क्यों खेती-बाड़ी से दूर होने लगे इन 5 राज्यों के किसान, दूसरे पेशे से बढ़ा रहे हैं इनकम!

Farming Income: भारत को हमेशा से कृषि प्रधान देश कहा जाता है। गाँवों में अधिकांश परिवारों का गुजारा खेती और उससे जुड़े कामों से होता था। चाहे सीधे खेतों में मेहनत हो या फिर खेती से जुड़े छोटे-मोटे धंधे, ये कमाई गाँवों की रीढ़ थी। लेकिन समय बदल रहा है। पीपल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (PRICE) की 2024-25 की एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि कई राज्यों में अब परिवार खेती छोड़कर नौकरी, व्यापार, या अन्य पेशों की ओर बढ़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस बदलाव में सबसे आगे उत्तर-पूर्व के चार राज्य और एक पहाड़ी राज्य हैं। इस लेख में हम इसके कारणों पर चर्चा करेंगे।

खेती से हटकर नई राहें, कौन से राज्य हैं आगे?

PRICE की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्यों में लोग अब खेती से ज्यादा नौकरी और व्यापार पर निर्भर हो रहे हैं। सबसे ऊपर है नागालैंड, जहाँ 98% परिवारों ने खेती छोड़कर अन्य पेशों को अपनाया है। यानी इन परिवारों का खर्च अब खेतों की उपज से नहीं, बल्कि नौकरी, छोटे-मोटे बिजनेस, या सरकारी योजनाओं से चल रहा है। इसके बाद त्रिपुरा का नंबर आता है, जहाँ 94% परिवार गैर-खेती आय पर निर्भर हैं। मेघालय में 85%, सिक्किम और उत्तराखंड में 80% परिवार अब खेती के बजाय अन्य स्रोतों से कमाई कर रहे हैं।

ये आंकड़े 2024-25 के सर्वे पर आधारित हैं और दिखाते हैं कि उत्तर-पूर्व के राज्यों में खेती से हटने का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन यह भी रोचक है कि उत्तर-पूर्व का ही एक राज्य, अरुणाचल प्रदेश, खेती पर सबसे ज्यादा निर्भर है, जहाँ 82% परिवार आज भी खेती से अपनी जीविका चलाते हैं।

ये भी पढ़ें – सरकार ने कृषि लोन पर दी 15642 करोड़ की ब्याज सब्सिडी, किसानों को और सस्ता मिलेगा लोन

खेती अभी भी रीढ़ है, इन राज्यों में नहीं बदला रुझान

हालांकि कई राज्य खेती से हट रहे हैं, कुछ राज्य अभी भी खेती को अपनी कमाई का मुख्य स्रोत मानते हैं। अरुणाचल प्रदेश के बाद पंजाब में 78% परिवार खेती पर निर्भर हैं। असम में 77%, और कर्नाटकमणिपुर में 73% परिवारों का कहना है कि उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा खेतों से आता है। इन राज्यों में खेती न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि यहाँ की संस्कृति और जीवनशैली का हिस्सा भी है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि खेती करने वाले परिवारों की औसत सालाना आय 7.31 लाख रुपये रही, जो नौकरी-पेशा वालों से किसी भी तरह कम नहीं है। यह दिखाता है कि खेती अभी भी कई गाँवों में मुनाफे का सौदा है, बशर्ते सही तरीके और संसाधन हों।

क्यों छोड़ रहे हैं लोग खेती?

खेती से लोगों के हटने की कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह है खेती में जोखिम। मौसम की अनिश्चितता, जैसे बेमौसम बारिश, सूखा, या बाढ़, फसलों को बर्बाद कर देती है। इसके अलावा, खाद, बीज, और कीटनाशकों की बढ़ती कीमतें खेती को महंगा बना रही हैं। उपज का सही दाम न मिलना भी एक बड़ा कारण है। कई बार मेहनत के बाद भी किसानों को बाजार में अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता।

गाँवों में लोग अब नौकरी या छोटे-मोटे धंधों को ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। मिसाल के तौर पर, नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों में लोग पर्यटन, हस्तशिल्प, और सरकारी नौकरियों की ओर बढ़ रहे हैं। सिक्किम और उत्तराखंड में पर्यटन और होटल व्यवसाय ने खेती को पीछे छोड़ दिया है। तमिलनाडु में लोग उद्योगों, आईटी सेक्टर, और छोटे व्यवसायों में जा रहे हैं। इन पेशों में कमाई नियमित और कम जोखिम वाली लगती है।

खेती को बचाने के लिए सरकारी प्रयास

भारत सरकार खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 इसका एक बड़ा उदाहरण है। इस अभियान के तहत वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञ गाँव-गाँव जाकर किसानों को नई तकनीकें, जैसे बेहतर बीज, कम पानी वाली खेती, और जैविक खाद के बारे में बता रहे हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौसम के जोखिम से होने वाले नुकसान को कम करती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत छोटे किसानों को हर साल 6,000 रुपये की मदद मिलती है।

ये भी पढ़ें – मुजफ्फरपुर की शाही लीची की दुबई में धूम, बिहार से होगा 10-11 घंटे का सफर, फिर भी रहेगी ताजा, जानिए कैसे

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

    View all posts

Leave a Comment