Moong Ki Kheti: मूंग की खेती भारतीय किसानों के लिए एक लाभदायक और पोषक तत्वों से भरपूर विकल्प है। ग्रीष्म कालीन मूंग न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि यह एक कम समय में तैयार होने वाली फसल भी है। इस लेख में, हम ग्रीष्म कालीन मूंग की खेती के महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
खेत की तैयारी
मूंग की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी आवश्यक है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसका pH मान 6.5 से 7.5 हो, सबसे उपयुक्त होती है। खेत की 2-3 बार जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और जल निकासी सुगम हो। खेत को समतल करें ताकि पानी जमा न हो और फसल को नुकसान न पहुंचे।
बीज का चयन
उच्च पैदावार के लिए पूसा विशाल, पूसा 9531, एमएल 131 जैसी उन्नत किस्मों के बीजों का चयन करें। बीज को फफूंदनाशक (कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/किलो बीज) और राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें। इससे पौधे जल्दी विकसित होंगे और रोगों से बचाव होगा।
बुवाई का सही समय
ग्रीष्म कालीन मूंग की बुवाई फरवरी से मार्च के बीच करनी चाहिए। बीजों को ड्रिल या छिटकवां विधि से बोया जा सकता है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखनी चाहिए। बीज की गहराई 3-5 सेमी से अधिक न हो।
बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। मूंग को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए हर 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। फूल आने और फलियां बनने के समय मिट्टी में नमी बनाए रखें।
खाद
खेत की तैयारी के समय 10-15 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। उर्वरकों की मात्रा नाइट्रोजन 20-25 किलोग्राम, फॉस्फोरस 40-50 किलोग्राम और पोटाश 20-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए। फॉस्फोरस और पोटाश बुवाई के समय डालें, जबकि नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और आधी फूल आने पर डालें।
बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें और फूल आने से पहले दूसरी करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन (1 किग्रा/हेक्टेयर) का उपयोग करें। वैसे इसकी खेती में कम खरपतवार होते हैं क्योकि सिंचाई लेट करने से घांसे कम उगती हैं और जब सिंचाई होती है तब तक मूंग काफी बढ़ जाता है |
रोग और कीट प्रबंधन
पीला मोजेक वायरस, पाउडरी मिल्ड्यू और लीफ स्पॉट जैसे रोगों से बचाव के लिए उचित फफूंदनाशकों का उपयोग करें। थ्रिप्स, एफिड्स और पत्ती खाने वाले कीटों के लिए डाइमेथोएट और क्विनालफॉस जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें।
कटाई और फसल प्रबंधन
मूंग की फसल 60-70 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जब फलियां पीली या हल्की भूरी हो जाएं, तभी कटाई करें। पौधों को जड़ से काटकर धूप में सुखाएं और फिर थ्रेशिंग करके दाने अलग करें।
मूंग के बीजों को अच्छी तरह सुखाएं ताकि नमी की मात्रा 10% से कम हो। अच्छी तरह सूखे बीजों को हवाबंद बोरियों में रखें और भंडारण स्थल को कीटनाशक से सुरक्षित करें। बाजार में अच्छी कीमत प्राप्त करने के लिए स्थानीय मंडियों या ऑनलाइन प्लेटफार्म का सहारा लें।
ग्रीष्म कालीन मूंग की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक और पोषण से भरपूर विकल्प है। सही तकनीकों, समय पर देखभाल और उन्नत विधियों को अपनाकर किसान बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप भी मूंग की खेती करना चाहते हैं, तो इस गाइड को फॉलो करें और अपनी उपज को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
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