FCI ने 27.36 लाख टन गेहूं खरीद की पूरी! जानिए किस राज्य ने मारी बाज़ी

Wheat Procurement: इस बार गेहूं की बंपर पैदावार ने सबका दिल जीत लिया है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के ज़रिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद ने पिछले साल के आँकड़ों को पीछे छोड़ दिया है। गाँव के किसान भाइयों के लिए ये खुशखबरी है कि सरकार का खरीद लक्ष्य बढ़ा है, और मंडियों में रौनक है। आइए, समझते हैं कि इस बार गेहूं की खरीद का क्या हाल है, कितना मुनाफा हो रहा है, और किसानों को क्या फायदा मिलेगा।

रिकॉर्ड खरीद और बंपर उत्पादन

इस साल गेहूं की खरीद ने नया कीर्तिमान बनाया है। भारतीय खाद्य निगम ने 4 मई 2025 तक 27.36 मिलियन टन गेहूं खरीदा, जो पिछले साल के 26.6 मिलियन टन से कहीं ज़्यादा है। पिछले साल इसी समय तक सरकार ने 23.13 मिलियन टन गेहूं खरीदा था। कृषि मंत्रालय ने 2024-25 के लिए 115.43 मिलियन टन के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल के 113.29 मिलियन टन से 2% ज़्यादा है। अच्छी बारिश और मौसम की मेहरबानी से गेहूं की फसल लहलहा रही है। सरकार ने पहले 31.27 मिलियन टन का खरीद लक्ष्य रखा था, लेकिन मध्य प्रदेश में लक्ष्य बढ़ाकर 8 मिलियन टन करने से अब कुल लक्ष्य 33.27 मिलियन टन हो गया है। ये किसानों के लिए बड़ी राहत है, क्योंकि ज़्यादा खरीद का मतलब है ज़्यादा मुनाफा।

मध्य प्रदेश और हरियाणा में शानदार प्रदर्शन

मध्य प्रदेश ने इस बार गेहूं खरीद में बाजी मार ली है। 4 मई तक मध्य प्रदेश से 7.27 मिलियन टन गेहूं खरीदा गया, जो पिछले साल के 3.89 मिलियन टन से लगभग दोगुना है। राज्य सरकार ने एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर 175 रुपये का बोनस भी दिया है, जिसने किसानों को मंडी की ओर खींचा। हरियाणा भी पीछे नहीं है। यहाँ 6.77 मिलियन टन गेहूं खरीदा गया, जो पिछले साल के 6.72 मिलियन टन से थोड़ा ज़्यादा है। हरियाणा में खरीद की रफ्तार अप्रैल के आखिर तक बहुत तेज़ थी। दोनों राज्यों ने बंपर पैदावार और बेहतर खरीद व्यवस्था से गाँव की अर्थव्यवस्था को चमकाया है।

पंजाब में आई कमी

पंजाब, जो हमेशा गेहूं खरीद में अव्वल रहता है, इस बार थोड़ा पीछे रह गया। 4 मई तक पंजाब से 11.19 मिलियन टन गेहूं खरीदा गया, जो पिछले साल के 11.27 मिलियन टन से थोड़ा कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि निजी व्यापारियों ने ऊँची कीमतों पर गेहूं खरीदा, जिससे किसानों ने मंडी की बजाय निजी खरीदारों को फसल बेची। पंजाब में खरीद 10 मार्च से शुरू हुई, और 2 मई तक आँकड़े पिछले साल से बेहतर थे, लेकिन मई में निजी खरीद ने रफ्तार पकड़ ली। फिर भी, पंजाब का योगदान बड़ा है, और उम्मीद है कि मई के अंत तक आँकड़े और बेहतर होंगे।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान का हाल

उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद पिछले साल की तुलना में बेहतर है, लेकिन रफ्तार धीमी है। 4 मई तक 0.85 मिलियन टन गेहूं खरीदा गया, जो पिछले साल के 0.68 मिलियन टन से ज़्यादा है। निजी व्यापारी यहाँ भी 2600-2650 रुपये प्रति क्विंटल की ऊँची कीमत दे रहे हैं, जिससे सरकारी खरीद प्रभावित हो रही है। राजस्थान में 1.28 मिलियन टन गेहूं खरीदा गया, जो पिछले साल के 0.55 मिलियन टन से दोगुना है। राजस्थान ने 150 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया है, जिससे किसानों का रुझान बढ़ा। दोनों राज्यों में खरीद की रफ्तार को और तेज़ करने की ज़रूरत है।

राशन और बफर स्टॉक की तैयारी

गेहूं खरीद का असर राशन की दुकानों और बफर स्टॉक पर भी पड़ता है। 2022 से 2024 तक सरकार ने राशन में गेहूं की जगह चावल बाँटा था, लेकिन अक्टूबर 2024 में 3.5 मिलियन टन अतिरिक्त गेहूं की आपूर्ति मंजूर की गई। इस साल खरीद पूरी होने के बाद सरकार राशन और बफर स्टॉक के लिए नया आवंटन तय करेगी। एफसीआई के पास अभी 13.55 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक है, जो 1 अप्रैल के 7.46 मिलियन टन के बफर मानक से ज़्यादा है। इससे खाद्य सुरक्षा मज़बूत होगी, और बाजार में कीमतें नियंत्रित रहेंगी।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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