पंजाब के फाजिल्का जिले में लगातार बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। लगभग 20,000 एकड़ में खड़ी धान और कपास की फसलें जलमग्न हो गई हैं। गाँवों में देखा गया है कि किसानों की उम्मीदें टूट चुकी हैं, क्योंकि उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित फाजिल्का उपमंडल है, जहां 20 गांवों में 11,700 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फसलें डूब गई हैं। किसान इस तबाही के लिए जाम नालों और मानसून से पहले सफाई की कमी को जिम्मेदार मान रहे हैं। डिप्टी कमिश्नर अमरप्रीत कौर संधू ने बताया कि पानी निकालने के लिए मोटर पंप लगाए गए हैं, लेकिन किसानों का गुस्सा थम नहीं रहा।
किसानों का दर्द और विरोध
फाजिल्का के सौबाना गांव में 500 एकड़ से ज्यादा जमीन जलमग्न हो चुकी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की, जिसके कारण वे अपने हाल पर छोड़ दिए गए। गाँवों में देखा गया है कि फसल के साथ-साथ मवेशियों का चारा भी खत्म हो गया है। टाहलीवाला बोदला, सिंहपुरा, और चहलन गांवों में 1,500 एकड़ की फसलें बर्बाद हुई हैं। गुस्साए किसानों ने फाजिल्का-मलोट सड़क जाम कर तत्काल जल निकासी की मांग की। गाँवों में अनुभव है कि यह विरोध किसानों की बेबसी और प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है।
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जाम नाले बने मुसीबत
किसानों का कहना है कि मानसून से पहले नालों की सफाई नहीं होने से पानी खेतों में भर गया। उप-मंडल अधिकारी (ड्रेनेज) जगदीप सिंह ने बताया कि ऊंचे इलाकों से बारिश का पानी निचले फाजिल्का में बहकर आया, जिससे बाढ़ की स्थिति बनी। गाँवों में देखा गया है कि खुई खेड़ा नाले में तीन दिन पहले आई दरार ने समस्या को और बढ़ा दिया। पंचायत सदस्यों ने आरोप लगाया कि नालों की सफाई में लापरवाही के कारण यह आपदा आई। गाँवों में अनुभव है कि अगर प्रशासन ने पहले से तैयारी की होती, तो किसानों को इतना नुकसान नहीं उठाना पड़ता।
मुआवजे की मांग और राहत के प्रयास
किसानों ने अपनी बर्बाद फसलों के लिए मुआवजे की मांग तेज कर दी है। टाहलीवाला बोदला के सरपंच सुनील कुमार ने बताया कि उनके गांव में 1,500 एकड़ की फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। गाँवों में देखा गया है कि इस नुकसान ने किसानों को अगले सीजन की बुवाई के लिए भी मुश्किल में डाल दिया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरजीत सिंह ज्याणी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि प्रशासन को पानी निकासी की ठोस योजना बनानी चाहिए थी। जिला भाजपा अध्यक्ष काका कंबोज ने सरकार से प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की।
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डिप्टी कमिश्नर अमरप्रीत कौर संधू ने आश्वासन दिया कि पानी निकालने के लिए मोटर पंप लगाए गए हैं और स्थिति जल्द सामान्य होगी। गाँवों में देखा गया है कि राहत कार्य शुरू हो चुके हैं, लेकिन कई खेतों में पानी अभी भी जमा है। प्रशासन ने प्रभावित गांवों में राहत शिविर लगाए हैं, जहां जरूरी सामान बांटा जा रहा है। गाँवों में अनुभव है कि यह मदद नाकाफी है और किसानों को तत्काल मुआवजा चाहिए।
हरियाणा में भी बाढ़ का कहर
पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी बारिश ने किसानों को परेशान किया है। भिवानी, रोहतक, हिसार, जींद, और कुरुक्षेत्र में हजारों एकड़ फसलें जलमग्न हो गई हैं। गाँवों में देखा गया है कि इस बार की फसल बर्बाद होने से किसानों की उम्मीदें टूटी हैं। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार पर पानी निकासी की व्यवस्था में विफलता का आरोप लगाया और 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की। उन्होंने कहा कि तुरंत गिरदावरी कर नुकसान का आकलन करना चाहिए। गाँवों में अनुभव है कि बिना सरकारी मदद के किसान इस संकट से नहीं उबर पाएंगे।
बाढ़ से बचने के लिए खेतों में जल निकासी की व्यवस्था जरूरी है। किसानों को सलाह है कि वे बुवाई से पहले नालों की सफाई सुनिश्चित करें और बाढ़ प्रतिरोधी फसलों का चयन करें। गाँवों में अनुभव है कि सामुदायिक प्रयासों से नुकसान कम किया जा सकता है। प्रशासन से मांग करें कि नालों की नियमित सफाई हो और मुआवजा जल्द दिया जाए।
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