजस्व मिलता है।
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सरकार की योजनाओं से बढ़ेगा मुनाफा
कृषि निदेशक ने कहा कि सरकार किसानों को इन उच्च मुनाफे वाली फसलों की खेती के लिए हर तरह की मदद दे रही है। त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम, नेशनल फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन मिशन ऑन एडिबल ऑयल, और नेचुरल फार्मिंग जैसी योजनाओं के तहत किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। इन योजनाओं में न सिर्फ बीज और खेती की तकनीकों पर मदद मिलती है, बल्कि फसलों को प्रोसेस करने, पैकेजिंग करने, और बाजार में बेचने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे किसान अपनी फसल का ज्यादा से ज्यादा दाम पा सकते हैं।
किसानों के लिए सुनहरा मौका
उत्तर प्रदेश की 65 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है। सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र और यूपी की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक ले जाया जाए। इसमें किसानों की भूमिका सबसे अहम है। जीएसवीए वाली फसलों की खेती से किसान कम जमीन में भी ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं। मक्का और गन्ना जैसी फसलें कम समय में तैयार होती हैं और बाजार में इनकी माँग भी अच्छी रहती है। उड़द, मूंग और तिल जैसी फसलों को प्रोसेस कर दाल, तेल, और अन्य उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जिससे मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है।
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कैसे उठाएँ योजना का लाभ
कृषि निदेशक ने किसानों से अपील की कि वे सरकार की योजनाओं का फायदा उठाएँ। इन योजनाओं में शामिल होने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग कार्यालय में संपर्क करें। वहाँ आपको बीज, अनुदान, और प्रशिक्षण की पूरी जानकारी दी जाएगी। मक्का विकास कार्यक्रम के तहत मक्का की खेती के लिए सस्ते बीज और तकनीकी मदद मिल सकती है। इसी तरह, नेचुरल फार्मिंग योजना में जैविक खेती की ट्रेनिंग और सब्सिडी दी जा रही है। ये योजनाएँ न सिर्फ आपकी कमाई बढ़ाएँगी, बल्कि खेती को और टिकाऊ बनाएँगी।
यूपी की अर्थव्यवस्था में योगदान
जीएसवीए वाली फसलों की खेती से न सिर्फ किसानों की जिंदगी सुधरेगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। इन फसलों से बने उत्पाद जैसे दाल, तेल, और चीनी की माँग देश-विदेश में रहती है। सरकार का कहना है कि अगर किसान इन फसलों को अपनाएँ और प्रोसेसिंग पर ध्यान दें, तो उनकी आय दोगुनी हो सकती है। तो देर न करें, अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें और इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी खेती को नया रास्ता दें।
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