आजकल खेती में नई-नई तकनीकों का ज़ोर है, क्योंकि गाँवों में खेतों का आकार छोटा होता जा रहा है। हरियाणा सरकार ने किसानों की इस मुश्किल को समझा और कम ज़मीन में ज़्यादा कमाई के लिए वर्टिकल बागवानी को बढ़ावा देना शुरू किया। ये तकनीक ऐसी है कि आप कम जगह में कई तरह की फसलें, जैसे सब्जियां, फल, या फूल, एक के ऊपर एक लेयर में उगा सकते हैं।
इससे न सिर्फ़ ज़मीन की बचत होती है, बल्कि पानी और खाद का भी कम इस्तेमाल होता है। हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा जी ने हाल ही में अधिकारियों को साफ़ निर्देश दिए कि किसानों को इसराइल और जापान जैसी आधुनिक तकनीकों से जोड़ा जाए, ताकि कम पानी और रासायनिक खादों के साथ ज़्यादा पैदावार हो।
हरियाणा सरकार की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों को कई तरह की मदद दी जा रही है। इस योजना का मकसद है कि गाँव का हर किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ बागवानी को भी अपनाए, जिससे उसकी आमदनी बढ़े। सरकार ने इसके लिए खास बजट रखा है, ताकि किसानों को समय पर सब्सिडी मिले। कृषि मंत्री ने कहा कि सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खाते में डीबीटी के ज़रिए पहुंचनी चाहिए, ताकि कोई देरी न हो। राज्य में करीब चार सौ क्लस्टर बनाए गए हैं, जहां सब्जियों और फलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन क्लस्टरों में पैक हाउस बनाने के लिए किसानों और उनके समूहों को अनुदान भी मिलेगा।
खजूर की खेती पर सब्सिडी
खजूर की खेती भी हरियाणा के दक्षिणी इलाकों में खूब जोर पकड़ रही है। ये फसल कम पानी में अच्छी पैदावार देती है, जो सूखे इलाकों के लिए वरदान है। सरकार इस खेती को बढ़ाने के लिए प्रति हेक्टेयर एक लाख साठ हज़ार रुपये की सब्सिडी दे रही है। अगर आप भी अपने खेत में खजूर लगाने का सोच रहे हैं, तो ये मौका है सरकारी मदद का फायदा उठाने का। इसके अलावा, मशरूम की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
खासकर सोनीपत जिले में मशरूम का एक बड़ा क्लस्टर तैयार हो रहा है। दूसरे जिलों में भी किसानों को मशरूम उगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, क्योंकि ये कम जगह और कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है।
एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत कई और काम हो रहे हैं। मसलन, नए बाग लगाने, पुराने बागों की देखभाल करने, बीज उत्पादन, और मधुमक्खी पालन जैसी चीज़ों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने बागवानी में मशीनों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए भी सब्सिडी रखी है, ताकि मेहनत कम हो और पैदावार ज़्यादा। हरियाणा में उत्कृष्टता केंद्र भी बनाए जा रहे हैं, जहां किसानों को नई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी। ये सारे कदम इसलिए उठाए जा रहे हैं, ताकि गाँव का किसान न सिर्फ़ अपनी आजीविका चला सके, बल्कि बाज़ार में अपनी फसल की अच्छी कीमत भी पा सके।
वर्टिकल बागवानी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये छोटे किसानों के लिए भी कारगर है। मान लीजिए, आपके पास सिर्फ़ आधा एकड़ ज़मीन है, तो भी आप इस तकनीक से कई तरह की फसलें उगा सकते हैं। मसलन, नीचे टमाटर, ऊपर पालक, और सबसे ऊपर कुछ फूलों की खेती। इससे आपकी कमाई कई गुना बढ़ सकती है। साथ ही, सरकार की सब्सिडी और ट्रेनिंग का फायदा उठाकर आप अपनी खेती को और मज़बूत कर सकते हैं।
अगर आप हरियाणा के किसान हैं, तो अपने नज़दीकी कृषि कार्यालय में जाकर इन योजनाओं की पूरी जानकारी ले सकते हैं। वहां आपको ये भी बताया जाएगा कि सब्सिडी के लिए कैसे अप्लाई करना है और वर्टिकल बागवानी शुरू करने के लिए क्या-क्या चाहिए। ये समय है अपनी खेती को नया रंग देने का, ताकि कम मेहनत में ज़्यादा मुनाफा हो।
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