Gonda: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के किसान गुरु दयाल मौर्य इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो देखते-देखते ऐसा अनोखा आइडिया अपनाया, जिससे आज वे खेती से लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी मेहनत और नए तकनीकों को अपनाने का जज़्बा किसानों के लिए प्रेरणा बन चुका है। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी।
गोंडा जिले के विकासखंड रुपईडीह के ग्राम सभा रुपईडीह निवासी गुरु दयाल मौर्य ने इंटर तक की पढ़ाई की, लेकिन कुछ कारणों से उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने पारंपरिक खेती करने की बजाय नए तरीके अपनाने का फैसला किया। आज वे लौकी और गोभी की सहफसली खेती कर रहे हैं और सालाना लाखों रुपये का टर्नओवर कमा रहे हैं।
कैसे आया खेती का नया आइडिया?
गुरु दयाल मौर्य बताते हैं कि उन्हें सहफसली खेती का यह आइडिया यूट्यूब से मिला। पहले वे परंपरागत तरीके से खेती करते थे, लेकिन जब उन्होंने आधुनिक तकनीकों के बारे में जाना, तो उन्होंने इसे अपनाने का फैसला किया। उन्होंने करीब 5 एकड़ जमीन में लौकी और गोभी की एक साथ खेती शुरू की।
कैसे करते हैं खेती?
गुरु दयाल मौर्य हर साल नवंबर महीने में लौकी की बुवाई कर देते हैं। फरवरी से पौधों में फूल और फल आना शुरू हो जाता है। इस दौरान वे लौकी के साथ ही आलू, फूलगोभी, बंदगोभी, मूली जैसी कई अन्य फसलें भी उगाते हैं। यह तरीका उनकी कमाई को कई गुना बढ़ाने में मदद करता है।
कमाई कितनी होती है?
गुरु दयाल मौर्य के मुताबिक, वे सिर्फ 3 महीने में लौकी और गोभी की खेती से करीब 15-16 लाख रुपये का टर्नओवर हासिल कर लेते हैं। यह उनके लिए सिर्फ कमाई का जरिया नहीं, बल्कि अन्य किसानों के लिए एक नई प्रेरणा भी है।
किसानों के लिए क्या है संदेश?
गुरु दयाल मौर्य का मानना है कि आज के युवा किसानों को आधुनिक तकनीकों को अपनाना चाहिए। परंपरागत खेती से हटकर यदि किसान सही जानकारी और मेहनत से नई तकनीकों को अपनाएं, तो वे भी अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं। सहफसली खेती से किसान अपनी उपज को बढ़ाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं।
गुरु दयाल मौर्य की सफलता यह साबित करती है कि सही दिशा में किया गया प्रयास किसी को भी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। उनकी मेहनत और नवाचार से खेती को एक नई दिशा मिली है, जो अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो सकती है। अगर किसान मेहनत और सही तकनीक को अपनाएं, तो वे खेती से भी शानदार कमाई कर सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।