Farming Brinjal Top 5 varieties in March : मार्च का महीना आते ही गन्ना, गेहूँ और मटर के खेत खाली होने लगते हैं। सरसों की कटाई के बाद भी खेत बेकार पड़े रहते हैं। कुछ किसान मूंग, उड़द या गन्ना लगाते हैं, लेकिन गन्ना साल में एक बार कमाई देता है। ऐसे में सब्जियों की खेती छोटे समय में अच्छा मुनाफा दे सकती है।
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक बताते हैं कि मार्च में बैंगन की फसल लगाना फायदेमंद है। बैंगन की कई उन्नत किस्में 60-70 दिनों में तैयार हो जाती हैं और बंपर उत्पादन देती हैं। अगर सही किस्म चुनें, तो मेहनत का पूरा फल मिलता है। आइए, बैंगन की खेती और इसकी शानदार किस्मों के बारे में जानें।
बैंगन की अर्का निधि किस्म
अर्का निधि बैंगन की उन्नत किस्म है, जिसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), बैंगलोर ने तैयार किया है। ये बैक्टीरियल विल्ट जैसे रोगों से लड़ने में माहिर है। इसकी खासियत ये है कि ये 60-80 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। फल चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाते हैं। मार्च में खेत खाली होने पर इसे लगाना आसान और फायदेमंद है। रोगों से बचाव और अच्छी पैदावार के लिए ये किस्म किसानों की पहली पसंद बन रही है।
पूसा क्रांति: लोकप्रिय और भरोसेमंद
पूसा क्रांति बैंगन की एक मशहूर किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया है। ये 65-80 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। उत्पादन 210-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है। इसके फल मध्यम आकार के और गहरे बैंगनी रंग के होते हैं। ये किस्म विभिन्न मौसम में अच्छा प्रदर्शन करती है, जिससे मार्च में इसे लगाना मुनाफे का सौदा है। कम समय में तैयार होने की वजह से किसान इसे जल्दी बेचकर कमाई कर सकते हैं। बाजार में इसकी माँग भी अच्छी रहती है।
स्वर्णा: रोगों से लड़ने वाली किस्म
स्वर्णा बैंगन की किस्म अपनी ऊँची उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। ये 60 दिनों में पहली तुड़ाई देती है और 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन करती है। इसके फल मध्यम आकार के, चमकदार बैंगनी और स्वाद में शानदार होते हैं। ये किस्म कई जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है, जो इसे मार्च की खेती के लिए माकूल बनाती है। रोगों से लड़ने की ताकत और बंपर पैदावार की वजह से ये किसानों के लिए फायदेमंद है। खेत खाली होने पर इसे लगाकर अच्छी कमाई की जा सकती है।
अर्का शीतल और हिसार प्रगति
अर्का शीतल एक संकर किस्म है, जिसे IIHR, बैंगलोर ने बनाया है। ये शूट और फल छेदक जैसे कीटों के खिलाफ मजबूत है। 60-70 दिनों में तैयार होकर ये 200-240 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है। वहीं, हिसार प्रगति बैंगन की उन्नत किस्म है, जो 340-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। हालाँकि, ये 60-90 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार होती है, जो दूसरी किस्मों से थोड़ा ज़्यादा समय लेती है। दोनों ही किस्में मार्च में खेती के लिए बढ़िया हैं। कीटों से बचाव और अच्छी उपज के लिए ये किसानो के लिए शानदार विकल्प हैं।
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