देश के किसानों के लिए एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से किसानों को समय पर और उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराने की दिशा में मजबूत कदम उठाए जा रहे हैं। खासकर उत्तर प्रदेश में, कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही (@spshahibjp) के कुशल नेतृत्व में कृषि विभाग ने यूरिया, डीएपी, और एपीके जैसे आवश्यक उर्वरकों की बिक्री पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य ओवर-रेटिंग और टैगिंग जैसी अनियमितताओं को रोकना है, ताकि किसानों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण खाद मिल सके। आइए, इस पहल की गहराई में जाएं और समझें कि यह कैसे किसानों के जीवन को बेहतर बना रही है।
उर्वरक आपूर्ति में क्रांति, सरकार का संकल्प
कृषि क्षेत्र भारत की रीढ़ है, और इसके केंद्र में किसान हैं। मौजूदा खरीफ सीजन में, जब फसलों की बुआई अपने चरम पर है, उर्वरकों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ओवर-रेटिंग और अनचाहे उत्पादों की टैगिंग से किसानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए, कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि यूरिया, डीएपी, और एपीके की बिक्री निर्धारित मूल्य पर ही होनी चाहिए। साथ ही, दुकानदारों को अन्य उत्पादों को जबरन बेचने से मना किया गया है। यह कदम न केवल कालाबाजारी पर लगाम लगाएगा, बल्कि किसानों को आर्थिक बोझ से भी राहत देगा।
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कड़ी नजर, निरीक्षण और निगरानी
कृषि विभाग ने उर्वरक वितरण पर सतत निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। इन टीमों द्वारा नियमित छापेमारी और दुकानों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है, ताकि कोई भी दुकानदार निर्धारित मूल्य से अधिक चार्ज न कर सके। कई जिलों में ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जिन्होंने ओवर-रेटिंग की शिकायतें मिलीं। इसके अलावा, पीओएस मशीनों के जरिए बिक्री को ट्रैक किया जा रहा है, जिससे हर लेन-देन का रिकॉर्ड सुरक्षित रहे और किसानों को रसीद मिल सके। यह पारदर्शिता न केवल विश्वास बढ़ाएगी, बल्कि शिकायत निवारण को भी आसान बनाएगी।
ओवर-रेटिंग और टैगिंग पर रोक, किसानों का फायदा
पहले, कई दुकानदार यूरिया या डीएपी की बोरी के साथ कीटनाशक, बीज, या अन्य सामान बेचने के लिए किसानों को मजबूर करते थे, जो उनकी जेब पर भारी पड़ता था। अब, इस अनुचित प्रथा पर रोक लगाई गई है। निर्धारित मूल्य पर उर्वरक खरीदने का अधिकार हर किसान का है, और सरकार इसे सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उदाहरण के लिए, यूरिया की 45 किलो की बोरी का मूल्य 266.50 रुपये और डीएपी की 50 किलो की बोरी 1350 रुपये निर्धारित है। इन दरों से अधिक वसूली पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस निलंबन भी शामिल है। यह कदम छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित होगा।
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तकनीक और जागरूकता, किसानों का सशक्तिकरण
कृषि विभाग ने किसानों को जागरूक करने के लिए हेल्पलाइन नंबर और व्हाट्सएप सेवाएं शुरू की हैं, जहां वे शिकायत दर्ज करा सकते हैं। सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक उपलब्ध ये सेवाएं (जैसे UP का 7839882274) किसानों को तुरंत मदद दिलाने में सक्षम हैं। साथ ही, आधार कार्ड और पीओएस मशीन के जरिए उर्वरक खरीद को डिजिटल बनाया गया है, जो नकली खाद और कालाबाजारी को रोकने में मददगार है। यह तकनीकी कदम न केवल धोखाधड़ी को कम करेगा, बल्कि किसानों को सही मूल्य और सही उत्पाद दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा।
टिकाऊ खेती और आत्मनिर्भरता
इस पहल का दूरगामी असर होगा। उर्वरकों की सही आपूर्ति से फसल उत्पादन बढ़ेगा, जिससे किसानों की आय में सुधार होगा। साथ ही, ओवर-रेटिंग पर नियंत्रण से उनकी बचत होगी, जो उन्हें अन्य जरूरतों जैसे बीज, सिंचाई, या शिक्षा के लिए उपयोग कर सकेंगे। सरकार का लक्ष्य टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना भी है, जिसमें जैविक और नैनो उर्वरकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह न केवल मिट्टी की सेहत सुधारेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा।
कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही के नेतृत्व में कृषि विभाग ने ओवर-रेटिंग और टैगिंग पर लगाम लगाकर किसानों के हित को प्राथमिकता दी है। यह पहल न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान करेगी, बल्कि भविष्य में एक मजबूत और समृद्ध कृषि अर्थव्यवस्था की नींव रखेगी। तो, किसान बंधुओं, सतर्क रहें, शिकायत करें, और सरकार के इस प्रयास का लाभ उठाएं आपका हक, आपकी ताकत!
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